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धार्मिक आयोजन पूरी तरह परंपराओं के अनुसार होने चाहिए: विनोद बंसल

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New Delhi,21 सितंबर . हिन्दू परिषद (विहिप) के राष्ट्रीय प्रवक्ता विनोद बंसल ने आगामी नवरात्रि पर्व को लेकर एक महत्वपूर्ण बयान दिया है. 22 सितंबर से शुरू हो रहे इस पर्व के संदर्भ में, उन्होंने जोर देकर कहा है कि धार्मिक आयोजन पूर्णतः शुद्ध परंपराओं के अनुरूप होने चाहिए.

से बातचीत में उन्होंने कहा कि इन आयोजनों में केवल उन्हीं लोगों को शामिल होना चाहिए जिनकी गहरी आस्था और सच्ची भक्ति है. जो लोग India को अपनी मातृभूमि नहीं मानते या ‘India माता’ का सम्मान नहीं करते, उन्हें ऐसे धार्मिक आयोजनों में भाग लेने की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए.

विनोद बंसल ने कहा कि आयोजकों को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि उनके आयोजन धार्मिक और सांस्कृतिक भक्ति पर केंद्रित रहें, न कि मनोरंजन मंच या किसी अन्य एजेंडे में तब्दील हों. यह आवश्यक है कि आयोजक प्रतिभागियों की आस्था और भक्ति की पुष्टि करें.

बंसल ने पिछले वर्षों की घटनाओं ‘लव जिहाद’ या अनुचित व्यवहार का हवाला देते हुए, आयोजकों से हर प्रतिभागी का टीका लगाकर स्वागत करने और आईडी जैसे आधार कार्ड चेक करने की सलाह दी.

लवकुश रामलीला के आयोजन और इस पर एक किरदार को लेकर उठ रहे विवाद पर उन्होंने कहा कि रामलीला रामचरितमानस से जीवन की सीख लेने का माध्यम है, न कि मनोरंजन. इसलिए Actor सांस्कृतिक और धार्मिक रूप से उपयुक्त होने चाहिए.

उन्होंने कहा कि रामलीला कमेटी को अपनी सोच पर पुनर्विचार करना चाहिए. जो लोग रामलीला देखने आते हैं, वे मनोरंजन के लिए नहीं, बल्कि रामचरितमानस से जीवन की सीख लेने आते हैं. इसलिए नाटक के Actor सही होने चाहिए.

उन्होंने कहा कि रामलीला कोई साधारण मंचीय कार्यक्रम या महज नाट्य प्रस्तुति नहीं है; यह लोगों की धार्मिक, सामाजिक और आध्यात्मिक ऊर्जा का एक भव्य प्रकटीकरण है. रामलीला का प्रभाव इसके पात्रों को निभाने वाले कलाकारों और उनके अभिनय की शुद्धता पर निर्भर करता है, जो यह निर्धारित करता है कि दर्शक इसे कितना सराहते हैं और अपनाते हैं. अगर इस तरह के चरित्र को किसी ऐसे व्यक्ति द्वारा चित्रित किया जाता है जिसमें अपेक्षित गरिमा, नैतिक अखंडता और प्रामाणिकता का अभाव है, तो दर्शक उस दुनिया से जुड़ नहीं पाएंगे या उसे अपना नहीं पाएंगे.

Odisha के स्कूलों में भगवद गीता पाठ के प्रस्ताव पर उन्होंने कहा कि यह बिल्कुल सही प्रस्ताव है. हम इसका समर्थन करते हैं. गीता का पाठ होना चाहिए. इससे बच्चों के जीवन में काफी बदलाव आएगा.

डीकेएम/एएस

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