New Delhi, 14 अक्टूबर . India के प्रतिष्ठित क्लब ‘मोहन बागान’ ने फुटबॉल को सिर्फ खेल नहीं, बल्कि India के गर्व का प्रतीक बनाया है. इस क्लब की खासियत उसकी समृद्ध परंपरा, देशभक्ति की भावना और फुटबॉल में उत्कृष्टता है.
वर्ष 1889 में स्थापित ‘मोहन बागान’ एशिया के सबसे पुराने फुटबॉल क्लब में शुमार है. साल 1911 में ब्रिटिश टीम पर ऐतिहासिक जीत ने इसे भारतीय गौरव का प्रतीक बनाया. मोहन बागान क्लब अपने अनुशासन, प्रतिभाशाली खिलाड़ियों और फैंस के गहरे जुड़ाव के लिए मशहूर है.
ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी ने 19वीं सदी की शुरुआत में खुद को India में एक नए शासक के रूप में स्थापित कर लिया था. कई अंग्रेज प्रशासक India आकर यहां अपनी किस्मत आजमाने लगे. यही वो दौर था, जब इंग्लैंड में एसोसिएशन फुटबॉल का खेल लोकप्रिय हो रहा था.
अंग्रेजों को चमड़े की गेंद पर किक मारते देखकर भारतीयों के बीच इस खेल को लेकर उत्सुकता बढ़ती जा रही थी. इस खेल ने भारतीय जनता का ध्यान अपनी ओर आकर्षित करना शुरू कर दिया था.
26 अक्टूबर 1863 को लंदन में ‘फुटबॉल एसोसिएशन’ की स्थापना हुई, जो इंग्लैंड के फुटबॉल को नियंत्रित करने वाला शासी निकाय है. इसकी स्थापना के बाद ही इस खेल में नियम भी बनाए गए.
कुछ दस्तावेज बताते हैं कि India में पहला फुटबॉल क्लब 1872 में कलकत्ता एफसी के रूप में स्थापित हुआ था, लेकिन कुछ दस्तावेज बताते हैं कि यह क्लब पहले एक रग्बी क्लब के रूप में पहचाना गया, जो साल 1894 में एक फुटबॉल क्लब के रूप में बदला.
भारतीय फुटबॉल का श्रेय नागेंद्र प्रसाद सर्वाधिकारी को जाता है, जिन्होंने कोलकाता के साथ बंगाल में कई फुटबॉल क्लब स्थापित किए. उनके इसी कदम ने India में फुटबॉल की लोकप्रियता को बढ़ाया.
15 अगस्त 1889 में मोहन बागान क्लब की स्थापना हुई. इस क्लब की शुरुआत ज्योतिंद्र नाथ बसु, भूपेंद्रनाथ बसु, महाराजा दुर्गा चरण लाहा और महाराजा राजेंद्र भूप बहादुर जैसे मशहूर लोगों ने मिलकर की थी.
इस क्लब के लिए पहली मीटिंग कोलकाता में स्थित भूपेंद्रनाथ बसु के घर में हुई. मार्बल पैलेस के अंदर स्थित ‘मोहन बागान विला’ में इसका पहला मैदान था, जिसके चलते क्लब को अपना नाम भी मिला. करीब एक साल बाद थोड़ा बदलाव करते हुए इसे ‘मोहन बागान एथलेटिक क्लब’ नाम दिया गया.
साल 1893 में इस क्लब ने ‘कूच बिहार कप’ नाम से अपने पहले टूर्नामेंट का आयोजन किया. साल 1905 में खुद इसी क्लब ने ‘कूच बिहार कप’ के साथ ‘ग्लैडस्टोन कप’ भी अपने नाम कर लिया.
मोहन बागान क्लब ने India में फुटबॉल के विकास और लोकप्रियता में ऐतिहासिक भूमिका निभाई. 29 जुलाई 1911 का दिन बेहद खास था, जब मोहन बागान की टीम ने ईस्ट ‘यॉर्कशायर रेजिमेंट’ को शिकस्त देते हुए ‘आईएफ शील्ड’ जीतकर इतिहास रच दिया. यह इस खिताब को जीतने वाला पहला भारतीय क्लब था. यह जीत आजादी के आंदोलन का प्रतीक बनी. इसी दिन को प्रतिवर्ष ‘मोहन बागान दिवस’ के रूप में मनाया जाता है.
मोहन बागान क्लब ने भारतीय खिलाड़ियों को पेशेवर फुटबॉल का मंच दिया. इस क्लब ने देशभर में फुटबॉल कल्चर को मजबूत किया है. मोहन बागान के कई दिग्गज खिलाड़ियों ने भारतीय टीम के साथ ‘आई-लीग’ और ‘इंडियन सुपर लीग’ (आईएसएल) में अहम योगदान दिया.
मोहन बागान सुपर जाइंट ने 17 डूरंड कप, 30 कलकत्ता फुटबॉल लीग, 22 आईएफए शील्ड, 14 फेडरेशन कप, 14 रोवर्स कप अपने नाम किए हैं. इसके अलावा, इस क्लब ने 2-2 बार आईएसएल लीग शील्ड और इंडियन सुपर लीग खिताब जीते.
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आरएसजी
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