राजस्थान में पिछले 5 वर्षों में वन्यजीवों और मनुष्यों के बीच संघर्ष की घटनाओं में लगातार वृद्धि हुई है। एक चौंकाने वाली जानकारी के अनुसार, इस दौरान वन्यजीवों के हमलों में 66 लोगों की जान गई है और 328 लोग घायल हुए हैं। यह आँकड़ा वन विभाग द्वारा राजस्थान विधानसभा में टोडाभीम विधायक घनश्याम महार द्वारा पूछे गए एक प्रश्न के उत्तर में दिया गया है।
5 वर्षों में 4.76 करोड़ रुपये का मुआवज़ा
वन विभाग द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार, पिछले 5 वर्षों में वन्यजीवों के हमलों से प्रभावित परिवारों को कुल 4 करोड़ 76 लाख रुपये का मुआवज़ा दिया गया है। सबसे ज़्यादा घटनाएँ सवाई माधोपुर, राजसमंद, सिरोही और उदयपुर ज़िलों में दर्ज की गई हैं, जहाँ घनी आबादी और वन्यजीवों के आवास के बीच संघर्ष ज़्यादा देखने को मिलता है।
फसल नुकसान के लिए कोई मुआवज़ा नहीं
एक और महत्वपूर्ण बात जो सामने आई है, वह यह है कि वन्यजीवों द्वारा फसल को हुए नुकसान के लिए मुआवज़े का कोई प्रावधान नहीं है। इससे किसानों में भारी निराशा है, क्योंकि हिरण, नीलगाय और जंगली सूअर जैसे जानवर अक्सर फसलों को नष्ट कर देते हैं, जिससे उन्हें भारी आर्थिक नुकसान होता है। इस मुद्दे पर सरकार की ओर से कोई स्पष्ट नीति नहीं है, जो किसानों के लिए चिंता का विषय है।
संघर्ष रोकने के लिए उठाए गए कदम
वन विभाग ने मानव-वन्यजीव संघर्ष को कम करने के लिए भी कुछ उपाय किए हैं।
गर्मियों में वन्यजीवों को जंगल के अंदर रखने के लिए जलस्रोतों में पानी की व्यवस्था की जा रही है। वर्ष 2024-25 में इस पर 55.83 लाख रुपये खर्च किए गए हैं, जिसमें से जून तक 23.95 लाख रुपये खर्च किए जा चुके हैं।
किसी भी आपात स्थिति में तत्काल सहायता प्रदान करने के लिए त्वरित प्रतिक्रिया दल तैनात किए गए हैं।
लोगों को वन्यजीवों से बचाव के लिए शिक्षित करने हेतु गाँवों में जागरूकता कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं।
हालाँकि, वन्यजीवों के हमलों से लगातार हो रही मौतें और फसल क्षति के लिए मुआवजे का अभाव इन उपायों पर सवाल खड़े करता है। सरकार और प्रशासन को इस गंभीर मुद्दे पर और प्रभावी कदम उठाने की आवश्यकता है।
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