जल्द ही राजस्थान के कई इलाकों में ऐसे मोबाइल स्कूल देखने को मिलेंगे। हर साल लाखों बच्चों के ड्रॉप आउट को रोकने के लिए शिक्षा विभाग नवाचार करने जा रहा है। इस मोबाइल स्कूल में स्कूल जैसी सभी सुविधाएं मुहैया कराई जाएंगी। एलसीडी और कंप्यूटर के जरिए पढ़ाई कराई जाएगी। पहले चरण में हर जिले में दो मोबाइल स्कूल होंगे। पूरे प्रदेश में पहले चरण में करीब 100 मोबाइल स्कूल तैयार करने का प्रस्ताव तैयार किया गया है। ये स्कूल एलकेजी, यूकेजी से पांचवीं कक्षा तक चलेंगे। एक मोबाइल स्कूल में विद्यार्थियों की संख्या 15 से 24 तय की गई है।
संख्या बढ़ने पर स्थानीय स्तर पर स्थायी स्कूल का प्रस्ताव भी दिया जा सकता है। राजस्थान शिक्षा विभाग के सचिव कृष्ण कुणाल ने बताया कि ये स्कूल सबसे पहले उन इलाकों में शुरू किए जाएंगे जहां घुमंतू जातियों की बहुलता है। साथ ही इस योजना के जरिए उन परिवारों को काफी मदद मिलेगी जो रोजगार के लिए मौसम के हिसाब से एक जगह से दूसरी जगह जाने को मजबूर हैं और अपने बच्चों को पढ़ा नहीं पाते। इसके अलावा जहां पर स्थाई स्कूल नहीं है, लेकिन वहां पर बच्चे ज्यादा हैं। जिला शिक्षा अधिकारी की अनुशंसा पर उन क्षेत्रों में भी यह मोबाइल स्कूल भेजा जाएगा।
इस मोबाइल स्कूल में सरकार स्थाई स्कूल की तरह शिक्षा व्यवस्था से जुड़ी सभी सुविधाएं और संसाधन उपलब्ध कराएगी, साथ ही खेलकूद के उपकरण भी उपलब्ध कराएगी, ताकि शिक्षा के साथ-साथ बच्चों का शारीरिक और मानसिक विकास भी हो सके। स्कूल को गांव के खुले क्षेत्रों में चलाने का प्रयास किया जाएगा, जहां पर खेल के मैदान भी उपलब्ध हों।
हर साल 1 लाख से ज्यादा ड्रॉप आउट
शिक्षा विभाग के आंकड़ों पर नजर डालें तो राजस्थान में हर साल ड्रॉप आउट छात्रों की संख्या 1 लाख या उससे ज्यादा है। ड्रॉप आउट के इस आंकड़े को कम करने के लिए शिक्षा विभाग प्रवेशोत्सव समेत कई कार्यक्रम चलाता है।कई छात्र ऐसे होते हैं, जिनके माता-पिता रोजी-रोटी के लिए एक जगह से दूसरी जगह जाते रहते हैं। ऐसे में उन बच्चों को मजबूरी में पढ़ाई छोड़नी पड़ती है।विभाग का मानना है कि मोबाइल स्कूल से ऐसे परिवारों के बच्चों को बेहतर शिक्षा मिलेगी, साथ ही शारीरिक विकास भी संभव हो सकेगा।शिक्षा विभाग की मानें तो पिछले आंकलन के अनुसार इस परियोजना से हर साल 10 लाख से अधिक बच्चों को लाभ मिलेगा। इन स्कूलों के निर्माण की लागत में सरकार परोपकारी लोगों से मदद ले सकती है।
स्थानीय शिक्षकों को मिलेगी प्राथमिकता
शिक्षा विभाग शिक्षा संबल योजना के जरिए मोबाइल स्कूल में स्थानीय क्षेत्र के शिक्षकों की भर्ती करेगा। परियोजना की शुरुआत में प्रदेश भर के हर जिले में 2 मोबाइल स्कूल दिए जाएंगे।इन स्कूलों में 2 से 4 शिक्षकों को नियुक्त करने का प्रस्ताव है। शिक्षा विभाग इन स्कूलों में स्थानीय भाषा के ज्ञान वाले शिक्षकों को भर्ती में प्राथमिकता देगा। इसका कारण यह है कि राजस्थान में हर दस किलोमीटर पर भाषा बदल जाती है।अगर परियोजना शुरुआती चरण में सफल रही तो इस परियोजना का दायरा बढ़ाया जाएगा। साथ ही नई शिक्षा नीति के तहत छात्रों और शिक्षकों के लिए तय किए गए मापदंड भी इस स्कूल में लागू होंगे।
ऐसा होगा मोबाइल स्कूल
एसी बस में मोबाइल स्कूल बनाया जाएगा।बस में एलईडी टीवी, प्रोजेक्टर के अलावा डिजिटल ब्लैकबोर्ड भी लगाया जाएगा। बस में क्लासरूम सामग्री के अलावा खेल सामग्री, कंप्यूटर कक्ष सामग्री भी उपलब्ध कराई जाएगी। शिक्षा विभाग डिजाइनर से स्कूल का डिजाइन फाइनल करवा रहा है। इसके लिए इंग्लैंड और ऑस्ट्रेलिया में संचालित स्कूलों का डिजाइन मांगा गया है। डिजाइन फाइनल होते ही टेंडर आमंत्रित किए जाएंगे। एक बस पर एक करोड़ की लागत प्रस्तावित की गई है। शिक्षा विभाग इसका प्रस्ताव तैयार कर वित्त विभाग को भेजेगा। प्रस्ताव में बस, क्लासरूम लागत, एसी, कंप्यूटर, खेल सामग्री आदि की लागत जोड़ी गई है। वित्त विभाग से प्रस्ताव स्वीकृत होने पर शिक्षा विभाग इस प्रोजेक्ट के लिए टेंडर आमंत्रित करेगा।
इंग्लैंड से आए एनआरआई ने दिया सुझाव
हाल ही में राजस्थान में आयोजित राइजिंग राजस्थान में निवेश का प्रस्ताव लेकर आए एनआरआई उद्यमी ने शिक्षा मंत्री मदन दिलावर को यह सुझाव दिया।
उद्यमी ने बताया कि इंग्लैंड में एनजीओ पहले से ही इस प्रोजेक्ट को सफलतापूर्वक चला रहे हैं, जिससे लाखों बच्चे लाभान्वित हो रहे हैं।
मोबाइल स्कूल का सुझाव मिलने के बाद शिक्षा मंत्री के निर्देश पर इसका प्रस्ताव तैयार किया गया, जिसे अंतिम रूप दिया जा रहा है।
मोबाइल स्कूल को सहयोग देने के लिए भामाशाह भी आगे आ रहे हैं, उनकी मदद ली जाए या नहीं, इस पर भी विचार किया जा रहा है।
नए सत्र से होगी शुरुआत
टेंडर प्रक्रिया पूरी होने के बाद ठेकेदार की ओर से छह माह में यह स्कूल तैयार कर जिलों को भेजा जाएगा। सबसे पहले राजस्थान के रेगिस्तानी जिलों में ये स्कूल शुरू किए जाएंगे।सीमावर्ती इलाकों में जरूरत के हिसाब से आधुनिक मोबाइल स्कूल भेजने का प्रस्ताव तैयार किया जा रहा है। जोधपुर, भरतपुर, उदयपुर, जयपुर और कोटा संभाग में ऐसे इलाकों का चयन किया जा रहा है, जहां पहले चरण में ये मोबाइल स्कूल भेजे जाएंगे।शिक्षा मंत्री मदन दिलावर ने भास्कर को बताया कि सरकार का उद्देश्य है कि प्रदेश में कोई भी निरक्षर न रहे। इस योजना से हर साल लाखों बच्चों के स्कूल छोड़ने पर भी रोक लगेगी।
पहले भी चलते थे मोबाइल स्कूल
शिक्षाविद् विपिन शर्मा ने भास्कर को बताया कि 1992 से 1994 के दौर में केंद्र सरकार के निर्देश पर शिक्षा विभाग ने मोबाइल स्कूल संचालित किए थे। इन मोबाइल स्कूलों में शिक्षक साइकिल या मोटरसाइकिल पर गांव-गांव जाकर पेड़ के नीचे बैठकर बच्चों को पढ़ाते थे।अब बदलते वक्त की जरूरत के हिसाब से अत्याधुनिक स्कूल लाए जा रहे हैं जो घर-घर जाकर शिक्षा से वंचित बच्चों को शिक्षित करने में कारगर साबित होंगे। शिक्षा विभाग के विशेषज्ञों की मानें तो यह प्रयोग जरूरतमंद परिवारों के साथ-साथ सभी के विकास की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम साबित होगा।
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