नई दिल्ली: हाल ही में भारत ने संयुक्त राष्ट्र आम सभा (UNGA) के दौरान जिस तरह से ग्लोबल साउथ की वकालत की है, वह इसके बदलते वैश्विक नीति का संकेत माना जा रहा है। विदेश मंत्री एस जयशंकर की अगुवाई में भारत ने यूएनजीए समेत इससे जुड़ी अन्य बैठकों में ग्लोबल साउथ पर जोरदार तरीके से देश का पक्ष रखने की कोशिश की है। हाल में अमेरिका ने जिस तरह टैरिफ के नाम पर भारत को टारगेट करना शुरू किया है, उसको देखते हुए ग्लोबल साउथ उसकी नीतियों के सख्त जवाब के रूप में देखा जा सकता, क्योंकि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप पहले ही ब्रिक्स को लेकर मुंह फुलाए नजर आ रहे हैं। लेकिन, भारत ने न्यूयॉर्क में भी अपनी ब्रिक्स नीतियों को मजबूती देने का प्रयास जारी रखा है।
भारत की बदली नीति में है ट्रंप का 'इलाज'ET की एक रिपोर्ट के मुताबिक विदेश मंत्री जयशंकर संयुक्त राष्ट्र संघ में सुधारों का जोरदार समर्थन करते हुए सुरक्षा परिषद में भी बदलाव की वकालत की है और बताया है कि भारत इसमें ज्यादा बड़ी भूमिका निभाने को तैयार है। संयुक्त राष्ट्र महासभा की सत्र के दौरान ही उन्होंने ब्रिक्स (BRICS) और आईबीएसए के देशों (India-Brazil-South Africa Dialogue Forum) के साथ हुई बैठकों के अलावा 10 बहुपक्षीय और 47 द्विपक्षीय वार्ताएं की हैं। यानी अमेरिका ने जिस तरह से भारत-विरोधी नीति अपनाई है, सरकार अब अपने वैश्विक सहयोगियों के दायरे का विस्तार भी करने की कोशिश कर रही है और उसे और भी मजबूत करने पर फोकस कर रही है।
न्यूयॉर्क में ग्लोबल साउथ की वकालत महत्वपूर्ण
इन बैठकों की जानकारी रहने वाले एक व्यक्ति के अनुसार भारत की इन कोशिशों ने ग्लोबल साउथ पर उसका फोकस तो बढ़ाया ही है, ग्लोबल नॉर्थ के देशों के साथ मौजूदा साझेदारी को और मजबूत करने का इरादा भी मजबूत किया है। इन बैठकों ने भारतीय विदेश नीति को विस्तार और विविधता दी है, जो मौजूदा जियोपॉलिटिक्स को देखते हुए भविष्य की रणनीति लगती है। लेकिन, न्यूयॉर्क में ग्लोबल साउथ की खास बैठक को वैश्विक कूटनीति के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण माना जा रहा है।
पुराने साझेदार देशों के साथ रिश्तों में भी मजबूती
इनके अलावा भारत ने लैटिन अमेरिकी देशों के सीईएलएसी (Community of Latin American and Caribbean States) और एसआईसीए (Central American Integration System) ग्रुप समेत प्रशांत के देशों के एफआईपीआईसी (Forum for India–Pacific Islands Cooperation) के साथ हुई बैठकों के माध्यम से विभिन्न क्षेत्रों में अपनी दमदार मौजूदगी पर मुहर लगाई। वहीं संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में सुधार को लेकर जो बैठक हुई वह अपनी तरह की दूसरी थी। इनके अलावा वार्षिक G4 की भी बैठक हुई और G20 और IBSA में शामिल देशों के साथ भी चर्चा की गई। इसके साथ ही पहली बार भारतीय विदेश मंत्री ने न्यूयॉर्क में यूरोपियन यूनियन के विदेश मंत्रियों को भी संबोधित किया।
न्यूयॉर्क में अपनी मौजूदगी के दौरान जयंशकर ने अमेरिका, रूस, यूएई, अल्जीरिया, ऑस्ट्रेलिया, आस्ट्रिया, ब्राजील, कनाडा, डेनमार्क, इटली, नीदरलैंड, मिस्र, फिलीपींस, सऊदी अरब, सिंगापुर, श्रीलंका और यूके समेत कई अन्य देशों के अपने समकक्षों से भी बात की।
भारत की बदली नीति में है ट्रंप का 'इलाज'ET की एक रिपोर्ट के मुताबिक विदेश मंत्री जयशंकर संयुक्त राष्ट्र संघ में सुधारों का जोरदार समर्थन करते हुए सुरक्षा परिषद में भी बदलाव की वकालत की है और बताया है कि भारत इसमें ज्यादा बड़ी भूमिका निभाने को तैयार है। संयुक्त राष्ट्र महासभा की सत्र के दौरान ही उन्होंने ब्रिक्स (BRICS) और आईबीएसए के देशों (India-Brazil-South Africa Dialogue Forum) के साथ हुई बैठकों के अलावा 10 बहुपक्षीय और 47 द्विपक्षीय वार्ताएं की हैं। यानी अमेरिका ने जिस तरह से भारत-विरोधी नीति अपनाई है, सरकार अब अपने वैश्विक सहयोगियों के दायरे का विस्तार भी करने की कोशिश कर रही है और उसे और भी मजबूत करने पर फोकस कर रही है।
न्यूयॉर्क में ग्लोबल साउथ की वकालत महत्वपूर्ण
इन बैठकों की जानकारी रहने वाले एक व्यक्ति के अनुसार भारत की इन कोशिशों ने ग्लोबल साउथ पर उसका फोकस तो बढ़ाया ही है, ग्लोबल नॉर्थ के देशों के साथ मौजूदा साझेदारी को और मजबूत करने का इरादा भी मजबूत किया है। इन बैठकों ने भारतीय विदेश नीति को विस्तार और विविधता दी है, जो मौजूदा जियोपॉलिटिक्स को देखते हुए भविष्य की रणनीति लगती है। लेकिन, न्यूयॉर्क में ग्लोबल साउथ की खास बैठक को वैश्विक कूटनीति के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण माना जा रहा है।
पुराने साझेदार देशों के साथ रिश्तों में भी मजबूती
इनके अलावा भारत ने लैटिन अमेरिकी देशों के सीईएलएसी (Community of Latin American and Caribbean States) और एसआईसीए (Central American Integration System) ग्रुप समेत प्रशांत के देशों के एफआईपीआईसी (Forum for India–Pacific Islands Cooperation) के साथ हुई बैठकों के माध्यम से विभिन्न क्षेत्रों में अपनी दमदार मौजूदगी पर मुहर लगाई। वहीं संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में सुधार को लेकर जो बैठक हुई वह अपनी तरह की दूसरी थी। इनके अलावा वार्षिक G4 की भी बैठक हुई और G20 और IBSA में शामिल देशों के साथ भी चर्चा की गई। इसके साथ ही पहली बार भारतीय विदेश मंत्री ने न्यूयॉर्क में यूरोपियन यूनियन के विदेश मंत्रियों को भी संबोधित किया।
न्यूयॉर्क में अपनी मौजूदगी के दौरान जयंशकर ने अमेरिका, रूस, यूएई, अल्जीरिया, ऑस्ट्रेलिया, आस्ट्रिया, ब्राजील, कनाडा, डेनमार्क, इटली, नीदरलैंड, मिस्र, फिलीपींस, सऊदी अरब, सिंगापुर, श्रीलंका और यूके समेत कई अन्य देशों के अपने समकक्षों से भी बात की।
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