स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर लाल किले से अपने भाषण में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को घोषणा की कि दिवाली तक नेक्स्ट जनरेशन के जीएसटी (वस्तु एवं सेवा कर) सुधार लागू कर दिए जाएंगे, जिसका उद्देश्य लोगों के जीवन में प्रतिदिन इस्तेमाल होने वाली वस्तुओं पर टैक्स कम करना है.
पीएम मोदी ने 15 अगस्त के अपने भाषण में कहा कि "मैं दिवाली पर एक बड़ा तोहफ़ा देने जा रहा हूं. पिछले 8 सालों में हमने जीएसटी में बड़ा सुधार किया, टैक्स को सरल बनाया. अब समय की मांग है कि समीक्षा की जाए और हमने समीक्षा की. राज्यों से भी बात की, हम अगली पीढ़ी के जीएसटी में सुधार ला रहे हैं."
लाल किले की प्राचीर से उन्होंने कहा कि नागरिकों द्वारा चुकाए जाने वाले टैक्स में भारी कमी आएगी, जिससे छोटे उद्योगों और एमएसएमई को लाभ होगा, जबकि दैनिक उपयोग की वस्तुएं सस्ती हो जाएंगी.
पीएम मोदी की यह घोषणा बताती है कि भारत अपने जीएसटी ढांचे को सरल बनाने की दिशा में मज़बूती से आगे बढ़ रहा है. मंत्रियों का एक समूह एक रिपोर्ट तैयार कर रहा है जो टैक्स स्लैब को मिलाने और कुछ प्रोडक्ट पर टैक्स स्लैब को कम करने पर विचार करेगी.
सरकार ने पहले कहा था कि वह 2017 में शुरू की गई कर व्यवस्था के तहत विभिन्न श्रेणियों के लिए कर दरों का जिक्र करते हुए जीएसटी दरों में बदलाव करना चाहती है और ब्रैकेट की संख्या कम करना चाहती है.
देश वर्तमान में सोने और चांदी को छोड़कर अधिकांश वस्तुओं और सेवाओं पर 5%, 12%, 18% और 28% की दर से जीएसटी लगाता है और सिगरेट और हाई-एंड कारों जैसे तथाकथित डिमेरिट आइटम पर अतिरिक्त शुल्क लगाता है.
सिटी ने अनुमान लगाया कि लगभग 20% आइटम जिसमें पैकेज्ड फूड और बेवरेज, टैक्स्टाइल और होटल आवास शामिल हैं, वे 12% जीएसटी स्लैब में आते हैं, जो खपत का 5-10% और जीएसटी राजस्व का 5-6% है. ब्रोकरेज ने कहा कि अगर इनमें से ज्यादातर को 5% स्लैब में और कुछ को 18% स्लैब में ले जाया जाता है तो इससे लगभग 500 बिलियन रुपये या जीडीपी का 0.15% का राजस्व नुकसान हो सकता है, जो संभावित रूप से चालू 2025-26 वित्तीय वर्ष में परिवारों के लिए कुल नीतिगत प्रोत्साहन को जीडीपी के 0.6% -0.7% तक ले जाएगा.
डेलॉइट की हालिया रिपोर्ट GST@8 ने पिछले साल को जीएसटी के लिए एक ब्लॉकबस्टर बताया. साल 2024-25 में ग्रोस जीएसटी क्लेक्शन रिकॉर्ड 22.08 लाख करोड़ रुपये तक पहुंच गया, जो साल-दर-साल 9.4 प्रतिशत की ग्रोथ दर्शाता है.
पीएम मोदी ने 15 अगस्त के अपने भाषण में कहा कि "मैं दिवाली पर एक बड़ा तोहफ़ा देने जा रहा हूं. पिछले 8 सालों में हमने जीएसटी में बड़ा सुधार किया, टैक्स को सरल बनाया. अब समय की मांग है कि समीक्षा की जाए और हमने समीक्षा की. राज्यों से भी बात की, हम अगली पीढ़ी के जीएसटी में सुधार ला रहे हैं."
लाल किले की प्राचीर से उन्होंने कहा कि नागरिकों द्वारा चुकाए जाने वाले टैक्स में भारी कमी आएगी, जिससे छोटे उद्योगों और एमएसएमई को लाभ होगा, जबकि दैनिक उपयोग की वस्तुएं सस्ती हो जाएंगी.
पीएम मोदी की यह घोषणा बताती है कि भारत अपने जीएसटी ढांचे को सरल बनाने की दिशा में मज़बूती से आगे बढ़ रहा है. मंत्रियों का एक समूह एक रिपोर्ट तैयार कर रहा है जो टैक्स स्लैब को मिलाने और कुछ प्रोडक्ट पर टैक्स स्लैब को कम करने पर विचार करेगी.
सरकार ने पहले कहा था कि वह 2017 में शुरू की गई कर व्यवस्था के तहत विभिन्न श्रेणियों के लिए कर दरों का जिक्र करते हुए जीएसटी दरों में बदलाव करना चाहती है और ब्रैकेट की संख्या कम करना चाहती है.
देश वर्तमान में सोने और चांदी को छोड़कर अधिकांश वस्तुओं और सेवाओं पर 5%, 12%, 18% और 28% की दर से जीएसटी लगाता है और सिगरेट और हाई-एंड कारों जैसे तथाकथित डिमेरिट आइटम पर अतिरिक्त शुल्क लगाता है.
सिटी ने अनुमान लगाया कि लगभग 20% आइटम जिसमें पैकेज्ड फूड और बेवरेज, टैक्स्टाइल और होटल आवास शामिल हैं, वे 12% जीएसटी स्लैब में आते हैं, जो खपत का 5-10% और जीएसटी राजस्व का 5-6% है. ब्रोकरेज ने कहा कि अगर इनमें से ज्यादातर को 5% स्लैब में और कुछ को 18% स्लैब में ले जाया जाता है तो इससे लगभग 500 बिलियन रुपये या जीडीपी का 0.15% का राजस्व नुकसान हो सकता है, जो संभावित रूप से चालू 2025-26 वित्तीय वर्ष में परिवारों के लिए कुल नीतिगत प्रोत्साहन को जीडीपी के 0.6% -0.7% तक ले जाएगा.
डेलॉइट की हालिया रिपोर्ट GST@8 ने पिछले साल को जीएसटी के लिए एक ब्लॉकबस्टर बताया. साल 2024-25 में ग्रोस जीएसटी क्लेक्शन रिकॉर्ड 22.08 लाख करोड़ रुपये तक पहुंच गया, जो साल-दर-साल 9.4 प्रतिशत की ग्रोथ दर्शाता है.
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