New Delhi, 11 सितंबर . भारत का ऑटो उद्योग मैन्युफैक्चरिंग, बिक्री, फाइनेंसिंग और रखरखाव में प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से 3.5 करोड़ से अधिक नौकरियों का सृजन करता है. ऑटोमोबाइल सेक्टर के लिए जीएसटी रेट्स को रेशनलाइज बनाने से ग्रोथ और इनोवेशन को बढ़ावा मिलेगा. साथ ही, एमएसएमई की भागीदारी बढ़ेगी और सरकार के आत्मनिर्भर भारत के विजन को बल मिलेगा.
ये नीतिगत सुधार न केवल घरेलू मांग और रोजगार सृजन को बढ़ावा देंगे, बल्कि एक आधुनिक, समावेशी और वैश्विक स्तर पर प्रमुख मैन्युफैक्चरिंग इकोसिस्टम की भी शुरुआत करेंगे.
दो-पहिया वाहनों (350-सीसी तक की बाइक) और छोटी कारों पर जीएसटी रेट को 28 प्रतिशत से घटाकर 18 प्रतिशत कर दिया गया है, जिससे मध्यम वर्ग को लाभ पहुंचने की उम्मीद है. इसी तरह, 1800-सीसी से कम ट्रैक्टरों पर जीएसटी 12 प्रतिशत से घटाकर 5 प्रतिशत कर दिया गया है, जिससे कृषि क्षेत्र में मशीनीकरण को बढ़ावा मिलेगा. सार्वजनिक परिवहन के उपयोग को प्रोत्साहन देने के लिए बसों पर जीएसटी की दर 28 प्रतिशत से घटाकर 18 प्रतिशत कर दी गई है. परिवहन सेवाओं पर व्यापक प्रभाव से बचने के लिए इनपुट टैक्स क्रेडिट (आईटीसी) को भी बढ़ाया गया है और आवश्यकता अनुसार लागू किया गया है.
जीएसटी रेट कम होने से मांग बढ़ेगी, जिससे ऑटोमोबाइल विनिर्माताओं और टायर, बैटरियां, कांच, स्टील, प्लास्टिक एवं इलेक्ट्रॉनिक्स जैसी सहायक उद्योगों को लाभ पहुंचने की उम्मीद की जा रही है. वाहनों की बढ़ती बिक्री से गुणक प्रभाव पैदा होगा, जो पूरी सप्लाई चेन में एमएसएमई को मजबूती प्रदान करेगा.
बढ़ती मांग से डीलरशिप, परिवहन सेवाओं, लॉजिस्टिक्स और कंपोनेंट एमएसएमई में रोजगार के नए अवसर पैदा होंगे. जीएसटी रेट कम होने से चालक, मैकेनिक और छोटे सर्विस गैराज जैसी अनौपचारिक क्षेत्र की नौकरियों भी बढ़ेंगी. क्रेडिट-आधारित वाहन खरीद से खुदरा ऋण वृद्धि को बढ़ावा मिलेगा, परिसंपत्ति गुणवत्ता में सुधार होगा और अर्ध-शहरी भारत में वित्तीय समावेशन को बढ़ावा मिलेगा.
रेशनलाइज जीएसटी दरें नीतिगत स्थिरता प्रदान करेंगी, जिससे नए निवेश को बढ़ावा मिलेगा और ‘मेक इन इंडिया’ पहल को समर्थन मिलेगा. जीएसटी रेट कम होने से लोग पुराने वाहनों को नए, ईंधन-कुशल मॉडलों से बदलने के लिए प्रेरित होंगे, जिससे स्वच्छ गतिशीलता को भी बढ़ावा मिलेगा.
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एसकेटी/
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