
जयपुर। मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा के नेतृत्व में सरकार ने बुजुर्गों को सम्मान, सहारा और सुरक्षा देने के लिए अनेक कदम उठाए हैं। सरकार का संकल्प है कि बुजुर्ग अपने जीवन की दूसरी पारी को न केवल सहज और आरामदायक ढंग से बिताएं, बल्कि उसमें आनंद और आत्मसम्मान भी महसूस करें। इसी ध्येय के साथ राज्य सरकार ने सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग के माध्यम से वरिष्ठजनों के कल्याण और सशक्तीकरण के लिए कई योजनाएं लागू की हैं। इन योजनाओं से बुजुर्गों को संबल तो मिल ही रहा है, साथ ही उनकी सामाजिक सुरक्षा भी सुनिश्चित हो रही है।
मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा का मानना है कि वरिष्ठ नागरिक केवल परिवार ही नहीं, बल्कि समाज और राष्ट्र की भी धरोहर हैं। उनकी देखभाल और सम्मान पूरे समाज का दायित्व है। यही कारण है कि राज्य सरकार बुजुर्गों को राहत और संबल देने में निरंतर अग्रसर है। संवेदनशीलता, सहानुभूति और सम्मान की यह नीति ही राज्य सरकार को बुजुर्गों का सच्चा संरक्षक बनाती है।
बुजुर्गों को जीवन के आखरी पड़ाव में पोषण, स्वास्थ्य और आवास के साथ ही समुचित देखभाल की भी आवश्यकता होती है। इसी बात को ध्यान में रखते हुए बेसहारा और परित्यक्त बुजुर्गों को वृद्धाश्रमों के माध्यम से सामाजिक सुरक्षा प्रदान की जा रही है। वर्तमान में प्रदेश में 63 वृद्धाश्रम संचालित हो रहे हैं, जिनमें से 44 राज्य सरकार और 19 केन्द्र सरकार द्वारा संचालित किए जा रहे हैं। राज्य की वर्तमान सरकार ने 60 वर्ष से अधिक आयु के पुरुषों और 55 वर्ष से अधिक आयु की महिलाओं के लिए 10 भक्त श्रवण कुमार कल्याण सेवा आश्रम शुरू करवाए हैं। इन डे-केयर सेंटर्स पर बुजुर्गों को चिकित्सा, प्रौढ़ शिक्षा, अल्पाहार के साथ ही उनकी धार्मिक भावनाओं का ध्यान रखते हुए प्रवचन एवं धार्मिक भ्रमण की सुविधा उपलब्ध कराई जा रही है। साथ ही, उनके मनोरंजन के लिए पत्र-पत्रिकाओं की भी व्यवस्था की गई है।
राज्य सरकार ने इस बात का पूरा ध्यान रखा है कि बुजुर्गों को उनके परिजनों द्वारा उपेक्षित न किया जाए। इसलिए माता-पिता और वरिष्ठ नागरिकों का भरण पोषण अधिनियम को सख्ती से लागू किया गया है। इसके अंतर्गत प्रत्येक उपखंड स्तर पर अधिकरण और हर जिले में अपीलीय अधिकरण गठित किए गए हैं। संपत्ति से जुड़े विवादों और बुजुर्गों की सुरक्षा के लिए जिला प्रशासन को स्पष्ट दिशा-निर्देश दिए गए हैं।
राज्य में बेघर और असहाय, निराश्रित, वृद्धजनों व्यक्तियों के लिए 45 पुनर्वास गृह स्थापित किए गए हैं। इनमें आवास, भोजन, वस्त्र, स्वास्थ्य सेवाएं, पोषण और मनोरंजन की सभी सुविधाएं उपलब्ध हैं, ताकि बुजुर्ग सम्मानजनक और खुशहाल जीवन जी सकें। इसके साथ ही राज्य सरकार ने राज्य बजट 2024-25 में संभाग मुख्यालय वाले जिलों में 50 लोगों की क्षमता वाले स्वयंसिद्धा आश्रम खोलने की घोषणा की थी। इसके दायरे को बढ़ाते हुए बजट 2025-26 में 10 और जिलों में भी नए आश्रम खोलने की घोषणा की गई। इस प्रकार 17 जिलों में स्वयंसिद्धा आश्रम प्रारंभ किए गए हैं।
इस योजना के माध्यम से सरकार वरिष्ठ नागरिकों को सशक्त, स्वस्थ और सम्मानजनक जीवन देने के लिए प्रयासरत है। इसका उद्देश्य बुजुर्गों को आर्थिक सुरक्षा देना और वृद्धावस्था में उन्हें सक्रिय रहने के लिए प्रेरित करना है।
बुजुर्गों की समस्याओं के समाधान के लिए राष्ट्रीय स्तर पर वरिष्ठ नागरिक हेल्पलाइन नम्बर 14567 सक्रिय है। इस सेवा के माध्यम से बुजुर्गों को पेंशन, स्वास्थ्य सेवाओं जैसे विषयों पर मुफ्त जानकारी देने के साथ ही आवश्यकता पड़ने पर कानूनी सहायता और मार्गदर्शन भी दिया जा रहा है।
समाज में बुजुर्गों को उचित मान-सम्मान मिले और उनकी देखभाल और सहायता के लिए अधिक से अधिक संख्या में लोग प्रेरित हों, इसके लिए राज्य सरकार वृद्धजन कल्याण के क्षेत्र में कार्य करने वाले लोगों को सम्मानित भी करती है। अंतरराष्ट्रीय वृद्धजन दिवस (1 अक्टूबर) के अवसर पर इस क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान देने वाली संस्थाओं तथा सेवानिवृत्त राजकीय सेवकों को जिला स्तर पर सम्मानित करने का प्रावधान किया गया है।
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