नई दिल्ली : ऑपरेशन सिंदूरके दौरान दुश्मन के सेंसर का पता लगाने से लेकर बेटलफील्ड की पूरी तस्वीर की जानकारी लेने तक भारतीय सेना ने स्वदेशी आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस एप्लिकेशन का इस्तेमाल किया। भारतीय सेना ने खुद ही ये AI एप्लिकेशन तैयार की हैं। सेना के डीजी ईएमई लेफ्टिनेंट जनरल राजीव कुमार साहनी ने बताया कि ऑपरेशन सिंदूर के दौरान 23 आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस एप्लिकेशन का इस्तेमाल किया गया, जिससे भारतीय सेना को दुश्मन के मुकाबले बढ़त मिली। लेफ्टिनेंट जनरल साहनी ऑपरेशन सिंदूर के दौरान डीजी इंफॉर्मेशन सिस्टम्स थे।
उन्होंने कहा कि चीन की AI क्षमताओं को लेकर भले ही अलग-अलग परसेप्शन हो लेकिन भारतीय सेना पूरी तरह तैयार है और राष्ट्रीय सुरक्षा पर केंद्रित रहते हुए मजबूत और स्वदेशी AI तकनीकों पर लगातार काम कर रही है और लगातार विकसित कर रही है। लेफ्टिनेंट जनरल साहनी ने बताया कि इन AI एप्लिकेशंस ने ऑपरेशन सिंदूर के दौरान मदद की।
स्वदेशी इलेक्ट्रॉनिक इंटेलिजेंस सिस्टम
ये एक स्वदेशी रूप से विकसित एप्लिकेशन है जिसका उपयोग सभी खुफिया एजेंसियां कर रही हैं। ऑपरेशन सिंदूर के दौरान इस सिस्टम को बहुत कम वक्त में सभी एजेंसियों की जरूरतों के अनुसार संशोधित किया गया। इसके जरिए दुश्मन के सेंसर्स का पता लगाने में काफी मदद मिली।
सटीक निशाना साधने की क्षमता (प्रिसिशन टार्गेटिंग)
लंबी दूरी के हथियारों के लिए मौसम से जुड़ी विस्तृत रिपोर्ट तैयार की गई। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस आधारित मौसम रिपोर्टिंग सिस्टम की मदद से दुश्मन के ठिकानों पर सटीक निशाना साधना संभव हुआ।
कॉमन सर्विलांस पिक्चर और टारगेट तय करना
त्रिनेत्र सिस्टम के जरिए टेक्टिकल और ऑपरेशनल स्तर पर एक साझा ऑपरेशनल और इंटेलिजेंस पिक्चर तैयार करने में मदद मिली। जिससे तीनों फोर्स के संसाधनों को बेहतर समन्वय सुनिश्चित हो पाया। इससे फैसले लेने में तेजी आई और सभी स्तर पर मिलिट्री कमांडर्स को एक साथ एक जैसी तस्वीर दिखी।
जिससे ऑपरेशनल क्षमता आर्टिफिशिल इंटेलिजेंस के जरिए खतरों की भविष्यवाणी
समय, स्थान और संसाधनों के जटिल तालमेल में आर्टिफिशिल इंटेलिजेंस के जरिए खतरों की भविष्यवाणी की गई। इस मॉडल से सही वक्त पर सही जगह पर रिसोर्स तैनात करने में मदद मिली। मल्टी-सेंसर डेटा फ्यूजन और मल्टी-सोर्स डेटा फ्यूजन जैसी तकनीकों से अलग अलग सोर्स से मिली जानकारी को लगभग वास्तविक समय में जोड़ा गया, जिससे कमांडरों को युद्धक्षेत्र की स्थिति समझने और उसे संचालित करने में सुविधा हुई। इससे दुश्मन पर बढ़त मिली।
उन्होंने कहा कि चीन की AI क्षमताओं को लेकर भले ही अलग-अलग परसेप्शन हो लेकिन भारतीय सेना पूरी तरह तैयार है और राष्ट्रीय सुरक्षा पर केंद्रित रहते हुए मजबूत और स्वदेशी AI तकनीकों पर लगातार काम कर रही है और लगातार विकसित कर रही है। लेफ्टिनेंट जनरल साहनी ने बताया कि इन AI एप्लिकेशंस ने ऑपरेशन सिंदूर के दौरान मदद की।
स्वदेशी इलेक्ट्रॉनिक इंटेलिजेंस सिस्टम
ये एक स्वदेशी रूप से विकसित एप्लिकेशन है जिसका उपयोग सभी खुफिया एजेंसियां कर रही हैं। ऑपरेशन सिंदूर के दौरान इस सिस्टम को बहुत कम वक्त में सभी एजेंसियों की जरूरतों के अनुसार संशोधित किया गया। इसके जरिए दुश्मन के सेंसर्स का पता लगाने में काफी मदद मिली।
सटीक निशाना साधने की क्षमता (प्रिसिशन टार्गेटिंग)
लंबी दूरी के हथियारों के लिए मौसम से जुड़ी विस्तृत रिपोर्ट तैयार की गई। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस आधारित मौसम रिपोर्टिंग सिस्टम की मदद से दुश्मन के ठिकानों पर सटीक निशाना साधना संभव हुआ।
कॉमन सर्विलांस पिक्चर और टारगेट तय करना
त्रिनेत्र सिस्टम के जरिए टेक्टिकल और ऑपरेशनल स्तर पर एक साझा ऑपरेशनल और इंटेलिजेंस पिक्चर तैयार करने में मदद मिली। जिससे तीनों फोर्स के संसाधनों को बेहतर समन्वय सुनिश्चित हो पाया। इससे फैसले लेने में तेजी आई और सभी स्तर पर मिलिट्री कमांडर्स को एक साथ एक जैसी तस्वीर दिखी।
जिससे ऑपरेशनल क्षमता आर्टिफिशिल इंटेलिजेंस के जरिए खतरों की भविष्यवाणी
समय, स्थान और संसाधनों के जटिल तालमेल में आर्टिफिशिल इंटेलिजेंस के जरिए खतरों की भविष्यवाणी की गई। इस मॉडल से सही वक्त पर सही जगह पर रिसोर्स तैनात करने में मदद मिली। मल्टी-सेंसर डेटा फ्यूजन और मल्टी-सोर्स डेटा फ्यूजन जैसी तकनीकों से अलग अलग सोर्स से मिली जानकारी को लगभग वास्तविक समय में जोड़ा गया, जिससे कमांडरों को युद्धक्षेत्र की स्थिति समझने और उसे संचालित करने में सुविधा हुई। इससे दुश्मन पर बढ़त मिली।
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