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पाक प्रायोजित आतंकवाद : सिर्फ जान ही नहीं, आर्थिक विकास को भी चुकानी पड़ रही है कीमत

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New Delhi, 14 सितंबर . Pakistan प्रायोजित सीमा पार आतंकवाद से न केवल India में लोग अपना बहुमूल्य जीवन गंवा रहे हैं, बल्कि इस कारण देश पर आर्थिक बोझ भी बढ़ रहा है. सीमा सुरक्षा पर भारी खर्च करना पड़ता है और पर्यटन उद्योग को भी गहरी चोट पहुंचती है, जिसे Pakistan लगातार निशाना बनाता रहा है.

सीमा सुरक्षा के लिए बड़े पैमाने पर धन की आवश्यकता होती है. न्यूजवायर में प्रकाशित अंकित कुमार के एक लेख के अनुसार, India Government ने सीमा ढांचे और प्रबंधन (बीआईएम) योजना के तहत वर्ष 2021 से 2026 तक बाड़बंदी, फ्लड लाइट, सड़कें और तकनीकी इंतज़ामों पर लगभग 13,020 करोड़ रुपये अलग रखे हैं.

लेख के अनुसार, केवल बाड़ लगाना ही काफी नहीं है. आतंकी घटनाओं के कारण पर्यटन और सेवाओं पर बुरा असर पड़ता है, बीमा प्रीमियम बढ़ जाते हैं और लंबे समय तक केंद्रीय बलों व सेना की तैनाती करनी पड़ती है. इससे विकास पर खर्च करने वाले धन की दिशा बदल जाती है.

India बार-बार यह मुद्दा उठाता रहा है कि Pakistan आतंकवाद को पनाह देता है. संयुक्त राष्ट्र ने लश्कर-ए-तैयबा और मसूद अज़हर जैसे आतंकियों को सूचीबद्ध किया है. अमेरिका और अन्य देशों की रिपोर्टें तथा अदालतों के मामलों ने भी Pakistan की भूमिका को उजागर किया है.

हाल ही में, प्रतिबंधित आतंकवादी समूहों के साथ Pakistan के आधिकारिक संबंधों का खुलासा तब हुआ जब Pakistanी सेना के शीर्ष अधिकारियों और वरिष्ठ असैन्य अधिकारियों को ऑपरेशन सिंदूर में मारे गए लश्कर-ए-तैयबा (एलईटी) के एक आतंकवादी की कब्र पर खुलेआम श्रद्धांजलि अर्पित करते देखा गया.

14 अगस्त को Pakistan के स्वतंत्रता दिवस पर, लाहौर डिवीजन के जनरल ऑफिसर कमांडिंग (जीओसी) मेजर जनरल राव इमरान सरताज, संघीय मंत्री मलिक राशिद अहमद खान, लाहौर के मुरीदके में मुदासिर अहमद की कब्र पर गए. यह वही आतंकी था जो 1999 के आईसी-814 अपहरण और 2019 पुलवामा हमले से जुड़ा हुआ था.

इन घटनाओं ने साफ दिखा दिया कि Pakistan आतंकवाद विरोधी लड़ाई की बातें तो करता है, पर वास्तव में आतंकी संगठनों और उनके सरगनाओं का सम्मान करता है. यह Pakistan के दोहरे रवैये को उजागर करता है.

India ने अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) से Pakistan को मिलने वाली वित्तीय मदद का भी विरोध किया है. India का कहना है कि यह मदद सीधे-सीधे आतंकवाद को बढ़ावा देने में इस्तेमाल की जा सकती है. हाल ही में आईएमएफ द्वारा Pakistan को 1.3 अरब डॉलर की नई मदद देने पर हुई वोटिंग में India ने भाग नहीं लिया.

India ने इस चिंता को रेखांकित किया था कि आईएमएफ जैसे अंतरराष्ट्रीय वित्तीय संस्थानों से प्राप्त होने वाले धन का दुरुपयोग सैन्य और राज्य-प्रायोजित सीमा-पार आतंकवादी उद्देश्यों के लिए किया जा सकता है, जो कई सदस्य देशों के लिए चिंता का विषय था, लेकिन आईएमएफ की प्रतिक्रिया तकनीकी औपचारिकताओं से घिरी हुई है. India का मानना है कि वैश्विक वित्तीय संस्थाओं को केवल तकनीकी नियमों पर ही नहीं, बल्कि नैतिक मूल्यों को भी ध्यान में रखना चाहिए, ताकि आतंकवाद को सहारा देने वाले देशों को वित्तीय मदद न मिल सके.

एएस/एएस

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