पुष्कर, 12 सितंबर . राजस्थान का पुष्कर एक प्राचीन और अत्यंत महत्वपूर्ण तीर्थस्थल के रूप में पूरे भारत में प्रसिद्ध है. यह न केवल अपनी धार्मिक महत्ता के लिए जाना जाता है, बल्कि ऐतिहासिक, सांस्कृतिक और आध्यात्मिक दृष्टिकोण से भी अत्यंत विशिष्ट स्थान रखता है.
पुष्कर की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि यहां भगवान ब्रह्मा का विश्व में एकमात्र मंदिर स्थित है. हिंदू धर्म में ब्रह्मा को सृष्टि का रचयिता माना गया है. पुष्कर में स्थित यह मंदिर श्रद्धालुओं और पर्यटकों के बीच आकर्षण का मुख्य केंद्र है.
पुष्कर की धार्मिक महत्ता केवल ब्रह्मा मंदिर तक ही सीमित नहीं है. यह स्थान पितरों के तर्पण और श्राद्ध कर्म के लिए भी विशेष रूप से प्रसिद्ध है. यहां पर व्यक्ति अपने सात कुलों और पांच पीढ़ियों तक के पूर्वजों की आत्मा की शांति और मोक्ष के लिए श्राद्ध कर्म कर सकता है.
मान्यता है कि पुष्कर में श्राद्ध और तर्पण करने से पितरों को मोक्ष की प्राप्ति होती है और उनकी आत्मा को शांति मिलती है. इसलिए हर वर्ष पितृ पक्ष के दौरान हजारों श्रद्धालु यहां एकत्र होते हैं और अपने पितरों की आत्मा की शांति के लिए पूजा-पाठ और तर्पण करते हैं.
कहा जाता है कि भगवान श्रीराम अपनी पत्नी सीता और भाई लक्ष्मण के साथ पुष्कर आए थे और अपने पिता महाराज दशरथ का श्राद्ध किया था, जिसके बाद राजा दशरथ ने उन्हें आशीर्वाद भी दिया. यही कारण है कि यह स्थान श्राद्ध कर्म के लिए अत्यंत फलदायी माना जाता है.
पुष्कर सरोवर, जो कि 52 घाटों से घिरा हुआ है, श्रद्धालुओं के स्नान और पूजा का मुख्य स्थल है. मान्यता है कि इस सरोवर में स्नान करने से सभी पाप धुल जाते हैं और व्यक्ति को आध्यात्मिक शुद्धता प्राप्त होती है.
पुष्कर का धार्मिक वातावरण, यहां की शांत वायु, मंत्रोच्चार की गूंज और पुरोहितों द्वारा करवाए जाने वाले वैदिक कर्मकांड इसे एक अद्भुत तीर्थ स्थल बनाते हैं.
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प्रतीक्षा/एबीएम
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