जयपुर। राजस्थान ऊर्जा के क्षेत्र में एक नए स्वर्णिम अध्याय की ओर अग्रसर है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के वर्ष 2030 तक देश में 500 गीगावाट नवीनीकरण बिजली उत्पादन के लक्ष्य को प्राप्त करने में राजस्थान को बहुत बड़ी भूमिका निभानी है। इसी को दृष्टिगत रखते हुए मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने राज्य में सोलर और विन्ड एनर्जी उत्पादन में बढ़ोतरी को औद्योगिक विकास से सीधा लिंक किया है। कम और प्रतिस्पर्धी कीमत पर बिजली उपलब्धता से उद्योग सेक्टर को बड़ा बूस्ट मिलेगा। मुख्यमंत्री की इसी दूरदृष्टि और ठोस नीति के परिणामस्वरूप आगामी वर्ष तक प्रदेश में 11 हजार मेगावाट से अधिक क्षमता के सौर ऊर्जा प्रोजेक्ट स्थापित किए जाएंगे। इस महत्वाकांक्षी योजना से न केवल राज्य की बिजली जरूरतें पूरी होंगी बल्कि राजस्थान देश के “सौर ऊर्जा हब” के रूप में अपनी स्थिति और सशक्त करेगा।
विभाग की ओर से दी गई जानकारी के अनुसार राज्य में डिस्कॉम्स द्वारा भविष्य को ध्यान में रखते हुए कई महत्त्वपूर्ण कार्य योजनाएं लागू की जा रही हैं। प्रधानमंत्री कुसुम योजना के तहत अगले वर्ष तक 11 हजार मेगावाट क्षमता की सौर परियोजनाओं की स्थापना की जाएगी। इन परियोजनाओं से किसानों को दिन के समय में बिजली की सुविधा सुनिश्चित होगी और कृषि क्षेत्र में उत्पादकता बढ़ेगी।
आर.डी.एस.एस. योजना के अंतर्गत प्रदेश में विद्युत वितरण तंत्र को और अधिक सशक्त बनाने का कार्य किया जा रहा है। इसके तहत 33 केवी के 63 नए सब-स्टेशन स्थापित किए जाएंगे। साथ ही 33 केवी स्तर के 317 फीडरों और 11 केवी स्तर के 3744 फीडरों का विभाजन किया जाएगा। 11 केवी के 1300 कृषि एवं गैर-कृषि फीडरों का पृथक्करण और 27,963 किलोमीटर लंबी एलटी केबल बिछाने का कार्य भी किया जाएगा।
इसके अतिरिक्त जिन 33/11 केवी सबस्टेशनों पर कुसुम योजना के घटक ‘ए’ एवं ‘सी’ के अंतर्गत संयंत्र स्थापित किए जा चुके हैं, वहां स्थापित संयंत्र की क्षमता के आधार पर प्राथमिकता से नए कृषि कनेक्शन जारी किए जाएंगे। सरकार का लक्ष्य है कि वर्ष 2027 तक राज्य के सभी जिलों में दिन के समय किसानों को बिजली उपलब्ध कराई जा सके।
राज्य सरकार के वर्तमान कार्यकाल में विद्युत वितरण निगमों ने उल्लेखनीय उपलब्धियां दर्ज की हैं। राजस्थान में तीनों डिस्कॉम्स जयपुर, जोधपुर और अजमेर ने संयुक्त रूप से विद्युत वितरण व्यवस्था को तकनीकी रूप से सुदृढ़ बनाने की दिशा में ठोस कदम बढ़ाए हैं।
अब तक राज्य की सर्वकालिक अधिकतम विद्युत मांग 19,165 मेगावाट दर्ज की गई, जिसे बिना किसी विद्युत कटौती के पूरा किया गया। यह उपलब्धि राजस्थान को ऊर्जा प्रबंधन के क्षेत्र में अग्रणी राज्य के रूप में स्थापित करती है।
तीनों डिस्कॉम्स में यूनिफाइड ऑनलाइन बिलिंग सिस्टम लागू किया गया है, जिससे उपभोक्ताओं को पारदर्शी और एकीकृत सेवाएं मिल रही हैं।
सरकार के इस कार्यकाल में सितम्बर माह तक 8,76,036 घरेलू विद्युत कनेक्शन और 1 नवम्बर 2025 तक 1,83,570 कृषि कनेक्शन जारी किए जा चुके हैं। इसी अवधि में 33 केवी के 327 सब-स्टेशन स्थापित किए गए हैं, जिससे ग्रामीण और शहरी दोनों क्षेत्रों में आपूर्ति की गुणवत्ता बेहतर हुई है।
राजस्थान में सौर ऊर्जा उत्पादन को गति देने के लिए पीएम—कुसुम योजना के अंतर्गत अब तक 2077 मेगावाट की क्षमता की 914 सौर परियोजनाएँ स्थापित की जा चुकी हैं। इनसे लगभग 1,35,000 किसान लाभान्वित हो रहे हैं।
प्रधानमंत्री मुफ्त बिजली योजना के अंतर्गत अक्टूबर माह तक 95,727 रूफटॉप सोलर संयंत्र स्थापित किए जा चुके हैं, जिनसे 392 मेगावाट सौर ऊर्जा क्षमता का उत्पादन हो रहा है।
राजस्थान का ऊर्जा तंत्र अब केवल वितरण तक सीमित नहीं, बल्कि आत्मनिर्भरता और पर्यावरण संरक्षण की दिशा में भी तेजी से आगे बढ़ रहा है। सौर ऊर्जा उत्पादन, वितरण तंत्र का आधुनिकीकरण और किसानों के हित में योजनाओं के प्रभावी क्रियान्वयन से प्रदेश आने वाले वर्षों में स्वच्छ, सतत और सशक्त ऊर्जा राज्य के रूप में उभरेगा।
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