विज्ञान की दुनिया में प्रतिष्ठित माने जाने वाले शांति स्वरूप भटनागर पुरस्कार को लेकर एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है। पुणे के वाघोली इलाके स्थित एक निजी कॉलेज के रसायन विज्ञान के प्रोफेसर वीरेंद्र कुमार यादव को पुलिस ने फर्जीवाड़े और जालसाजी के आरोप में गिरफ्तार किया है।
आरोप है कि प्रोफेसर ने अपनी प्रतिष्ठा और इज्जत बढ़ाने के लिए केंद्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) डॉ. जितेंद्र सिंह के फर्जी साइन और लेटरहेड का इस्तेमाल करते हुए खुद के नाम पर यह अवॉर्ड घोषित करने वाला नकली पत्र तैयार किया।
दरअसल, इस पत्र में भटनागर अवॉर्ड का ज़िक्र था, जबकि पिछले कुछ सालों से इस पुरस्कार का नाम बदलकर राष्ट्रीय विज्ञान पुरस्कार कर दिया गया है। यहीं से संदेह गहराया और पूरे मामले की परतें खुलनी शुरू हुईं।
पुलिस जांच में सामने आया कि प्रोफेसर ने यह फर्जी पत्र न सिर्फ अपने दोस्तों और सहकर्मियों को दिखाया बल्कि सोशल मीडिया पर भी डाल दिया। इसके बाद यह सूचना मंत्रालय तक पहुंची और जब अधिकारियों ने जांच की तो यह फर्जी निकला।
वाघोली पुलिस स्टेशन के अधिकारियों ने बताया कि आरोपी के खिलाफ भारतीय न्याय संहिता की धारा 318(4), 336 (जालसाजी) और अन्य संबंधित धाराओं में केस दर्ज किया गया है।
पुलिस का मानना है कि प्रोफेसर का मकसद प्रमोशन, सैलरी में बढ़ोतरी और सामाजिक प्रतिष्ठा हासिल करना था। जांच इस पहलू पर भी हो रही है कि कहीं वह इसका भविष्य में और दुरुपयोग तो नहीं करने वाला था।
फिलहाल, पुलिस यह पता लगाने में जुटी है कि आरोपी ने यह फर्जी लेटर और साइन कैसे तैयार किए और क्या इसमें कोई और भी शामिल है।
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