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मुर्शिदाबाद हिंसा: किसने, कैसे और क्यों भड़काया!

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पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद में फिलहाल शांति है, लेकिन बीजेपी राज्य की ममता सरकार को हिंसा रोकने में नाकाम रहने के लिए जिम्मेदार ठहराने के इस ‘अवसर’ को हाथ से नहीं जाने देना चाहती। अब बंगाल में राष्ट्रपति शासन लगाए जाने की मांग उठाई जा रही है, जबकि मामले को गर्माए रखने के लिए शुक्रवार और शनिवार को राज्यपाल सी वी आनंद बोस और राष्ट्रीय महिला आयोग के सदस्य इलाके के दौरे पर पहुंचे।

मुर्शिदाबाद में हिंसा कैसे भड़की और किसने फैलाई, इसे लेकर सोशल मीडिया पर दावे और प्रति दावे लगातार जारी है और यह भी कहा जा रहा है कि यह हिंसा राजनीतिक नहीं बल्कि सांप्रदायिक थी। कुछेक ऐसी रिपोर्ट्स भी सामने आई हैं जिनमें बताया जा रहा है कि हिंदू और मुसलमानों दोनों ने मिलकर मुर्शिदाबाद में भीड़ को रोकने की कोशिशें की थीं, लेकिन सियासी दांव-पेंचों के शोर में ऐसी बातें गुम हो गई हैं।

ऐसे ही एक सोशल मीडिया अकाउंट पर कहा गया कि जब मानिक के घर पर हमला हुआ, तो उसके पड़ोसी सनौल और दूसरे मुस्लिम पड़ोसियों ने हमले को नाकाम करने की कोशिश की। इलाके की अर्चना सरकार अपने मुस्लिम पड़ोसियों कि एहसानमंद हैं कि उन्होंने उसकी जान बचाई और सुरक्षित निकलने में मदद की। 

इस किस्म के कुछ वीडियो क्लिप्स एबीपी लाइव ने भी शेयर किए हैं जिनमें हिंदू अपने मुस्लिम पड़ोसिओं की तारीफ कर रहे हैं, लेकिन अखबारों और कथित मुख्यधारा के मीडिया में ऐसा कुछ देखने-पढ़ने को नहीं मिल रहा।

आरोप है कि हिंसा तब शुरु हुई जब मुसलमानों ने वक्फ कानून के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया। लेकिन सवाल है कि अगर मुसलमानों ने ही हिंसा की तो फिर आखिर वे अपने ही घरों को आग क्यों लगाते? आखिर वह कौन लोग थे जिन्होंने मुस्लिम सांसद तृणमूल कांग्रेस के खलीलुर्रहमान के घर पर हमला किया?

तृणमूल कांग्रेस ने भी ऐसी महिलाओं के वीडियो जारी किए हैं जो कैमरे के सामने बोल रही हैं कि बीजेपी समर्थकों ने उनके घरों पर सिर्फ इसलिए हमला किया क्योंकि उन्होंने ‘मुस्लिम पार्टी’ को वोट दिया था। मीडिया ने भी ऐसी रिपोर्ट सामने रखीं कि हिंसा बड़े पैमाने पर हुई, जबकि हकीकत यह है कि उपद्रव मुर्शिदाबाद के दो उपखंडों के सिर्फ 4 ब्लॉक तक ही सीमित था।

इसमें संदेह नहीं कि हिंदुओं के घरों को भी निशाना बनाया गया। लेकिन किसने यह काम किया इस सवाल का जवाब अभी तक सामने नहीं है। यह भी नहीं पता चला है कि किसने हरगोबिंद दास और उनके 40 वर्षीय बेटे चंदन की घर से खींचकर हत्या कर दी और उनके घर को आग लगा दी।

पुलिस का दावा है कि उसने सीसीटीवी कैमरों में कैद तस्वीरों की मदद से हमलावरों की पहचान कर ली है, लेकिन पुलिस के पास इस सवाल का जवाब नहीं है कि आखिर इन दोनों को ही निशाना क्यों बनाया गया। सिर्फ संदर्भ के लिए बता दें कि ये दोनों सीपीएम कार्यकर्ता थे। मुर्शिदाबाद हिंसा में एक और व्यक्ति की हत्या हुई है और वह मुर्शिदाबाद का एक मुस्लिम युवक है। आरोप है कि वह पुलिस की फायरिंग में मारा गया।

तृणमूल कांग्रेस ऐसे वीडियो सर्कुलेट कर रही है जिनमें पीड़ित दावा कर रहे हैं कि सारा उपद्रव बीजेपी कार्यकर्ताओं ने किया न कि मुसलमानों ने। दावा है कि उन्हें उनके घरों से बाहर खींचा गया। मुर्शिदाबाद के चार ब्लॉक के करीब 300 हिंदू परिवारों को नजदीक के मालदा जिले में बीएसएफ की सुरक्षा में भेजा गया है। इन परिवारों में से कई के मकानों को भीड़ ने फूंक दिया है।

बंगाल के राज्यपाल सीवी आनंदबोस और राष्ट्रीय महिला आयोग की टीम ने गांवों का दौरा कर निशाने पर आए घरों आदि का मुआयना किया। लेकिन जो अटपटी बात सामने आई वह यह कि जब राज्यपाल रिलीफ कैंप में थे तो उसी समय भीड़ जय श्रीराम के नारे लगा रही थी और कुछ लोग भगवा गमछे भी लहरा रहे थे।

दूसरी तरफ बीजेपी नेता तृणमूल कांग्रेस पर आरोप लगा रहे हैं कि पुलिस ने ही हिंसा भड़काई ताकि स्कूली शिक्षकों की नौकरी जाने से पैदा हुए रोष से ध्यान भटकाया जा सके। इन शिक्षकों की नौकरी पर हाल ही में सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद तलवार लटक गई है। केंद्रीय मंत्री सुकांता मजूमदार ने दावा किया है कि हमलावर बांग्लादेशी घुसपैठिए थे जो राज्य में हिंसा फैलाना चाहते हैं।

लेकिन तृणमूल कांग्रेस और पुलिस का कहना है कि हिंसा में पड़ोसी राज्य झारखंड और बिहार से लोग लाए गए थे जो महज 6 किलोमीटर दूर हैं। ऐसे ही दो युवाओं के वीडियो शेयर किए जा रहे हैं जो मुस्लिम टोपी पहने हैं, लेकिन कहा जा रहा है कि दोनों पड़ोसी राज्य के हिंदू हैं।

कानून-व्यवस्था के पूरी तरह से ध्वस्त होने का आरोप लगाते हुए, राज्य में राष्ट्रपति शासन लगाने की बीजेपी की अब तक की जानी-पहचानी मांग के बाद, मजूमदार और सोशल मीडिया पर बीजेपी के आधिकारिक हैंडल ने दंगों के नौ वीडियो शेयर किए, जिनके बारे में दावा किया गया है कि यह बंगाल मे हुई हिंसा के ताजा मामले हैं। लेकिन पुलिस ने इन तस्वीरों को पुराना करार देते हुए कहा है कि कुछ तो 2019-20 में सीएए विरोधी प्रदर्शनों के हैं, और तस्वीरें बीजेपी शासित राज्यों की हैं। इसके बाद बीजेपी ने इस पोस्ट को हटा दिया।

अधिकांश नेता और पुलिस इस बात पर सहमत हैं कि मुर्शिदाबाद हिंसा में ‘बाहरी लोगों’ का हाथ है। कुछ प्रत्यक्षदर्शियों ने दावा किया है कि वे भीड़ में शामिल लोगों को नहीं पहचानते, और इससे यह बात पुख्ता होती है। लेकिन पक्के तौर पर कुछ नहीं कहा जा सकता कि वे कौन थे या क्या कोई राज्य के बाहर से आया था, जैसा कि बीजेपी और तृणमूल दोनों नेता आरोप लगा रहे हैं। मुर्शिदाबाद हिंसा को लेकर पश्चिम बंगाल पुलिस ने अब तक 274 गिरफ्तारियां की हैं।

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यहां यह जानना रोचक होगा कि पश्चिम बंगाल में अगले साल मार्च-अप्रैल में चुनाव होने हैं। इस साल आर एस एस प्रमुख मोहन भागवत फरवरी माह में 10 दिन के बंगाल प्रवास पर थे। इसके बाद मार्च में बीजेपी नेता सुवेंदु अधिकार ने ऐलान किया कि वे बीजेपी के सत्ता में आते ही मुस्लिम विधायकों को बंगाल विधानसभा से निकाल बाहर करेंगे। गौरतलब है कि उन्होंने यह नहीं कहा कि ’अगर बीजेपी सत्ता में आई तो....।’

इस बयान पर मुर्शिदाबाद से तृणमूल कांग्रेस के विधायक हुमायूं कबीर ने तुरंत प्रतिक्रिया दी थी। अखबारों ने कबीर के हवाले से लिखा कि अगर सुवेंदु अधिकारी ने 13 अप्रैल को मुर्शिदाबाद में कदम रखने की हिम्मत की, तो उन्हें बुरी तरह पीटा जाएगा। 13 अप्रैल का महत्व क्या है, यह नहीं पता, लेकिन 11-12 अप्रैल को मुर्शिदाबाद में हिंसा भड़क उठी।

फिलहाल मुर्शिदाबाद में तनावपूर्ण शांति है, लेकिन कब क्या हो जाए, कुछ नहीं कहा जा सकता।

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