पाकिस्तानी पत्रकार- "आप चैंपियन बने हैं, आपने अच्छी गेम खेली है लेकिन सवाल ये है कि इस पूरे टूर्नामेंट में जो आपका व्यवहार रहा पाकिस्तान टीम के साथ...
आपने हैंडशेक नहीं किया
फिर आप ट्रॉफी के लिए फोटो सेशन में नहीं आए
फिर आपने एक सियासी प्रेस कॉन्फ्रेंस की
क्या आप मानते हैं कि क्रिकेट के इतिहास में आप पहले कप्तान हैं जो क्रिकेट में सियासत लेकर आए?
सूर्यकुमार यादव- "बोलना है कि नहीं बोलना है...गुस्सा हो रहे हो आप (हंसते हुए)
सवाल पता ही नहीं चला आपका, आपने चार सवाल पूछ लिए एक साथ."
जगह थी दुबई और मौका था टी20 एशिया कप में जीत के बाद की प्रेस कॉन्फ्रेंस.
प्रेस कॉन्फ्रेंस में भारतीय कप्तान सूर्यकुमार यादव साथी खिलाड़ी अभिषेक शर्मा के साथ मौजूद थे. भले ही इस मौके पर सूर्या ने इस सवाल को हंसकर टालने की कोशिश की, लेकिन इसके बाद भी कई मौकों पर उनसे कुछ ऐसे ही सवाल किए गए.
एक निजी टेलीविजन चैनल के साथ बातचीत में सूर्या ने कहा, "हम क्रिकेट खेलने आए थे, हमने क्रिकेट खेली. पूरे टूर्नामेंट में हमने क्रिकेट पर फोकस किया. उनके साथ हमने पहले मैच में जो स्टैंड लिया था उसको छोड़कर हमने किसी दूसरी चीज़ पर फोकस नहीं किया."
इंडियन एक्सप्रेस के साथ बातचीत में उन्होंने कहा, "सबसे पहले, मैं यह साफ़ कर दूं कि सरकार में से किसी ने या बीसीसीआई में से किसी ने हमें टूर्नामेंट के दौरान ये नहीं कहा कि अगर कोई ख़ास शख्स हमें ट्रॉफी देता है तो हमें नहीं लेना है. हमने ख़ुद-ब-ख़ुद मैदान पर ये फ़ैसला लिया. वे (एसीसी अधिकारी) मंच पर खड़े थे और हम नीचे खड़े थे. मैंने उन्हें मंच पर बात करते हुए देखा और मैं नहीं जानता कि वो क्या बात कर रहे थे. तभी भीड़ में से किसी ने 'बूइंग' शुरू की और फिर हमने देखा कि कोई शख्स जो उनका प्रतिनिधि था, ट्रॉफी लेकर वहां से जा रहा था."
कप्तान और बोर्ड के बयान
भारतीय कप्तान सूर्यकुमार यादव ने प्रेस कॉन्फ़्रेंस में ट्रॉफ़ी न लेने के फ़ैसले पर कहा कि उन्होंने ऐसा पहले कभी नहीं देखा. सूर्यकुमार ने इसे टीम का सामूहिक फ़ैसला बताया.
सूर्या ने कहा कि उन्होंने ऐसा कभी नहीं देखा कि चैंपियन टीम को ट्रॉफ़ी न दी गई हो.
उन्होंने कहा, "वो भी ऐसी ट्रॉफ़ी, जिसे मेहनत से जीता गया हो. मेरा मानना है कि हम इसके हक़दार थे. मैं और कुछ नहीं कह सकता, मैंने अपनी बात साफ़ कर दी है. अगर आप मुझसे ट्रॉफ़ियों के बारे में पूछते हैं, तो मेरी ट्रॉफ़ियाँ मेरे ड्रेसिंग रूम में हैं. मेरे साथ मौजूद सभी 14 खिलाड़ी और सपोर्ट स्टाफ़ ही असली ट्रॉफ़ियाँ हैं."
जब एक पत्रकार ने पूछा कि मोहसिन नक़वी से ट्रॉफी न लेने का फ़ैसला आधिकारिक था या नहीं, तो सूर्यकुमार यादव ने कहा, "यह फ़ैसला हमने मैदान पर ही किया, हमें किसी ने नहीं बोला ऐसा करने के लिए. आप जब पूरे टूर्नामेंट में इतना अच्छा खेलते हैं और जीत गए, तो ट्रॉफ़ी डिज़र्व करते हैं या नहीं? आप ही बताओ?"
हालाँकि बीसीसीआई के सचिव देवजीत सैकिया ने न्यूज़ एजेंसी एएनआई से जो कहा उससे कहीं नहीं लगा कि खिलाड़ियों ने अपने विवेक से एशियन क्रिकेट काउंसिल (एसीसी) के अध्यक्ष मोहसिन नक़वी के हाथों ट्रॉफी नहीं लेने का फ़ैसला किया.
सैकिया ने एएनआई से कहा, "हमने एसीसी अध्यक्ष से एशिया कप 2025 ट्रॉफ़ी न लेने का फ़ैसला किया है. वे पाकिस्तान के प्रमुख नेताओं में से एक हैं. इसलिए हमने उनसे इसे न लेने का निर्णय लिया. लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि ट्रॉफी और पदक उनके पास ही रहेंगे. हम आशा करते हैं कि इन्हें जल्द से जल्द भारत को लौटा दिया जाएगा. नवंबर में दुबई में आईसीसी की बैठक है. हम एसीसी अध्यक्ष के ख़िलाफ़ कड़ा विरोध दर्ज कराएँगे."
एशिया कप में कहां से शुरू हुआ विवाद
टूर्नामेंट पर शुरुआत से ही विवाद का साया रहा. विवाद कहीं और नहीं सिर्फ़ भारत-पाकिस्तान मुक़ाबलों से जुड़ा रहा.
सूर्यकुमार यादव ने 14 सितंबर को हुए मुकाबले में पाकिस्तानी कप्तान सलमान अली आगा से टॉस के समय हाथ नहीं मिलाया था. उन्होंने मैच खत्म होने के बाद भी हाथ नहीं मिलाया.
पोस्ट मैच प्रेजेंटेशन में उन्होंने कहा, "मैं थोड़ा समय लेना चाहता हूँ. यह बिलकुल सही मौका है, हम पहलगाम हमले के पीड़ितों के परिवारों के साथ खड़े हैं. हम उनके साथ हैं. इस जीत को हमारे सभी सशस्त्र बलों को समर्पित करना चाहते हैं जिन्होंने अदम्य साहस दिखाया. आशा है कि वे हमें प्रेरित करते रहेंगे और जब भी हमें मौका मिले, हम उन्हें मैदान पर मुस्कुराने का और भी कारण देंगे."
इस बयान के बाद उन्होंने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि देशभक्ति के ऊपर कुछ नहीं है. इस बयान को लेकर सूर्यकुमार की मुश्किलें बढ़ गई थीं. उन पर मैच फीस का 30 प्रतिशत जुर्माना लगाया गया था.
क्रिकेट विश्लेषक अयाज़ मेमन कहते हैं, "एशिया कप में सियासत का माहौल तो शुरुआत से ही बन गया था. जब भारतीय टीम ने ये पोजीशन ले ली कि पाकिस्तान टीम के साथ हाथ नहीं मिलाना है. ज़ाहिर है इस फ़ैसले में बोर्ड और सरकार सभी एक सहमति पर रहे होंगे."
'राजनीति को खेल में न घसीटें'पूर्व भारतीय कप्तान कपिल देव ने भी इस मुद्दे पर अपनी राय रखी. उन्होंने इंडिया टुडे से बातचीत में कहा कि खिलाड़ियों के निजी जज्बात हो सकते हैं, लेकिन जब एक बार सरकार और बीसीसीआई ने तय कर लिया कि खेल (भारत-पाकिस्तान मैच) होगा तब क्रिकेटर का काम सिर्फ़ प्रदर्शन करना रह जाता है.
हैंडशेक विवाद और ट्रॉफी नहीं लेने के सवाल पर उन्होंने कहा कि इसे ज़्यादा अहमियत नहीं देनी चाहिए और मुद्दे को 'खींचना' नहीं चाहिए. कपिल ने कहा, "आपको आगे बढ़ जाना चाहिए. सरकार को अपना काम करने दीजिए, राजनेताओं को उनका काम करने दीजिए. हमारा काम इंपैक्ट करने का है और मेरा मानना है कि भारतीय टीम ने (एशिया कप में) ये किया है- एक बार नहीं, तीन बार."
अयाज़ मेमन कहते हैं, "खेल को राजनीति में घसीटने की प्रवृत्ति खत्म होनी चाहिए. आईसीसी को क्रिकेट बोर्ड और देशों की सरकारों के साथ मिलकर इसका हल निकालना चाहिए. मुझे नहीं लगता कि एशिया कप में भी भारत-पाकिस्तान मुक़ाबलों में खिलाड़ी ऐसा चाहते होंगे, प्लेयर्स फंस से गए हैं. ज़रूरी है कि सबका अपना और स्वतंत्र विचार हो."
इसमें कोई दो मत नहीं कि पूरे टूर्नामेंट में मैदान पर हरी जर्सी (पाकिस्तान टीम की ड्रेस) के सामने नीली जर्सी (भारतीय टीम की ड्रेस) का प्रदर्शन शानदार रहा और भारत ने रिकॉर्ड नौवीं बार एशिया कप का खिताब हासिल किया, लेकिन इस उपलब्धि को विवादों ने कुछ हल्का तो किया ही है.
अयाज़ मेमन कहते हैं, "एशिया कप में भारत ने जो स्टैंड लिया और उसके बाद पाकिस्तान टीम की जो प्रतिक्रिया आई और उसके बाद फ़ाइनल में जो क्लाइमैक्स रहा, खेल के मंच पर ऐसा नहीं होना चाहिए."
भारतीय टीम के बर्ताव पर पाकिस्तान ने क्या कहा?
पाकिस्तान टीम के कप्तान सलमान आग़ा से भी पूरे टूर्नामेंट में भारत के बर्ताव के बारे में पूछा गया. इस पर सलमान ने कहा कि वह बहुत कठोर शब्दों का प्रयोग नहीं करना चाहते, फिर भी उन्होंने सूर्यकुमार यादव की टीम के बर्ताव को 'अपमानजनक' बताया.
उन्होंने कहा, "इस टूर्नामेंट में जो हुआ वह बहुत निराशाजनक है. उन्होंने जो किया, एक अच्छी टीम कभी इस तरह का व्यवहार नहीं करेगी. एक अच्छी टीम वैसा ही व्यवहार करेगी जैसा हमने किया. हम वहां अपने मेडल लेने के लिए इंतज़ार कर रहे थे. खेल शुरू होने से पहले हमने ट्रॉफी के साथ अलग से अपनी तस्वीरें खिंचवाईं. मैं बहुत कठोर शब्दों का प्रयोग नहीं करना चाहता. यह बहुत अपमानजनक है. वे खेल का अपमान कर रहे हैं."
सलमान ने यह भी दावा किया कि सूर्यकुमार यादव ने टूर्नामेंट की शुरुआत में उनसे निजी तौर पर हाथ मिलाया था. आगा़ ने दावा किया कि सूर्यकुमार यादव ने टूर्नामेंट से पहले प्रेस कॉन्फ्रेंस में भी और रेफरी की मीटिंग में उनसे हाथ मिलाया था. लेकिन जब वे कैमरे के सामने होते हैं तब हाथ नहीं मिलाते. उन्होंने यहां तक कहा कि उन्हें यकीन है कि भारतीय खिलाड़ी निर्देशों का पालन कर रहे हैं. लेकिन अगर यह उनके हाथ में होता तो वे हाथ ज़रूर मिलाते."
शिवसेना (यूबीटी) सांसद संजय राउत ने भी 'क्रिकेट में सियासत को मिलाने पर' अपनी प्रतिक्रिया दी थी.
उन्होंने कहा, "15 दिन पहले सिरीज़ की शुरुआत में पाकिस्तान के मंत्री मोहसिन नक़वी के साथ हाथ भी मिलाया ,फोटो खिंचवाया. अभी ये लोग देश को नौटंकी दिखा रहे हैं. इतनी राष्ट्रभक्ति आपके खून में थी तो पाकिस्तान के साथ मैदान में नहीं उतरना था, ऊपर से नीचे तक ड्रामा ही ड्रामा."
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दुबई में भारत-पाकिस्तान मुक़ाबलों में हुए घटनाक्रम के बाद सवाल ये है कि आगे चलकर दोनों देशों का क्रिकेट को लेकर क्या रुख़ रहेगा.
अयाज़ मेमन कहते हैं, "अभी कुछ ही दिनों में महिला वर्ल्ड कप में भारत और पाकिस्तान की टीमें टकराने वाली हैं, क्या वहाँ भी ऐसा ही कुछ देखने को मिलेगा?"
भारत और पाकिस्तान की टीम महिला वर्ल्ड कप का मैच 5 अक्तूबर को श्रीलंका के प्रेमदासा स्टेडियम में खेलेंगी.
इसके अलावा अगले साल फ़रवरी-मार्च में भारत को टी20 वर्ल्ड कप की मेजबानी भी करनी है, ज़ाहिर है यहां भी भारत और पाकिस्तान की टीमें आमने-सामने होंगी.
अयाज़ मेमन कहते हैं, "आईसीसी की प्रतियोगिता है तो दोनों देशों की टीमें खेलेंगी. लेकिन आईसीसी को इस बारे में बीसीसीआई और भारत सरकार से बात कर कोई हल निकालना चाहिए."
सूर्या का टीम इंडिया तक का सफ़र
15 दिसंबर 2010 को प्रथम श्रेणी क्रिकेट की शुरुआत करने वाले यादव को 14 मार्च, 2021 को देश के लिए खेलने का पहला अवसर मिला था. यानी घरेलू क्रिकेट से इंटरनेशनल क्रिकेट के सफ़र के लिए उन्हें 11 साल लंबा इंतज़ार करना पड़ा.
जब वे घरेलू क्रिकेट में रन बटोर रहे थे तब उन्हें टीम में जगह नहीं मिल रही थी. लेकिन सूर्यकुमार ने उम्मीद नहीं छोड़ी. संघर्ष के दिनों में सूर्यकुमार ऑस्ट्रेलिया के एक क्रिकेटर को अपना आदर्श मानते रहे. उनके दिमाग़ में हमेशा ऑस्ट्रेलियाई क्रिकेटर माइकल हसी रहते थे.
ऑस्ट्रेलियाई टीम में महान खिलाड़ियों की मौजूदगी के चलते हसी को भी दस साल तक इंतज़ार करना पड़ा था. हसी ने इसकी कोई शिकायत नहीं की, नाराजगी नहीं जताई, बस रन बटोरते रहे. और जब उन्हें मौका मिला तो वो 30 के हो चुके थे.
ठीक ऐसा ही सूर्यकुमार के साथ भी हुआ. सूर्यकुमार ने महसूस किया कि भारतीय टीम के दरवाजे तब तक नहीं खुलेंगे जब तक वे ताबड़तोड़ रन नहीं बनाएंगे.
आईपीएल टूर्नामेंट में फिनिशर के तौर पर तो कभी मिडिल ऑर्डर के तौर पर उनकी भूमिका बदलती रही.
सूर्यकुमार तब भी निराश नहीं हुए जब उनके साथियों को भारत के लिए खेलने का मौक़ा मिल रहा था.
उन्हें भी तब भारतीय टीम में शामिल किया गया जब वह उम्र के तीसरे दशक पर थे, ऐसा पड़ाव जो खिलाड़ियों के लिए अंतिम पड़ाव माना जाता है.
लेकिन जब से सूर्यकुमार यादव भारत की टी20 टीम में शामिल हुए उन्होंने कई धांसू पारियां खेली और इस फॉर्मेट में नंबर वन रैंकिंग भी हासिल कर चुके हैं.
रोहित शर्मा के टी20 फॉर्मेट से रिटायरमेंट लेने के बाद टीम की कप्तानी सूर्यकुमार को सौंप दी गई थी.
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