केंद्र सरकार ने हाल ही में आयकर ऑडिट की समयसीमा बढ़ाकर 31 अक्टूबर 2025 कर दी है. पहले ये समयसीमा 30 सितंबर 2025 थी. अब व्यवसायियों और पेशेवरों के पास अपने टैक्स ऑडिट की रिपोर्ट जमा करने के लिए एक अतिरिक्त महीना है. ये फैसला टैक्स विशेषज्ञों और उद्योग संगठनों की लगातार मांगों के बाद लिया गया है.
टैक्स ऑडिट किसे कराना जरूरी है?हर करदाता के लिए टैक्स ऑडिट जरूरी नहीं होता. इसके लिए अलग-अलग नियम हैं.
व्यवसायियों और कंपनियों के लिए नियमयदि किसी व्यवसाय या कंपनी का सालाना टर्नओवर 1 करोड़ रुपये से अधिक है, तो उन्हें ऑडिट कराना अनिवार्य है. यदि नकद लेन-देन कुल टर्नओवर का 5% से कम है, तो ये सीमा 10 करोड़ रुपये तक बढ़ जाती है.
पेशेवरों के लिए नियमडॉक्टर, वकील, आर्किटेक्ट, कंसल्टेंट जैसी प्रोफेशनल्स को भी ऑडिट कराना पड़ता है. यदि उनकी सालाना आय 50 लाख रुपये से अधिक हो. नकद लेन-देन कम होने पर ये सीमा 75 लाख रुपये तक बढ़ सकती है.
छोटे व्यवसाय और पेशेवर के लिए नियमछोटे व्यवसाय और पेशेवर के लिए भी ये नियम है, जो धारा 44एडी और 44एडीए के तहत तय की गई अनुमानित दर पर अपनी आय दिखाते हैं. उन्हें आमतौर पर ऑडिट से छूट मिलती है. लेकिन यदि उनका वास्तविक लाभ तय सीमा से कम या आय तय सीमा से ज्यादा हो, तो ऑडिट जरूरी हो जाता है.
ऑडिट को लेकर आम गलतफहमियांकई करदाता ऑडिट नियमों को सही तरीके से नहीं समझते. उदाहरण के लिए, डिजिटल लेन-देन केवल UPI या कार्ड पेमेंट नहीं होता, बल्कि बैंक ट्रांसफर और डिमांड ड्राफ्ट भी इसमें शामिल हैं.
अगर लाभ तय सीमा से कम हो, या बार-बार अनुमानित कर और नियमित कराधान के बीच स्विच किया गया हो, तो ऑडिट अनिवार्य हो जाता है.
31 अक्टूबर से पहले ये काम जरूर कर लें दस्तावेज तैयार करेंअपनी सभी वित्तीय जानकारी, बैंक स्टेटमेंट, लेन-देन की डिटेल और खर्चों के रिकॉर्ड तैयार रखें.
ऑडिट रिपोर्ट तैयार करेंचार्टर्ड अकाउंटेंट (CA) से संपर्क करके ऑडिट रिपोर्ट समय पर बनवाएं.
रिटर्न दाखिल करने की तैयारीऑडिट रिपोर्ट तैयार होने के बाद ही आयकर रिटर्न भरें. बिना ऑडिट रिपोर्ट रिटर्न दाखिल करना अवैध है.
समयसीमा का पालन करें31 अक्टूबर 2025 तक रिपोर्ट जमा करना सुनिश्चित करें. समय पर रिपोर्ट नहीं जमा करने पर जुर्माना लगाया जा सकता है.
समयसीमा चूकने पर जुर्माना यदि ऑडिट समय पर नहीं कराया गया, तो धारा 271बी के तहत जुर्माना लगाया जा सकता है. यह जुर्माना अधिकतम 1.5 लाख रुपये तक या टर्नओवर का 0.5% तक हो सकता है. इसके अलावा विलंब शुल्क और ब्याज भी देना पड़ सकता है.
CBDT के अनुसार, 24 सितंबर 2025 तक 4 लाख से अधिक ऑडिट रिपोर्ट जमा हो चुकी थीं. इनमें अकेले एक दिन में 60,000 से अधिक रिपोर्ट अपलोड हुईं. दस्तावेज़ तैयार करना और वैरिफिकेशन करना समय लेने वाला काम है. इसलिए एक महीने का अतिरिक्त समय करदाताओं के लिए राहत है.
टैक्स ऑडिट किसे कराना जरूरी है?हर करदाता के लिए टैक्स ऑडिट जरूरी नहीं होता. इसके लिए अलग-अलग नियम हैं.
व्यवसायियों और कंपनियों के लिए नियमयदि किसी व्यवसाय या कंपनी का सालाना टर्नओवर 1 करोड़ रुपये से अधिक है, तो उन्हें ऑडिट कराना अनिवार्य है. यदि नकद लेन-देन कुल टर्नओवर का 5% से कम है, तो ये सीमा 10 करोड़ रुपये तक बढ़ जाती है.
पेशेवरों के लिए नियमडॉक्टर, वकील, आर्किटेक्ट, कंसल्टेंट जैसी प्रोफेशनल्स को भी ऑडिट कराना पड़ता है. यदि उनकी सालाना आय 50 लाख रुपये से अधिक हो. नकद लेन-देन कम होने पर ये सीमा 75 लाख रुपये तक बढ़ सकती है.
छोटे व्यवसाय और पेशेवर के लिए नियमछोटे व्यवसाय और पेशेवर के लिए भी ये नियम है, जो धारा 44एडी और 44एडीए के तहत तय की गई अनुमानित दर पर अपनी आय दिखाते हैं. उन्हें आमतौर पर ऑडिट से छूट मिलती है. लेकिन यदि उनका वास्तविक लाभ तय सीमा से कम या आय तय सीमा से ज्यादा हो, तो ऑडिट जरूरी हो जाता है.
ऑडिट को लेकर आम गलतफहमियांकई करदाता ऑडिट नियमों को सही तरीके से नहीं समझते. उदाहरण के लिए, डिजिटल लेन-देन केवल UPI या कार्ड पेमेंट नहीं होता, बल्कि बैंक ट्रांसफर और डिमांड ड्राफ्ट भी इसमें शामिल हैं.
अगर लाभ तय सीमा से कम हो, या बार-बार अनुमानित कर और नियमित कराधान के बीच स्विच किया गया हो, तो ऑडिट अनिवार्य हो जाता है.
31 अक्टूबर से पहले ये काम जरूर कर लें दस्तावेज तैयार करेंअपनी सभी वित्तीय जानकारी, बैंक स्टेटमेंट, लेन-देन की डिटेल और खर्चों के रिकॉर्ड तैयार रखें.
ऑडिट रिपोर्ट तैयार करेंचार्टर्ड अकाउंटेंट (CA) से संपर्क करके ऑडिट रिपोर्ट समय पर बनवाएं.
रिटर्न दाखिल करने की तैयारीऑडिट रिपोर्ट तैयार होने के बाद ही आयकर रिटर्न भरें. बिना ऑडिट रिपोर्ट रिटर्न दाखिल करना अवैध है.
समयसीमा का पालन करें31 अक्टूबर 2025 तक रिपोर्ट जमा करना सुनिश्चित करें. समय पर रिपोर्ट नहीं जमा करने पर जुर्माना लगाया जा सकता है.
समयसीमा चूकने पर जुर्माना यदि ऑडिट समय पर नहीं कराया गया, तो धारा 271बी के तहत जुर्माना लगाया जा सकता है. यह जुर्माना अधिकतम 1.5 लाख रुपये तक या टर्नओवर का 0.5% तक हो सकता है. इसके अलावा विलंब शुल्क और ब्याज भी देना पड़ सकता है.
CBDT के अनुसार, 24 सितंबर 2025 तक 4 लाख से अधिक ऑडिट रिपोर्ट जमा हो चुकी थीं. इनमें अकेले एक दिन में 60,000 से अधिक रिपोर्ट अपलोड हुईं. दस्तावेज़ तैयार करना और वैरिफिकेशन करना समय लेने वाला काम है. इसलिए एक महीने का अतिरिक्त समय करदाताओं के लिए राहत है.
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