अजमेर के पीसांगन के नाथूथला में खेलते समय लोहे के बक्से में बंद होने से दो मासूम भाइयों की मौत हो गई। घटना के समय उनकी मां मजदूरी करने गई थी। मां जब घर लौटी तो दोनों बच्चे नहीं मिले। उसने इधर-उधर तलाश की। आखिर में जब उसने घर में रखा बक्सा खोला तो उसमें दोनों बच्चे अचेत अवस्था में पड़े मिले। मां ने रोते हुए अपने देवर व पड़ोसियों को बुलाया।
वे तुरंत बच्चों को पीसांगन अस्पताल ले गए। वहां डॉक्टर ने दोनों को मृत घोषित कर दिया। थानाधिकारी प्रहलाद सहाय ने बताया कि यह दुखद घटना गुरुवार को हुई। नाथूथला निवासी लक्ष्मण चीता ने इस संबंध में रिपोर्ट दी है। उसने अपनी रिपोर्ट में बताया कि उसके भाई नाथूलाल चीता की तीन साल पहले सर्पदंश से मौत हो गई थी। उसकी पत्नी लाडली खातून मजदूरी कर परिवार का भरण-पोषण कर रही थी। उसके तीन बच्चे हैं। इनमें दो बेटे व एक बेटी शामिल हैं।
ट्रंक खोलते ही लाडली खातून का दिल बैठ गया
गुरुवार की सुबह लाडली खातून हमेशा की तरह काम पर गई थी। शाम को वह घर लौटी लेकिन उसका 6 वर्षीय बेटा साबिर और 4 वर्षीय बेटा समीर घर पर नहीं मिले। काफी तलाश के बाद उसने घर में रखा ट्रंक खोला तो दोनों बच्चे बेहोश मिले। यह देख वह स्तब्ध रह गई। लाडली खातून ने तुरंत अपने देवर और पड़ोसियों को बुलाया। वे तुरंत बच्चों को अस्पताल ले गए लेकिन तब तक उनकी मौत हो चुकी थी।
पूरा गांव गम में डूबा
पुलिस की शुरुआती जांच में पता चला है कि बच्चों की मौत दम घुटने से हुई है। अभी तक यह पता नहीं चल पाया है कि बच्चे ट्रंक में कैसे मिले। परिवार में अभी तक किसी ने किसी के खिलाफ कोई गुस्सा जाहिर नहीं किया है। पुलिस पूरे मामले की विभिन्न कोणों से जांच कर रही है। दोनों बेटों की मौत के बाद लाडली खातून सदमे में है। एक ही परिवार के दो बच्चों की मौत से पूरे गांव में मातम पसर गया है।
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