चीन भारत के साथ अपने रिश्तों को सुधारने की कोशिश कर रहा है, लेकिन विशेषज्ञों का मानना है कि इसकी मंशा पर भरोसा नहीं किया जा सकता। 1962 के युद्ध का उदाहरण देते हुए, वे चेतावनी देते हैं कि चीन ने हमेशा भारत के साथ धोखा किया है।
चीन ने 2020 में भी भारत की सीमाओं पर आक्रमण करने की कोशिश की, जब दुनिया कोरोना महामारी से जूझ रही थी। गलवान घाटी में भारतीय सेना ने चीन के मंसूबों का डटकर सामना किया।
तिब्बत के पूर्व राष्ट्रपति डॉ. लोबसांग सांगे ने हाल ही में कुछ चौंकाने वाले खुलासे किए हैं। उनका कहना है कि चीन की चालें केवल सीमाओं तक सीमित नहीं हैं, बल्कि वे भारत की राजनीतिक सत्ता को भी प्रभावित करने की कोशिश कर रहे हैं।
डॉ. सांगे के अनुसार, दिल्ली में चीनी दूतावास भारतीय नेताओं और पत्रकारों को साधने की कोशिश कर रहा है, जिसमें यूट्यूबर्स भी शामिल हैं। उनका उद्देश्य मोदी सरकार को गिराने के लिए षड़यंत्र रचना है।
चीन ने मीडिया में पैसे डालकर नैरेटिव को बदलने का खेल खेला है। पाकिस्तान और श्रीलंका जैसे देशों में भी चीन ने अपने प्रभाव का इस्तेमाल किया है।
डॉ. सांगे ने बताया कि नेपाल, श्रीलंका, बांग्लादेश और पाकिस्तान में चीन ने सत्ताधारी वर्गों को अपने पक्ष में किया है। उन्होंने सभी दलों के नेताओं और पत्रकारों को सतर्क रहने की सलाह दी।
चीन का प्रभाव भारत को नियंत्रित करने के उसके भू-राजनीतिक लक्ष्यों से जुड़ा है। उन्होंने भारत के व्यापार घाटे पर भी प्रकाश डाला, जिसमें भारत चीन से 113 अरब डॉलर का सामान खरीदता है, जबकि केवल 14 अरब डॉलर का बेचता है।
डॉ. सांगे ने चेतावनी दी कि चीन के साथ व्यापार करना भारत के लिए खतरनाक हो सकता है। उन्होंने कहा कि पश्चिम ने 30 साल तक इसी भ्रम में निवेश किया कि चीन लोकतांत्रिक होगा, लेकिन इसके बजाय वह और अधिक विरोधी हो गया है।
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