New Delhi, 22 अक्टूबर . बांग्लादेश में मुहम्मद यूनुस Government के एक वरिष्ठ सलाहकार आसिफ महमूद शोजिब भुयान ने खुलासा किया है कि इस्लामिक रिवोल्यूशनरी आर्मी (आईआरए) की स्थापना का पहला चरण जारी रहा है.
बांग्लादेश की अंतरिम Government के सलाहकार महमूद शोजिब ने 20 अक्टूबर को social media पर बताया कि कई केंद्रों पर 8,850 लोगों की भर्ती और ट्रेनिंग दी जा रही है.
बता दें कि बीते कुछ समय में बांग्लादेश में आईएसआई भी काफी सक्रिय है. खबरें सामने आई थीं कि आईएसआई के लोग आईआरए के सदस्यों को ट्रेनिंग देंगे. इस बीच अब यूनुस के सलाहकार ने खुद कन्फर्म कर दिया है कि आईआरए लाने की प्रक्रिया जारी है.
दरअसल, अंतरिम यूनुस Government को एक ऐसा संगठन चाहिए जो देश के लिए नहीं बल्कि Government के प्रति वफादार हो और आईएसआई के साथ मिलकर काम करे. यही कारण है कि बांग्लादेशी सेना की जगह इस्लामिक रिवोल्यूशनरी आर्मी को लाने की तैयारी चल रही है.
यूनुस Government के वरिष्ठ सलाहकार ने कहा कि इन लोगों को मार्शल आर्ट, आग्नेयास्त्र प्रशिक्षण, ताइक्वांडो और जूडो की ट्रेनिंग दी जाएगी. जमात-ए-इस्लामी और आईएसआई की कठपुतली कही जाने वाली यूनुस Government कई महीनों से आईआरए की योजना बना रही है.
भारतीय अधिकारियों के अनुसार, आईआरए ईरान के इस्लामिक रिवोल्यूशनरी गार्ड कॉर्प्स (आईआरजीसी) की तर्ज पर काम करेगा. आईआरए एक अत्यधिक कट्टरपंथी संस्था होगी, जो बांग्लादेश को एक इस्लामी राज्य में बदलने में सत्ता पर काबिज लोगों की मदद करेगी.
इसका निशाना India भी हो सकता है. आईआरए स्थापित हो जाने के बाद, सीमा पर तनाव बहुत बढ़ जाएगा. हाल ही में, जमात के एक नेता, डॉ. सैयद अब्दुल्ला मुहम्मद ताहिर, ने न्यूयॉर्क में कहा कि जमात के 50 लाख युवा India के खिलाफ लड़ने के लिए तैयार हैं. अगर India बांग्लादेश में प्रवेश करता है, तो 1971 में जो बदनामी हुई थी, वह मिट जाएगी. हम खुद को सच्चे स्वतंत्रता सेनानी साबित करेंगे, और जमात के 50 लाख लोगों का एक हिस्सा गुरिल्ला युद्ध में शामिल होगा, जबकि बाकी लोग India के अंदर फैलकर गजवा-ए-हिंद को लागू करेंगे.
इन गतिविधियों को देखते हुए एक्सपर्ट्स का मानना है कि आईएसआई ने बांग्लादेश पर कब्जा कर लिया है. Pakistan हमेशा से चाहता था कि बांग्लादेश को 1971 से पहले की स्थिति में वापस लाया जाए. यही कारण है कि शेख हसीना के सत्ता से बेदखल होने के बाद से वह इस योजना पर लगातार काम कर रहा है.
पहले चरण में, सात ट्रेनिंग कैंपों में 8,850 लोगों को ट्रेनिंग दी जा रही है. इन सभी लोगों को Pakistan समर्थक सेवानिवृत्त बांग्लादेशी सैन्य अधिकारी प्रशिक्षित कर रहे हैं.
बांग्लादेश में इस समय 1,60,000 सेना की संख्या है और आईआरए का मकसद सेना की संख्या से ज्यादा लोगों को ट्रेनिंग देना है. इसके अलावा, इन शिविरों में Pakistanी सेना और आईएसआई के अधिकारी अक्सर आते-जाते रहते हैं. Pakistanी सेना और आईएसआई के कमांडर ही इस ट्रेनिंग के लिए पैसे और हथियार मुहैया करा रहे हैं.
मुहम्मद यूनुस द्वारा Pakistan के लिए समुद्री मार्ग खोले जाने के बाद से, हथियार और गोला-बारूद बड़ी मात्रा में बांग्लादेश पहुंच रहे हैं. ये सभी वर्तमान में विश्वविद्यालयों में जमा किए जा रहे हैं, जिन पर बड़े पैमाने पर जमात का नियंत्रण है.
जरूरत के अनुसार, इन हथियारों और गोला-बारूद को आईआरए के ट्रेनिंग कैंप में खुलेआम पहुंचाया जा रहा है. जमात समर्थित संस्थाएं आईआरए के संबंध में भी अपने इरादों के बारे में खुलकर बात कर रही हैं.
जमात और आईएसआई के इशारे पर यूनुस Government बांग्लादेश में सेना और डीजीएफआई दोनों को बंद करने की कोशिश कर रही है. बांग्लादेश में हो रही हालिया घटनाएं सेना के शीर्ष अधिकारियों और सत्तारूढ़ दल के बीच मतभेद की ओर इशारा कर रही हैं. वहां की अदालतें कई सेना और डीजीएफआई कर्मियों को गिरफ्तार करने के आदेश दे रही हैं.
हालांकि कोर्ट ने कहा है कि ये लोग अत्याचारों में लिप्त हैं, लेकिन वास्तव में, जिन लोगों को निशाना बनाया गया है, वे सभी शेख हसीना के करीबी माने जाते हैं. अधिकारियों का कहना है कि इन घटनाक्रमों ने बांग्लादेशी सेना के भीतर गहरी दरार पैदा कर दी है, साथ ही कई लोग आईआरए की स्थापना के पक्ष में हैं.
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केके/डीएससी
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