जनता दल (सेक्युलर) के पूर्व सांसद और पूर्व प्रधानमंत्री एचडी देवगौड़ा के पोते प्रज्वल रेवन्ना को 48 साल की महिला से दुष्कर्म मामले में उम्रक़ैद की सज़ा मिलने से अन्य पीड़ितों और उनके रिश्तेदारों ने प्रतिक्रिया दी है.
लेकिन उनकी 'न्याय व्यवस्था पर भरोसा' बढ़ने की वजह सिर्फ़ सज़ा तक सीमित नहीं है.
सर्वाइवर के एक रिश्तेदार ने नाम न बताने की शर्त पर बीबीसी हिंदी को बताया "हम ख़ुश इसलिए नहीं हैं कि उसे सज़ा मिली है. हमारी चिंता यह थी कि हमारे रिश्तेदार की छवि ख़राब साबित न हो. उसने अपने राजनीतिक असर का इस्तेमाल करके मेरी रिश्तेदार का नाम, इज़्ज़त ख़राब की और मानसिक पीड़ा दी."
निर्वाचित प्रतिनिधियों के लिए विशेष अदालत की अध्यक्षता करने वाले एडिशनल सिटी सिविल एंड सेशन्स जज संतोष गजानन भट ने ये फ़ैसला सुनाया.
जनता दल (सेक्युलर) के पूर्व सांसद प्रज्वल रेवन्ना के ख़िलाफ़ पिछले साल यौन शोषण के चार मामले दर्ज किए गए थे. इन चार मामलों में से, पहले मामले में उन्हें शुक्रवार को दोषी क़रार दिया गया.
प्रज्वल रेवन्ना को उनके घर में काम करने वाली 48 वर्षीय महिला सर्वाइवर के रेप केस में लगाए गए सभी आरोपों में दोषी ठहराया गया.
जज के पास 10 साल या 14 साल की जेल की सज़ा देने का विकल्प था, लेकिन उन्होंने उम्रकैद की सज़ा चुनी.
सर्वाइवर के रिश्तेदार क्या बोलेजिन लोगों ने रेवन्ना के ख़िलाफ़ केस दर्ज करवाया और जिन्होंने नहीं करवाया, दोनों का कहना है कि कोर्ट का फ़ैसला एक साफ़ संदेश है कि राजनीतिक रूप से ताक़तवर लोगों को भी क़ानून के सामने झुकना पड़ेगा.
प्रज्वल रेवन्ना पर ऐसे ही आरोपों के तीन और मामले दर्ज हैं, जबकि कई पीड़ित डर या झिझक के कारण पुलिस तक नहीं पहुंच सके.
आज जिन सर्वाइवर के मामले में फ़ैसला आया, उनके रिश्तेदार ने राज्य सरकार की ओर से गठित विशेष जांच टीम की महिला अधिकारियों की मेहनत की सराहना की.
उन्होंने कहा, "हमें इस केस में पूरा भरोसा नहीं था. लग रहा था कि संभावना सिर्फ 50-50 है. लेकिन महिला अफ़सरों ने बहुत मेहनत की. हमें अंदाज़ा नहीं था कि नतीजा इतना सकारात्मक होगा."
जज भट की अदालत में एक अन्य सर्वाइवर का मामला भी चल रहा है.
उन सर्वाइवर के रिश्तेदार ने कहा, "इस फ़ैसले ने हमें बहुत भरोसा दिया है. हमारे समाज में एक महिला के लिए सबसे अहम क्या है? उसकी इज़्ज़त और सम्मान. यही बात इस फ़ैसले से सामने आई. अगर ऐसे फ़ैसले आते रहे तो हमारा क़ानून पर विश्वास और मज़बूत होगा."
एक और सर्वाइवर के रिश्तेदार ने कहा, "आख़िरकार हम न तो आर्थिक रूप से और न ही राजनीतिक रूप से ताक़तवर हैं. हमें नहीं पता कि ऐसे लोगों का असर कहां तक पहुंचता है. यही बात हमें सबसे ज़्यादा डराती है."
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सामाजिक कार्यकर्ता रूपा हासन ने बीबीसी हिंदी से कहा कि इस केस में इतनी जल्दी कोर्ट का फ़ैसला आना वाक़ई हैरान करने वाला था.
हासन कहती हैं, "इससे उन लोगों का संदेह थोड़ा कम हुआ है जिन्होंने शिकायत दर्ज नहीं कराई थी."
लेकिन एक और पहलू है, जो उन कई महिलाओं को प्रभावित कर रहा है जो ऐसे ही मामलों में सर्वाइवर हैं.
सामाजिक कार्यकर्ता रूपा हासन ने बीबीसी हिंदी से कहा, "ऐसी कई महिलाओं ने मुझे बताया कि इस फ़ैसले से उन्हें कुछ मानसिक सुकून मिला है. लेकिन वे चाहती हैं कि उन लोगों के ख़िलाफ़ तुरंत कार्रवाई हो जिन्होंने उनके यौन हिंसा के वीडियो पेन ड्राइव के ज़रिये फैलाए."
उन्होंने कहा, "इन महिलाओं का मानना है कि इन वीडियो के फैलने से उनकी ज़िंदगी और इज़्ज़त को बहुत ज़्यादा नुक़सान पहुंचा है."
1632 पन्नों की चार्जशीट और 26 गवाहप्रज्वल रेवन्ना के ख़िलाफ़ अभियोजन पक्ष ने 1632 पन्नों की चार्जशीट, इलेक्ट्रॉनिक और ग़ैर-इलेक्ट्रॉनिक सबूत के साथ 183 डॉक्यूमेंट पेश किए. अदालत ने केस दर्ज कराने वाली सर्वाइवर के परिवार सहित 26 गवाहों से पूछताछ की थी.
अदालत ने इस साल 2 मई को मामले की सुनवाई शुरू की और मामले को पूरा करने के लिए हर रोज़ बैठक की. अदालत में मौजूद वकीलों के मुताबिक़, जज के फ़ैसला सुनाए जाने के बाद प्रज्वल रेवन्ना अदालत में ही रो पड़े.
विशेष जाँच दल (एसआईटी) की चार महिला पुलिस अधिकारी प्रज्वल रेवन्ना को भारी सुरक्षा के बीच परप्पना अग्रहारा जेल से कोर्ट लेकर आई थीं.
जज के आदेश के कुछ ही मिनटों के अंदर, उन्हें वापस जेल ले जाया गया.
बीबीसी के लिए कलेक्टिव न्यूज़रूम की ओर से प्रकाशित
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