टेस्ला (Tesla) के चीफ फाइनेंशियल ऑफिसर वैभव तनेजा 2024 में 139 मिलियन डॉलर की कुल कमाई के साथ ग्लोबल कॉर्पोरेट सर्किट में छा गए हैं। भारतीय मूल के इस अधिकारी की सैलरी ने गूगल के सुंदर पिचाई (10.73 मिलियन डॉलर) और माइक्रोसॉफ्ट के सत्य नडेला (79.1 मिलियन डॉलर) जैसे दिग्गजों को भी पीछे छोड़ दिया है। क्या है तनेजा की इतनी बड़ी कमाई का रहस्य?जानकारों के मुताबिक तनेजा की 139 मिलियन डॉलर की कमाई का बड़ा हिस्सा कैश में नहीं है। उनकी बेस सैलरी 400,000 डॉलर (3.33 करोड़ रुपये) है, जबकि बाकी रकम स्टॉक ऑप्शन और इक्विटी अवॉर्ड्स से जुड़ी है। टेस्ला के शेयर उस समय 250 डॉलर के आसपास थे जब उन्होंने अपनी इक्विटी को एनकैश किया। चार्टर्ड अकाउंटेंट से लेकर टेस्ला सीएफओ तक बनने तक का सफरवैभव तनेजा ने 2017 में Tesla जॉइन किया था। PwC और सोलर सिटी में काम करने के बाद वे 2019 में टेस्ला के चीफ अकाउंटिंग ऑफिसर बने और 2023 में उन्हें सीएफओ बना दिया गया। उनके नेतृत्व में कंपनी की ग्लोबल फाइनेंशियल स्ट्रेटजी को नया आकार मिला है। टेस्ला इंडिया में भी निभा चुके हैं बड़ी भूमिका2021 में तनेजा को टेस्ला इंडिया मोटर्स एंड एनर्जी प्राइवेट लिमिटेड का डायरेक्टर नियुक्त किया गया। उन्होंने भारत में टेस्ला की संभावनाओं और योजनाओं को लेकर अहम रणनीति तैयार की। उनका भारतीय कनेक्शन टेस्ला के लिए भारत में विस्तार की दिशा में महत्वपूर्ण साबित हो सकता है। "शांत, व्यवहारिक और ग्राउंडेड": पूर्व सहयोगियों की रायएथर एनर्जी के वाइस प्रेसिडेंट मनुज खुराना, जिन्होंने 2020-22 में टेस्ला में काम किया, ने तनेजा को एक बेहद व्यावहारिक और शांत इंसान बताया। उनका कहना है कि वह हमेशा बहुत शांत, संयमित और जमीन से जुड़े रहते थे और उनमें बिल्कुल भी दिखावा नहीं था। टेस्ला जैसी तेज-रफ्तार कंपनी में वैभव की व्यवहारिक सोच और स्थिरता उन्हें औरों से अलग बनाती है। ऑब्वियस चॉइसजब जैक किरखोर्न (Zack Kirkhorn) ने CFO पद छोड़ा, तब तनेजा को “ऑब्वियस चॉइस” कहा गया। टेस्ला में बाहरी की बजाय आंतरिक टैलेंट को प्रमोट करने की परंपरा रही है। दीपक आहूजा भी भारतीय मूल के पूर्व सीएफओ रह चुके हैं, जो अब जिपलाइन में सीएफओ हैं। वैभव तनेजा की शैक्षणिक पृष्ठभूमि और प्रोफेशनल सफर47 वर्षीय तनेजा ने 1999 में दिल्ली विश्वविद्यालय से बी.कॉम किया। 2000 में चार्टर्ड अकाउंटेंट बने और 2006 में अमेरिका में CPA (Certified Public Accountant) की डिग्री प्राप्त की। उन्होंने PwC में 17 साल तक भारत और अमेरिका में काम किया और फिर सोलर सिटी होते हुए टेस्ला पहुंचे। इंजीनियरिंग नहीं, फाइनेंस बैकग्राउंड से भी चमक सकता है करियरतनेजा की सफलता इस मिथक को तोड़ती है कि सिर्फ इंजीनियर ही बड़ी टेक कंपनियों में टॉप पदों तक पहुंच सकते हैं। उनके जैसे फाइनेंस और अकाउंटिंग बैकग्राउंड के पेशेवर भी अब दुनिया की सबसे बड़ी कंपनियों को नेतृत्व दे रहे हैं। "सिर्फ पैसा नहीं, समाज पर असर भी ज़रूरी": इंडियास्पोराइंडियास्पोरा (Indiaspora) के कार्यकारी निदेशक संजीव जोशीपुरा का कहना है कि ऐसे भारतीय मूल के अधिकारी अब “मेगा डिसीजन” लेने वाली भूमिका में आ रहे हैं, जो नौकरियों और संपत्ति के सृजन के साथ समाज पर बड़ा प्रभाव डाल रहे हैं। इससे भारतीय समुदाय की वैश्विक पहचान भी मजबूत हो रही है।Apple में भी भारतीय सीएफओटेस्ला ही नहीं, Apple में भी भारतीय मूल के केवन पारेख को हाल ही में सीएफओ बनाया गया है। इससे यह स्पष्ट होता है कि भारतीय टैलेंट अब सिर्फ टेक कंपनियों तक सीमित नहीं रह गया है, बल्कि फाइनेंस और ऑपरेशंस में भी नेतृत्व कर रहा है।(अस्वीकरण: विशेषज्ञों द्वारा दी गई सिफारिशें, सुझाव, विचार और राय उनके अपने हैं। ये इकोनॉमिक टाइम्स हिन्दी के विचारों का प्रतिनिधित्व नहीं करते हैं।)
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