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समंदर की दुर्दशा पर शेखर कपूर व्यथित, जुहू बीच का सालों पुराना किस्सा सुनाया

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New Delhi, 10 नवंबर . फिल्म निर्माता-निर्देशक शेखर कपूर ने Mumbai के जुहू बीच की बदलती सूरत पर गहरा दुख जताया. social media पोस्ट में उन्होंने अपना एक सालों पुराना किस्सा भी सुनाया.

social media प्लेटफॉर्म इंस्टाग्राम पर यादें साझा करते हुए उन्होंने बताया कि कैसे यह बीच कभी उनकी जिंदगी की सबसे बड़ी चुनौतियों का गवाह था. आज समुद्र तट की दुर्दशा देखकर वह व्यथित हैं और कहते हैं कि अब वहां तैरने के लिए खुला समंदर नहीं बचा.

शेखर कपूर ने लिखा, “मैं जुहू बीच, Mumbai आता था. यहीं मैं खुद को लगातार चुनौती देता था. फिल्मों में आने की कोशिशों के संघर्ष और बेचैनी से यह मेरी पनाहगाह थी. मैं असली चुनौती से पार पाने के लिए एक और चुनौती रचता था. मैं अकेले समंदर में तैरता था, बिना रुके, तब तक जब तक पूरी तरह थक नहीं जाता. किनारे की ओर मुड़कर नहीं देखता क्योंकि दूरी इतनी ज्यादा लगती कि मन लौटने को करता. आखिरकार थककर रुकता, पीछे देखता और पार की गई दूरी से डर जाता.”

उन्होंने आगे बताया, “मन में सवाल उठता कि क्या मैं बहुत दूर आ गया? क्या वापस लौट पाऊंगा? क्या जिंदा रहने की ताकत बची है? यही मेरी असली चुनौती होती. मैं थके हुए और लहरों के बीच हाथ मारते हुए खुद से कहता, अगर मैं इससे बच सकता हूं, तो फिल्म निर्माता बनने के तनाव और हताशा से भी बच सकता हूं.”

शेखर कपूर ने स्पष्ट करते हुए कहा, ” यह खतरनाक तरीका किसी के लिए सलाह नहीं है. यह सिर्फ मेरा संघर्ष के दौर में निजी तरीका था, जिससे मुझे मदद मिली. आज मैं उन दिनों को याद करता हूं, जब समंदर में घंटों तैरकर बाहर निकलता था. लेकिन, अब जुहू बीच पहले जैसा नहीं रहा. अब तैरने के लिए खुला समंदर नहीं बचा है.”

वह अंत में कहते हैं, “सब कुछ बदलता है और हमें भी बदलना पड़ता है. मैं नई चुनौतियां खोजता हूं, नए रोमांच खोजता हूं और खुद को सुधारता रहता हूं.”

एमटी/एबीएम

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