उत्तर प्रदेश के सिद्धार्थनगर में नवरात्र के दौरान माता दुर्गा के मंदिर को बुलडोजर से ध्वस्त किए जाने की घटना ने पूरे इलाके में गहरी चिंता और आक्रोश पैदा कर दिया है। स्थानीय लोग इस कार्रवाई से बेहद नाराज हैं। इस मामले में बीजेपी सांसद जगदंबिका पाल भी आगबबूला हो गए और उन्होंने सीधे मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से संपर्क करने का प्रयास किया। हालांकि फोन सीधे सीएम तक नहीं पहुंच सका। सिद्धार्थनगर जनपद मुख्यालय के पास राष्ट्रीय राजमार्ग 28 स्थित विकास भवन कार्यालय के समीप स्थित मंदिर को प्रशासन ने सोमवार देर रात लगभग दो बजे बुलडोजर से गिरा दिया। टूटे मंदिर में हनुमानजी, भगवान श्रीराम और माता दुर्गा की प्रतिमाएं विराजमान थीं। स्थानीय लोगों के अनुसार यह मंदिर और इसमें स्थापित मूर्तियां लगभग 50 साल पुरानी थीं।
बिना सूचना के बुलडोजर की कार्रवाई
स्थानीय लोगों का आरोप है कि प्रशासन ने इस कार्रवाई से पहले न तो किसी को सूचना दी और न ही धर्मगुरुओं को विश्वास में लिया। अचानक हुई इस कार्रवाई के बाद क्षेत्र में तनाव और आक्रोश फैल गया। बजरंग दल, विश्व हिंदू परिषद और आरएसएस के सैकड़ों कार्यकर्ता मौके पर जुट गए और प्रशासन के खिलाफ नारेबाजी करने के साथ-साथ मंदिर के पुनर्निर्माण की मांग करने लगे।
सांसद ने अधिकारियों से किया संपर्क
घटना की गंभीरता को देखते हुए डुमरियागंज से सांसद जगदंबिका पाल मौके पर पहुंचे और सीधे अधिकारियों से संपर्क किया। सांसद ने बताया कि उन्होंने अधिकारियों को बताया कि प्रशासन ने एक प्राचीन मंदिर को तोड़वा दिया है। जब उन्होंने एसडीएम से पूछा कि यह आदेश किसका था – हाई कोर्ट का या डीएम का – तो उन्हें संतोषजनक जवाब नहीं मिला।
सीएम योगी से संपर्क करने का प्रयास
बीजेपी सांसद ने कहा कि इस घटना से नाराज होकर सैकड़ों लोग एकत्र हो गए हैं। सांसद ने अधिकारियों को निर्देश दिया कि इस मामले की जानकारी तत्काल मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ तक पहुंचाई जाए। इलाके के सभी धर्मगुरु प्रशासन के विरोध में खड़े हैं और उन्होंने सांसद से शिकायत की कि प्रशासन ने विकास भवन परिसर में स्थित मंदिर को अनावश्यक रूप से तोड़ दिया।
स्थानीय लोगों और सोशल मीडिया पर प्रतिक्रिया
स्थानीय लोगों का सवाल है कि बुलडोजर माफियाओं पर चलेगा या फिर मंदिरों पर? इस घटना का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया है। सांसद ने अधिकारियों को स्पष्ट चेतावनी दी कि उनकी बात तत्काल सीएम तक पहुंचनी चाहिए, अन्यथा और गंभीर कदम उठाए जा सकते हैं।
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