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8वां वेतन आयोग: आखिर क्यों हो रही है देरी? जानिए तीन बड़ी चुनौतियां

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सरकारी कर्मचारियों के लिए 8वें वेतन आयोग (8th Pay Commission) का इंतजार लगातार बढ़ता जा रहा है. लाखों कर्मचारी और पेंशनर्स उम्मीद लगाए बैठे थे कि सरकार जल्द इसका गठन और सिफारिशें घोषित करेगी, लेकिन अभी तक यह प्रक्रिया अटकी हुई नजर आ रही है. सूत्रों के अनुसार, आयोग की घोषणा में तीन बड़ी वजहें हैं, जिनके चलते यह मामला लटका हुआ है.

1. ToR (टर्म ऑफ रेफरेंस) तैयार नहीं
केवल आयोग की घोषणा कर देना ही काफी नहीं होता, इसके लिए पूरा प्रशासनिक प्रोसेस पूरा करना होता है. आयोग के चेयरमैन और सदस्यों की नियुक्ति के साथ-साथ उनके कार्य की रूपरेखा (टर्म ऑफ रेफरेंस – ToR) बनाना जरूरी है. फिलहाल सरकार ने ToR फाइनल नहीं किया है, इसी वजह से आयोग का औपचारिक गठन रुका हुआ है.

2. आर्थिक दबाव और बजट का संकट
किसी भी वेतन आयोग की सिफारिशों का असर सीधे तौर पर सरकार की आर्थिक नीतियों और राजकोषीय संतुलन पर पड़ता है. 7वें वेतन आयोग के बाद भी सरकारी खजाने पर हजारों करोड़ रुपये का अतिरिक्त बोझ पड़ा था. वर्तमान में देश की अर्थव्यवस्था कई मोर्चों पर चुनौतियों का सामना कर रही है, इसलिए सरकार अभी कोई ऐसा बड़ा कदम उठाने से बच रही है, जिससे वित्तीय स्थिति पर और दबाव पड़े. इसी कारण बजट में भी ठोस प्रावधान नहीं किए गए हैं.

3. नया वेतन ढांचा तैयार नहीं
आयोग की सबसे बड़ी जिम्मेदारी मौजूदा वेतन संरचना का अध्ययन कर नया ढांचा तैयार करना है. इसमें बेसिक पे, ग्रेड पे, भत्ते और पेंशन व्यवस्था तक में बदलाव जरूरी है. सरकार ने कर्मचारियों और यूनियनों से सुझाव लेने की प्रक्रिया शुरू की है, लेकिन यह अभी शुरुआती चरण में है. अलग-अलग विभागों, वर्गों और हितधारकों की मांगों को ध्यान में रखते हुए एक व्यावहारिक मॉडल बनाना और उसे सरकारी खजाने पर ज्यादा बोझ न पड़े, यह आसान नहीं है.

जैसे-जैसे 2025 का वर्ष समाप्ति की ओर बढ़ रहा है, कर्मचारियों का धैर्य जवाब देने लगा है. वे उम्मीद कर रहे थे कि समय पर आयोग बनेगा और 2026 से नया वेतन ढांचा लागू हो जाएगा, लेकिन मौजूदा स्थिति को देखते हुए इस प्रक्रिया में और देरी हो सकती है.

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