पणजी, 3 अक्टूबर . पोंजी स्कीम मामले में Enforcement Directorate (ईडी) ने बड़ी कार्रवाई की. केंद्रीय जांच एजेंसी ने गोवा में 2 फ्लैट और 61.53 लाख रुपए की एफडी जब्त की.
ईडी ने ठगों द्वारा गोवा और Gujarat के हजारों निवेशकों से 9.33 करोड़ रुपए से अधिक की ठगी करने के लिए शुरू की गई एक धोखाधड़ी निवेश योजना से जुड़ी कार्रवाई में दो फ्लैट और 61.53 लाख रुपए मूल्य की एफडी एवं इक्विटी शेयर कुर्क किए हैं.
अधिकारी ने एक बयान में कहा कि धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए), 2002 के प्रावधानों के तहत रंगगीता एंटरप्राइजेज के खिलाफ दर्ज एक मामले में गोहिल जयकुमार और अन्य संबंधित व्यक्तियों की संपत्तियां जब्त कर ली गईं.
गोवा Police की आर्थिक अपराध प्रकोष्ठ द्वारा जयकुमार और अन्य के खिलाफ आईपीसी, 1860 की विभिन्न धाराओं के तहत प्राथमिकी दर्ज किए जाने के बाद Enforcement Directorate (ईडी) ने मामले की जांच शुरू की.
प्राथमिकी और आरोपपत्र के अनुसार, जयकुमार और उनके सहयोगियों ने धोखाधड़ी वाली निवेश योजनाओं को अंजाम दिया, जिसके माध्यम से जनता को 9.33 करोड़ रुपए से अधिक का चूना लगाया गया.
बयान में कहा गया है कि ईडी की जांच से पता चला है कि जयकुमार, अपंजीकृत इकाई मेसर्स रंगगीता एंटरप्राइजेज के माध्यम से काम कर रहा था, जिसके गोवा और Gujarat में विभिन्न कार्यालय हैं, और उसने 20 प्रतिशत प्रति माह तक के अत्यधिक और अवास्तविक रिटर्न का वादा करके जनता से निवेश आकर्षित किया.
2,500 से ज्यादा निवेशकों का पैसा सीधे जयकुमार और उनके एजेंटों के निजी बैंक खातों में जमा किया गया.
यह योजना एक पोंजी योजना के रूप में काम कर रही थी और अप्रैल-मई 2022 में तब ध्वस्त हो गई जब निकासी की संख्या नए निवेश से ज्यादा हो गई.
ईडी ने कहा कि यह स्थापित हो चुका है कि अपराध से प्राप्त राशि (पीओसी) का इस्तेमाल किसी वैध व्यवसाय में नहीं किया गया और इसका दुरुपयोग निजी लाभ के लिए किया गया, जिसमें अचल संपत्ति की खरीद, निजी निवेश, एक फिजूलखर्ची वाली जीवनशैली का वित्तपोषण और अन्य निजी खर्च शामिल हैं.
जुलाई 2022 में गोवा Police ने दावा किया कि उसने जयकुमार का लैपटॉप जब्त कर लिया है और 86 लाख रुपए की संपत्ति का विवरण बरामद किया है. इन संपत्तियों में 75 लाख रुपए की संपत्ति और 11 लाख रुपए से ज्यादा के सोने के आभूषण शामिल थे.
Police ने दावा किया कि आरोपी एक समय पर चलन से बाहर हो चुके पुराने नोट खरीदते थे और जब नोटों की ज्यादा मांग होती थी तो उन्हें महंगे दामों पर बेचते थे.
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डीकेपी/
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