New Delhi, 12 अगस्त . इंसान के अच्छे स्वास्थ्य के लिए पोषण युक्त भोजन, अनुशासित जीवनशैली, व्यायाम और ध्यान जैसी चीजों की अहम भूमिका है. योगासन भी एक ऐसी ही शारीरिक गतिविधि है जिसे करने से कई समस्याओं का समाधान हो सकता है. ऐसे ही एक आसन का नाम पाद हस्तासन है, जो महिलाओं के स्वास्थ्य के लिए विशेष रूप से लाभकारी है.
भारत सरकार का आयुष मंत्रालय पाद हस्तासन के अभ्यास से मिलने वाले लाभ और इसे दिनचर्या में शामिल करने की सलाह देता है. मंत्रालय के अनुसार, पाद हस्तासन एक ऐसा योगासन है जो विशेष रूप से महिलाओं के स्वास्थ्य के लिए लाभकारी है. यह आसन रीढ़ को लचीलापन देता है, पाचन क्रिया को सुधारता है और पीरियड्स से संबंधित समस्याओं में भी राहत प्रदान करता है.
पाद हस्तासन एक सरल लेकिन प्रभावी योग मुद्रा है, जिसमें शरीर को आगे की ओर झुकाकर पैरों के पास हाथों को ले जाया जाता है. यह आसन रीढ़ की हड्डी को लचीला बनाता है, जिससे पोश्चर में सुधार होता है. यह पाचन तंत्र को मजबूत करता है, कब्ज और अपच जैसी समस्याओं से राहत देता है. यह पीरियड्स के दौरान होने वाली ऐंठन, बेचैनी, और दर्द को कम करने में भी सहायक है. इसके अतिरिक्त, यह तनाव और चिंता को कम करने में मदद करता है, क्योंकि यह आसन रक्त संचार को बेहतर बनाता है और मस्तिष्क को ऑक्सीजन की आपूर्ति बढ़ाता है. इसके नियमित अभ्यास से पेट की मांसपेशियां मजबूत होती हैं और शरीर में ऊर्जा का स्तर बढ़ता है.
पाद हस्तासन न केवल शारीरिक बल्कि मानसिक स्वास्थ्य के लिए भी लाभकारी है. यह रीढ़ को लचीला बनाकर पीठ दर्द से राहत देता है और शरीर को संतुलित रखता है. यह पाचन संबंधी समस्याओं को दूर करता है और मेटाबॉलिज्म को बढ़ाता है. यह तनाव कम करके नींद की गुणवत्ता में सुधार करता है.
एक्सपर्ट बताते हैं कि इस आसन का अभ्यास कैसे करना चाहिए? इसके लिए सीधे खड़े होकर गहरी सांस लें. धीरे-धीरे आगे झुकें और हाथों से पैरों या फर्श को छूने की कोशिश करें. सिर को घुटनों की ओर लाएं और कुछ सेकंड तक रुकें. धीरे-धीरे वापस सामान्य स्थिति में आएं.
पाद हस्तासन नियमित रूप से करने से स्वास्थ्य में व्यापक सुधार देखने को मिलता है. अपनी दिनचर्या में इसे जरूर शामिल करना चाहिए. हालांकि, हेल्थ एक्सपर्ट कुछ सावधानियां बरतने की भी सलाह देते हैं. पाद हस्तासन हर किसी के लिए उपयुक्त नहीं है. जिन लोगों को हृदय रोग, गंभीर पीठ दर्द, हर्निया, अल्सर, ग्लूकोमा, मायोपिया या चक्कर आने की समस्या है, उन्हें यह आसन नहीं करना चाहिए. गर्भवती महिलाओं को भी इसे करने से बचना चाहिए. एक्सपर्ट का कहना है कि आसन करते समय अपनी शारीरिक क्षमता का ध्यान रखना चाहिए और शुरुआती लोगों को योग प्रशिक्षक की देखरेख में ही अभ्यास शुरू करना चाहिए.
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एमटी/एएस
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