नई दिल्ली, 19 अप्रैल . भाजपा सांसद निशिकांत दुबे ने शनिवार को वक्फ (संशोधन) कानून पर सुप्रीम कोर्ट में जारी सुनवाई को लेकर विवादित बयान दिया. उन्होंने स्पष्ट रूप से संसद द्वारा पारित कानून में हस्तक्षेप पर सवाल उठाते हुए न्यायपालिका पर हमला बोला है.
भाजपा सांसद निशिकांत दुबे ने न्यायपालिका की भूमिका का उल्लेख करते हुए कहा, “अगर अदालत कानून बनाने का काम करती है तो संसद का अस्तित्व निरर्थक हो जाता है.”
इसके साथ ही भाजपा सांसद निशिकांत दुबे ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर एक पोस्ट में लिखा, “कानून यदि सुप्रीम कोर्ट ही बनाएगा तो संसद को बंद कर देना चाहिए.”
उनके इस पोस्ट को कानून के विभिन्न पहलुओं को परखने और कमोबेश उसे निलंबित करने में न्यायपालिका की भूमिका की अप्रत्यक्ष आलोचना के रूप में देखा जा रहा है.
दरअसल, 16 अप्रैल को सुप्रीम कोर्ट ने नए संशोधित वक्फ अधिनियम की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई शुरू की.
वक्फ (संशोधन) विधेयक, 2025 को इसी महीने की शुरुआत में संसद के दोनों सदनों से पारित किया गया था.
इन संशोधनों के विरोध में कुछ याचिकाकर्ता सुप्रीम कोर्ट की शरण में चले गए. याचिकाओं में वक्फ बोर्ड में गैर-मुस्लिमों को अनुमति देने और ‘वक्फ बाय यूजर’ जैसे प्रावधानों पर सवाल उठाए गए हैं.
याचिकाओं की सुनवाई के दौरान केंद्र ने भरोसा दिलाया कि अदालत के अगले आदेश तक किसी भी वक्फ बोर्ड या परिषद में किसी भी गैर-मुस्लिम को जगह नहीं दी जाएगी या नई नियुक्ति नहीं की जाएगी.
इसके अलावा, सरकार ने यह भी प्रतिबद्धता जताई कि इस अंतरिम चरण के दौरान जिला कलेक्टर ‘वक्फ बाय यूजर’ के रूप में पहचानी गई किसी भी संपत्ति को डीनोटिफाई नहीं करेंगे या उनके वर्गीकरण में किसी तरह का बदलाव नहीं करेंगे.
इस आश्वासन के बाद सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को सभी प्रासंगिक दस्तावेजों के साथ प्रारंभिक जवाब दाखिल करने के लिए एक सप्ताह का समय दिया और मामले की अगली सुनवाई 5 मई को निर्धारित की.
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एबीएम/एकेजे
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