नई दिल्ली: भारत और चीन में लोगों की कमाई बढ़ी है। इससे अब दुनिया की कुल जीपीडी में अमीर देशों का हिस्सा पहले से कम हो गया है। हालांकि, यह उलटफेर भारत और चीन के अंदरूनी हालात की पूरी तस्वीर नहीं दिखाता। साल 2023 में भारत के सबसे अमीर 1% लोगों के पास देश की कुल संपत्ति का 40.1% हिस्सा था। यह दिखाता है कि देश के अमीर और गरीब के बीच दूरी अब भी बहुत बड़ी बनी हुई है। चीन में भी कमोबेश ऐसे ही हालात हैं। भारत में सबसे अमीर 1% लोगों की संपत्ति में 2000 से 2023 के बीच 62% की भारी बढ़ोतरी हुई है। एक नई रिपोर्ट से इसका पता चलता है। यह रिपोर्ट जी20 के दक्षिण अफ्रीकी प्रेसीडेंसी के लिए तैयार की गई है। रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि दुनिया भर के देशों में सबसे अमीर 1% लोगों के पास औसतन 27% संपत्ति है। यह सबसे गरीब 50% लोगों की संपत्ति से सात गुना ज्यादा है। चीन में भी सबसे अमीर 1% की संपत्ति में 54% की बढ़ोतरी देखी गई। यह अब 30.2% हो गई है। रिपोर्ट बताती है कि दुनिया की 74% आबादी वाले आधे से ज्यादा देशों में अमीरों की संपत्ति का हिस्सा बढ़ा है।
इस रिपोर्ट में भारत में सबसे अमीर लोगों की संपत्ति का सटीक आंकड़ा नहीं दिया गया है। हालांकि, वर्ल्ड इनइक्वालिटी लैब की एक रिपोर्ट के मुताबिक, 2023 में भारत में सबसे अमीर 1% लोगों के पास कुल संपत्ति का 40.1% हिस्सा था। चीन में यह आंकड़ा 30.2% था। रिपोर्ट में इस बात पर जोर दिया गया है कि अत्यधिक असमानता कोई मजबूरी नहीं है। अलबत्ता, यह एक 'चुनाव' है जिसे राजनीतिक इच्छाशक्ति से बदला जा सकता है। वैश्विक सहयोग से इसे काफी हद तक सुधारा जा सकता है। इसमें जी20 देशों की अहम भूमिका है।
रिपोर्ट में यह भी चेतावनी दी गई है कि जिन देशों में असमानता ज्यादा है, वहां लोकतंत्र के कमजोर होने का खतरा उन देशों की तुलना में सात गुना ज्यादा होता है जहां समानता ज्यादा है।
भारत-चीन ने घटाई अमीर देशों की हिस्सेदारीयह महत्वपूर्ण अध्ययन 2025 जी20 असाधारण समिति के स्वतंत्र विशेषज्ञों की ओर से किया गया है। इसका नेतृत्व जोसेफ ई. स्टिग्लिट्ज ने किया। इस समिति में एड्रियाना एबडेनूर, विनी बियानिमा, जयाती घोष, इमरान वालोडिया और वांगा जेम्बे-मकाबिल जैसे विशेषज्ञ शामिल थे। रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि चीन और भारत जैसे बड़े देशों की प्रति व्यक्ति आय में बढ़ोतरी के कारण देशों के बीच की असमानता में कुछ कमी आई है। इससे ग्लोबल जीडीपी में अमीर देशों का हिस्सा कम हुआ है।
जी20 वर्कफोर्स ने 'अंतरराष्ट्रीय पैनल ऑन इनइक्वालिटी' (आईपीआई) बनाने का प्रस्ताव दिया है। यह पैनल सरकारों और बहुपक्षीय संगठनों को नीति बनाने में मदद करने के लिए विश्लेषण और मार्गदर्शन प्रदान करेगा। आईपीआई का विचार 'इंटरगवर्नमेंटल पैनल ऑन क्लाइमेट चेंज' (आईपीसीसी) से प्रेरित है। यह पैनल एक तकनीकी निकाय होगा जो डेटा और नीति-संबंधी विश्लेषण पर फोकस करेगा, न कि किसी खास एजेंडे पर। सीधे तौर पर यह शोध नहीं करेगा, बल्कि मौजूदा और नए शोध की निगरानी करेगा। साथ ही, यह ज्ञान की कमियों और गुणवत्ता वाले डेटा की उपलब्धता का आकलन करेगा।
अब भी अमीर और गरीब में बहुत ज्यादा फर्करिपोर्ट के अनुसार, सबसे अमीर 1% और सबसे गरीब 50% लोगों के बीच आय का अंतर अभी भी बहुत ज्यादा है। पिछले 40 सालों में दुनिया की सबसे गरीब 50% आबादी की औसत आय में सिर्फ 358 डॉलर की बढ़ोतरी हुई है। वहीं, सबसे अमीर 1% लोगों की आय में 191,000 डॉलर (2024 के स्थिर डॉलर दर के अनुसार) की बढ़ोतरी दर्ज की गई है। यह आंकड़ा आय असमानता की भयावह तस्वीर पेश करता है।
यह रिपोर्ट इस बात पर प्रकाश डालती है कि कैसे कुछ लोगों के पास धन का अंबार लग रहा है, जबकि बड़ी आबादी की आय में मामूली बढ़ोतरी हो रही है। यह स्थिति सामाजिक और राजनीतिक स्थिरता के लिए भी चिंता का विषय है। G20 जैसे मंचों पर इस मुद्दे पर गंभीरता से विचार करने और ठोस कदम उठाने की जरूरत है ताकि एक ज्यादा न्यायसंगत दुनिया का निर्माण हो सके।
इस रिपोर्ट में भारत में सबसे अमीर लोगों की संपत्ति का सटीक आंकड़ा नहीं दिया गया है। हालांकि, वर्ल्ड इनइक्वालिटी लैब की एक रिपोर्ट के मुताबिक, 2023 में भारत में सबसे अमीर 1% लोगों के पास कुल संपत्ति का 40.1% हिस्सा था। चीन में यह आंकड़ा 30.2% था। रिपोर्ट में इस बात पर जोर दिया गया है कि अत्यधिक असमानता कोई मजबूरी नहीं है। अलबत्ता, यह एक 'चुनाव' है जिसे राजनीतिक इच्छाशक्ति से बदला जा सकता है। वैश्विक सहयोग से इसे काफी हद तक सुधारा जा सकता है। इसमें जी20 देशों की अहम भूमिका है।
रिपोर्ट में यह भी चेतावनी दी गई है कि जिन देशों में असमानता ज्यादा है, वहां लोकतंत्र के कमजोर होने का खतरा उन देशों की तुलना में सात गुना ज्यादा होता है जहां समानता ज्यादा है।
भारत-चीन ने घटाई अमीर देशों की हिस्सेदारीयह महत्वपूर्ण अध्ययन 2025 जी20 असाधारण समिति के स्वतंत्र विशेषज्ञों की ओर से किया गया है। इसका नेतृत्व जोसेफ ई. स्टिग्लिट्ज ने किया। इस समिति में एड्रियाना एबडेनूर, विनी बियानिमा, जयाती घोष, इमरान वालोडिया और वांगा जेम्बे-मकाबिल जैसे विशेषज्ञ शामिल थे। रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि चीन और भारत जैसे बड़े देशों की प्रति व्यक्ति आय में बढ़ोतरी के कारण देशों के बीच की असमानता में कुछ कमी आई है। इससे ग्लोबल जीडीपी में अमीर देशों का हिस्सा कम हुआ है।
जी20 वर्कफोर्स ने 'अंतरराष्ट्रीय पैनल ऑन इनइक्वालिटी' (आईपीआई) बनाने का प्रस्ताव दिया है। यह पैनल सरकारों और बहुपक्षीय संगठनों को नीति बनाने में मदद करने के लिए विश्लेषण और मार्गदर्शन प्रदान करेगा। आईपीआई का विचार 'इंटरगवर्नमेंटल पैनल ऑन क्लाइमेट चेंज' (आईपीसीसी) से प्रेरित है। यह पैनल एक तकनीकी निकाय होगा जो डेटा और नीति-संबंधी विश्लेषण पर फोकस करेगा, न कि किसी खास एजेंडे पर। सीधे तौर पर यह शोध नहीं करेगा, बल्कि मौजूदा और नए शोध की निगरानी करेगा। साथ ही, यह ज्ञान की कमियों और गुणवत्ता वाले डेटा की उपलब्धता का आकलन करेगा।
अब भी अमीर और गरीब में बहुत ज्यादा फर्करिपोर्ट के अनुसार, सबसे अमीर 1% और सबसे गरीब 50% लोगों के बीच आय का अंतर अभी भी बहुत ज्यादा है। पिछले 40 सालों में दुनिया की सबसे गरीब 50% आबादी की औसत आय में सिर्फ 358 डॉलर की बढ़ोतरी हुई है। वहीं, सबसे अमीर 1% लोगों की आय में 191,000 डॉलर (2024 के स्थिर डॉलर दर के अनुसार) की बढ़ोतरी दर्ज की गई है। यह आंकड़ा आय असमानता की भयावह तस्वीर पेश करता है।
यह रिपोर्ट इस बात पर प्रकाश डालती है कि कैसे कुछ लोगों के पास धन का अंबार लग रहा है, जबकि बड़ी आबादी की आय में मामूली बढ़ोतरी हो रही है। यह स्थिति सामाजिक और राजनीतिक स्थिरता के लिए भी चिंता का विषय है। G20 जैसे मंचों पर इस मुद्दे पर गंभीरता से विचार करने और ठोस कदम उठाने की जरूरत है ताकि एक ज्यादा न्यायसंगत दुनिया का निर्माण हो सके।
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