Study Abroad Tips: विदेश में पढ़ने से पहले अच्छी तरह से रिसर्च करना बेहद जरूरी है। उसके आधार पर ही आप सही कॉलेज और यूनिवर्सिटी सेलेक्ट कर पाते हैं। हालांकि, सिर्फ कॉलेज-यूनिवर्सिटी का सेलेक्शन ही विदेश में पढ़ने के लिए जरूरी नहीं है, बल्कि एक चीज और है, जिसे स्टूडेंट्स इग्नोर कर बैठते हैं। वे उसे लेकर किसी तरह की कोई रिसर्च भी नहीं करते हैं। इसके बाद जब वे विदेश में डिग्री लेने पहुंचते हैं, तो फिर उन्हें उस चीज के बारे में मालूम चलता है और वे परेशान हो जाते हैं।
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दरअसल, यहां जिस चीज को लेकर रिसर्च करने की बात हो रही है, वह जॉब मार्केट है। भारतीय छात्र आमतौर पर किसी देश में किसी खास कोर्स को चुन लेते हैं, लेकिन वे इस बात को चेक नहीं करते हैं कि डिग्री मिलने के बाद उन्हें नौकरी मिलेगी भी या नहीं। इसे लेकर सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म रेडिट पर एक भारतीय वर्कर ने एक पोस्ट की है। इसमें उसने बताया है कि जॉब मार्केट को लेकर रिसर्च करना क्यों जरूरी है। उसका कहना है कि डिग्री के बाद भी विदेश में जॉब पाना मुश्किल होता है।
अच्छी सैलरी वाली जॉब पाना सबसे ज्यादा जरूरी
आयरलैंड में डाटा एनालिटिक्स की पढ़ाई करने वाले शख्स ने कहा, 'ये पोस्ट किसी को हतोत्साहित करने के लिए नहीं है। ये विदेश में पढ़ने की असल सच्चाई बताने के लिए है, जिसके बारे में ना तो यूनिवर्सिटी बताती है और ना कंसल्टेंसी।' उसने आगे कहा, 'मैं जो कहने वाला हूं, वह किसी भी देश, फील्ड और डिग्री के लिए विदेश जाने की सोच रहे व्यक्ति पर लागू होता है। मैं यहां और अन्य जगहों पर कोर्सेज, यूनिवर्सिटीज और विदेश में पढ़ने के स्कोप को लेकर अनगिनत पोस्ट देखता हूं।'
भारतीय वर्कर ने कहा, 'लेकिन लगभग कोई भी उस पहली चीज का उल्लेख नहीं करता जो मैंने की थी और जो हममें से 99.9% लोगों के लिए, जिनका आखिरी टारगेट एक अच्छी सैलरी वाली नौकरी पाना है, सबसे ज्यादा मायने रखती है।' उसका कहना है कि लोग विदेश में पढ़ने तो चले जाते हैं, लेकिन वे यहां आने से पहले ये सर्च नहीं करते हैं कि जो डिग्री वो ले रहे हैं, क्या उससे उन्हें नौकरी भी मिलेगी या नहीं। टेक वर्कर ने आगे बताया है कि किस तरह नौकरियों के बारे में पता लगाया जा सकता है।
किस तरह लगाएं जॉब मार्केट का पता?
भारतीय शख्स ने कहा, 'यूनिवर्सिटी में अप्लाई करने से पहले लिंक्डइन और इंडीड खोलो और उस नौकरी के बारे में सर्च करो, जिसे आप ग्रेजुएशन के बाद करना चाहते हो। यहां नंबर्स को देखो। कितनी जॉब पोस्टिंग हो रही हैं? हर पोस्टिंग पर कितने आवेदन किए जा रहे हैं? नौकरी के लिए न्यूनतम क्वालिफिकेशन क्या है? तब आपको रियल डाटा मिलेगा।' उसने आगे कहा, 'प्रत्येक इंटेक में उस देश में समान कोर्सों में कितने अन्य छात्र दाखिला ले रहे हैं? आप उन सभी लोगों के साथ कॉम्पिटिशन करेंगे।'
टेक वर्कर ने आगे बताया कि जब आप जॉब सर्च के हिसाब से अपनी प्रोफाइल देखेंगे तो फिर आपको पता चलेगा कि आप उस देश या कोर्स के लिए फिट है भी या नहीं। उसने कहा, 'अपनी प्रोफाइल (एक्सपीरियंस, स्किल आदि) के आधार पर उन जॉब सर्च को फिल्टर करें। इसके आपको मालूम चलेगा कि वह देश/कोर्स आपके लिए कितना फिट बैठता है।' अगर आपको लगता है कि आपकी प्रोफाइल जॉब के लिए फिट बैठेगी, तभी विदेश में पढ़ने जाएं।
उसने बताया कि आपको कम से कम 10 ऐसे लोगों से बात करनी चाहिए, जिन्होंने वो कोर्स किया है और अब वे जॉब कर रहे हैं। ऐसे लोगों को आपको लिंक्डइन पर ढूंढना होगा और उनसे उनके 15 मिनट लेने होंगे। जितने ज्यादा लोगों के आप बात करेंगे, उतनी ही आपकी कल्पना गायब होती जाएगी और असल सच्चाई उभरने लगेगी।
नागरिकों को जॉब में पहले प्राथमिकता
भारतीय वर्कर का कहना है कि ज्यादातर लोग ये बात भूल जाते हैं कि जॉब पाने के लिए वे सबसे आखिरी कतार में होते हैं। किसी भी नौकरी को सबसे पहले वहां के नागरिक को दिया जाता है। इसके बाद उन लोगों का नंबर आता है, जिनके पास पहले से ही उस देश में जॉब करने का अधिकार है। इसी तरह से सबसे नीचे वे लोग आते हैं, जिन्हें जॉब करने के लिए वीजा स्पांसरशिप चाहिए।
उसने आयरलैंड का उदाहरण देते हुए बताया कि यहां सबसे पहले आयरिश नागरिक को जॉब दी जाती है। इसके बाद ईयू/ईईए नागरिक और फिर बाकी सबका नंबर आता है। उसका कहना है कि ये बातें लोग भूल जाते हैं और फिर उन्हें डिग्री मिलने के बाद जॉब के लिए धक्के खाने पड़ते हैं।
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दरअसल, यहां जिस चीज को लेकर रिसर्च करने की बात हो रही है, वह जॉब मार्केट है। भारतीय छात्र आमतौर पर किसी देश में किसी खास कोर्स को चुन लेते हैं, लेकिन वे इस बात को चेक नहीं करते हैं कि डिग्री मिलने के बाद उन्हें नौकरी मिलेगी भी या नहीं। इसे लेकर सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म रेडिट पर एक भारतीय वर्कर ने एक पोस्ट की है। इसमें उसने बताया है कि जॉब मार्केट को लेकर रिसर्च करना क्यों जरूरी है। उसका कहना है कि डिग्री के बाद भी विदेश में जॉब पाना मुश्किल होता है।
अच्छी सैलरी वाली जॉब पाना सबसे ज्यादा जरूरी
आयरलैंड में डाटा एनालिटिक्स की पढ़ाई करने वाले शख्स ने कहा, 'ये पोस्ट किसी को हतोत्साहित करने के लिए नहीं है। ये विदेश में पढ़ने की असल सच्चाई बताने के लिए है, जिसके बारे में ना तो यूनिवर्सिटी बताती है और ना कंसल्टेंसी।' उसने आगे कहा, 'मैं जो कहने वाला हूं, वह किसी भी देश, फील्ड और डिग्री के लिए विदेश जाने की सोच रहे व्यक्ति पर लागू होता है। मैं यहां और अन्य जगहों पर कोर्सेज, यूनिवर्सिटीज और विदेश में पढ़ने के स्कोप को लेकर अनगिनत पोस्ट देखता हूं।'
भारतीय वर्कर ने कहा, 'लेकिन लगभग कोई भी उस पहली चीज का उल्लेख नहीं करता जो मैंने की थी और जो हममें से 99.9% लोगों के लिए, जिनका आखिरी टारगेट एक अच्छी सैलरी वाली नौकरी पाना है, सबसे ज्यादा मायने रखती है।' उसका कहना है कि लोग विदेश में पढ़ने तो चले जाते हैं, लेकिन वे यहां आने से पहले ये सर्च नहीं करते हैं कि जो डिग्री वो ले रहे हैं, क्या उससे उन्हें नौकरी भी मिलेगी या नहीं। टेक वर्कर ने आगे बताया है कि किस तरह नौकरियों के बारे में पता लगाया जा सकता है।
किस तरह लगाएं जॉब मार्केट का पता?
भारतीय शख्स ने कहा, 'यूनिवर्सिटी में अप्लाई करने से पहले लिंक्डइन और इंडीड खोलो और उस नौकरी के बारे में सर्च करो, जिसे आप ग्रेजुएशन के बाद करना चाहते हो। यहां नंबर्स को देखो। कितनी जॉब पोस्टिंग हो रही हैं? हर पोस्टिंग पर कितने आवेदन किए जा रहे हैं? नौकरी के लिए न्यूनतम क्वालिफिकेशन क्या है? तब आपको रियल डाटा मिलेगा।' उसने आगे कहा, 'प्रत्येक इंटेक में उस देश में समान कोर्सों में कितने अन्य छात्र दाखिला ले रहे हैं? आप उन सभी लोगों के साथ कॉम्पिटिशन करेंगे।'
टेक वर्कर ने आगे बताया कि जब आप जॉब सर्च के हिसाब से अपनी प्रोफाइल देखेंगे तो फिर आपको पता चलेगा कि आप उस देश या कोर्स के लिए फिट है भी या नहीं। उसने कहा, 'अपनी प्रोफाइल (एक्सपीरियंस, स्किल आदि) के आधार पर उन जॉब सर्च को फिल्टर करें। इसके आपको मालूम चलेगा कि वह देश/कोर्स आपके लिए कितना फिट बैठता है।' अगर आपको लगता है कि आपकी प्रोफाइल जॉब के लिए फिट बैठेगी, तभी विदेश में पढ़ने जाएं।
उसने बताया कि आपको कम से कम 10 ऐसे लोगों से बात करनी चाहिए, जिन्होंने वो कोर्स किया है और अब वे जॉब कर रहे हैं। ऐसे लोगों को आपको लिंक्डइन पर ढूंढना होगा और उनसे उनके 15 मिनट लेने होंगे। जितने ज्यादा लोगों के आप बात करेंगे, उतनी ही आपकी कल्पना गायब होती जाएगी और असल सच्चाई उभरने लगेगी।
नागरिकों को जॉब में पहले प्राथमिकता
भारतीय वर्कर का कहना है कि ज्यादातर लोग ये बात भूल जाते हैं कि जॉब पाने के लिए वे सबसे आखिरी कतार में होते हैं। किसी भी नौकरी को सबसे पहले वहां के नागरिक को दिया जाता है। इसके बाद उन लोगों का नंबर आता है, जिनके पास पहले से ही उस देश में जॉब करने का अधिकार है। इसी तरह से सबसे नीचे वे लोग आते हैं, जिन्हें जॉब करने के लिए वीजा स्पांसरशिप चाहिए।
उसने आयरलैंड का उदाहरण देते हुए बताया कि यहां सबसे पहले आयरिश नागरिक को जॉब दी जाती है। इसके बाद ईयू/ईईए नागरिक और फिर बाकी सबका नंबर आता है। उसका कहना है कि ये बातें लोग भूल जाते हैं और फिर उन्हें डिग्री मिलने के बाद जॉब के लिए धक्के खाने पड़ते हैं।
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