सूर्य नगरी जोधपुर अब न केवल अपनी गर्मी के लिए बल्कि ऊर्जा संरक्षण और सौर ऊर्जा के बेहतर उपयोग के लिए भी मिसाल बन रही है। जोधपुर स्थित काजरी (केन्द्रीय शुष्क क्षेत्र अनुसंधान संस्थान) में सौर ऊर्जा के माध्यम से कृषि उपकरणों का निर्माण और उपयोग लगातार बढ़ रहा है, जिससे न केवल किसानों को राहत मिल रही है, बल्कि भविष्य की जरूरतों को ध्यान में रखते हुए यह तकनीक काफी कारगर भी साबित हो रही है। काजरी में ईंट और मिट्टी से बने देसी फ्रिज भी इस भीषण गर्मी में किसानों के लिए वरदान बन गए हैं। बिजली की बचत के साथ ही यह पारंपरिक तकनीक के जरिए ग्रामीण भारत को आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में भी एक अहम कदम है।
हजारों किसानों ने अपनाई है यह तकनीक
वरिष्ठ कृषि वैज्ञानिक डॉ. सुरेन्द्र पूनिया ने बताया कि पश्चिमी राजस्थान की जलवायु और किसानों की जरूरतों को ध्यान में रखते हुए कई सौर तकनीक विकसित की गई हैं। इनमें सोलर ड्राई टनल, सौर ऊर्जा से चलने वाला पशु आहार चूल्हा और मिट्टी से बने देसी फ्रिज प्रमुख हैं। डॉ. पूनिया ने बताया कि इन तकनीकों से बिजली की खपत कम होती है। उन्होंने यह भी बताया कि अब तक पश्चिमी राजस्थान के 5,000 से अधिक किसान इन तकनीकों को अपना चुके हैं।
पारंपरिक खाद्य पदार्थों को सुखाने की नई तकनीक
केर, सांगरी, कुंभट और काचरी जैसे पारंपरिक राजस्थानी खाद्य पदार्थों को बिना बिजली के सुखाने के लिए काजरी में एक खास उपकरण तैयार किया गया है। यह उपकरण पूरी तरह प्राकृतिक तरीके से काम करता है और किसानों के लिए अतिरिक्त आय का साधन बन रहा है। काजरी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सौर ऊर्जा के सपने को जमीन पर साकार कर रहा है। भारत भविष्य में वैकल्पिक ऊर्जा स्रोतों के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनने की दिशा में तेजी से आगे बढ़ रहा है।