राजस्थान विधानसभा में ज़बरन धर्मांतरण को रोकने के लिए पारित किए गए बिल को लेकर मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा का बड़ा बयान सामने आया है। मुख्यमंत्री ने कहा कि विधानसभा में बिल पेश होने से पहले ही उन्हें यह अंदेशा था कि कांग्रेस इस बिल को रोकने के लिए हर संभव कोशिश करेगी। उन्होंने आरोप लगाया कि कांग्रेस लंबे समय से धर्मांतरण को बढ़ावा देने और सत्ता में बने रहने के लिए राजनीतिक तुष्टिकरण का खेल खेलती रही है।
भजनलाल शर्मा ने कहा, "हमने विधानसभा में यह बिल पेश करने से पहले ही यह अनुमान लगाया था कि कांग्रेस इस पर विरोध करेगी। कांग्रेस ने हमेशा धर्मांतरण को बढ़ावा देने का काम किया है और इसके जरिए अपनी राजनीतिक ताकत बनाए रखने की कोशिश की है।" मुख्यमंत्री ने यह भी कहा कि यह बिल राजस्थान के लोगों की धार्मिक स्वतंत्रता और सुरक्षा को सुनिश्चित करने के लिए लाया गया है, और इसका उद्देश्य धर्म के नाम पर किसी भी प्रकार के धोखाधड़ी या ज़बरदस्ती को रोकना है।
उन्होंने आगे कहा, "राजस्थान सरकार धर्मांतरण के मामलों में सख्त कार्रवाई करेगी, और यह बिल समाज में शांति, सद्भाव और भाईचारे को बढ़ावा देने के लिए है।" मुख्यमंत्री ने यह भी स्पष्ट किया कि बिल का उद्देश्य किसी भी धर्म विशेष को निशाना बनाना नहीं है, बल्कि यह सुनिश्चित करना है कि किसी भी व्यक्ति को धर्मांतरण के नाम पर दबाव न डाला जाए।
विधानसभा में इस बिल के पारित होने के बाद राजनीतिक माहौल में गरमा-गर्मी देखी जा रही है। विपक्षी दल, विशेष रूप से कांग्रेस, ने इस बिल पर कड़ी आपत्ति जताई है। कांग्रेस का आरोप है कि इस बिल का उद्देश्य धार्मिक आधार पर समाज में विभाजन पैदा करना है और यह सांप्रदायिक सद्भाव को नुकसान पहुंचा सकता है।
मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने कांग्रेस के आरोपों का खंडन करते हुए कहा कि यह बिल किसी भी प्रकार की धार्मिक स्वतंत्रता का उल्लंघन नहीं करता, बल्कि इसका मकसद धार्मिक नफरत और ज़बरदस्ती के खिलाफ सख्त कानून बनाना है। उन्होंने यह भी कहा कि प्रदेश सरकार इस कानून को पूरी मजबूती से लागू करेगी और इसके तहत कोई भी व्यक्ति या संस्था यदि जबरदस्ती धर्मांतरण कराने की कोशिश करेगा, तो उसे कठोर सजा दी जाएगी।
राजस्थान में धर्मांतरण के मुद्दे पर लगातार विवाद उठते रहे हैं, और इस नए बिल को लेकर भी राजनीतिक बयानबाजी तेज हो गई है। अब देखना यह है कि यह बिल समाज में किस प्रकार के प्रभाव डालता है और क्या यह सच में ज़बरन धर्मांतरण की समस्या को सुलझाने में मददगार साबित होगा या फिर यह और अधिक विवादों का कारण बनेगा।
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