चंडीगढ़ : क्या सर छोटूराम के परिवार की तीसरी पीढ़ी भी अब सक्रिय राजनीति में कदम रखने जा रही है? ये सवाल इन दिनों हरियाणा में हर किसी की जुबां पर है।पूर्व केंद्रीय मंत्री की चौधरी बीरेंद्र सिंह पोती और हरियाणा के पूर्व सांसद बृजेंद्र सिंह की बेटी कुदरत को लेकर सियासी गलियारों में उनकी राजनीतिक एंट्री को लेकर चर्चा तेज है। हाल ही में पिता बृजेंद्र सिंह की सद्भावना यात्रा में कुदरत की सक्रिय भागीदारी ने इस अटकल को और मजबूत कर दिया है। कुदरत ने सद्भावना यात्रा में हिसार के उकलाना में हिस्सा लिया। इस रैली में हिस्सा लेने के बाद उनके राजनीति में एंट्री को लेकर अटकलें शुरू हुई थी।
राजनीति में एंट्री पर क्या बोलीं कुदरत
एक न्यूज साइट को दिए इंटरव्यू में कुदरत ने बताया है कि मेरा फोकस अभी सिर्फ पढ़ाई पर है। समय-समय पर अपने पिता को सपोर्ट करने के लिए आती रहती हूं। लोकसभा चुनाव में भी मैंने अपने पिता के लिए प्रचार किया था। उन्होंने हंसते हुए कहा कि अभी मेरा राजनीति में आने का कोई प्लान नहीं है। लेकिन वो अपने परिवार को हमेशा सपोर्ट करती रहेंगी।
शुरू करेंगी राजनीतिक पारी?
कुदरत की राजनीतिक सक्रियता को देखकर ऐसा लगता है कि सर छोटूराम परिवार की तीसरी पीढ़ी हरियाणा की राजनीति में नई पारी शुरू करने की तैयारी में है। कुदरत एक ऐसे परिवार से आती हैं जिसकी राजनीति में गहरी जड़ें रही हैं। वह सर छोटूराम की परपोती हैं। उनके दादा चौधरी बीरेंद्र सिंह करीब पांच दशक से हरियाणा की राजनीति में सक्रिय रहे हैं और केंद्र में मंत्री पद भी संभाल चुके हैं। बीरेंद्र सिंह के पिता नेकी राम संयुक्त पंजाब में नरवाना से विधायक बने थे और प्रदेश सरकार में राजस्व मंत्री के रूप में कार्य किया था। परिवार की राजनीतिक विरासत की शुरुआत बीरेंद्र के नाना चौधरी छोटूराम ने की थी। उन्होंने जिन्होंने अंग्रेजी शासन के दौर में 1920 में जमींदारा लीग की स्थापना की थी।
पिता रह चुके हैं सांसद
कुदरत के पिता बृजेंद्र सिंह 2019 में बीजेपी के टिकट पर हिसार से सांसद बने थे और रिकॉर्ड मतों से जीत हासिल की थी। हालांकि, समय के साथ उनका बीजेपी से मोहभंग हो गया। किसान आंदोलन, अग्निवीर योजना और महिला पहलवानों के यौन उत्पीड़न जैसे मुद्दों पर उनकी पार्टी से गहरी असहमति रही। परिणामस्वरूप, अप्रैल 2024 में लोकसभा चुनाव से ठीक पहले उन्होंने बीजेपी छोड़कर कांग्रेस का दामन थाम लिया। बृजेंद्र सिंह को उम्मीद थी कि कांग्रेस उन्हें लोकसभा टिकट देगी, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। इसके बाद अक्टूबर 2024 में उन्होंने परिवार की पारंपरिक सीट उचाना कलां से कांग्रेस उम्मीदवार के रूप में विधानसभा चुनाव लड़ा, जहां वह बीजेपी के देवेंद्र अत्री से मात्र 32 वोटों से हार गए। उन्होंने अब बैलेट वोटों की दोबारा गिनती के लिए हाईकोर्ट में याचिका दायर की है।
राजनीति में एंट्री पर क्या बोलीं कुदरत
एक न्यूज साइट को दिए इंटरव्यू में कुदरत ने बताया है कि मेरा फोकस अभी सिर्फ पढ़ाई पर है। समय-समय पर अपने पिता को सपोर्ट करने के लिए आती रहती हूं। लोकसभा चुनाव में भी मैंने अपने पिता के लिए प्रचार किया था। उन्होंने हंसते हुए कहा कि अभी मेरा राजनीति में आने का कोई प्लान नहीं है। लेकिन वो अपने परिवार को हमेशा सपोर्ट करती रहेंगी।
शुरू करेंगी राजनीतिक पारी?
कुदरत की राजनीतिक सक्रियता को देखकर ऐसा लगता है कि सर छोटूराम परिवार की तीसरी पीढ़ी हरियाणा की राजनीति में नई पारी शुरू करने की तैयारी में है। कुदरत एक ऐसे परिवार से आती हैं जिसकी राजनीति में गहरी जड़ें रही हैं। वह सर छोटूराम की परपोती हैं। उनके दादा चौधरी बीरेंद्र सिंह करीब पांच दशक से हरियाणा की राजनीति में सक्रिय रहे हैं और केंद्र में मंत्री पद भी संभाल चुके हैं। बीरेंद्र सिंह के पिता नेकी राम संयुक्त पंजाब में नरवाना से विधायक बने थे और प्रदेश सरकार में राजस्व मंत्री के रूप में कार्य किया था। परिवार की राजनीतिक विरासत की शुरुआत बीरेंद्र के नाना चौधरी छोटूराम ने की थी। उन्होंने जिन्होंने अंग्रेजी शासन के दौर में 1920 में जमींदारा लीग की स्थापना की थी।
पिता रह चुके हैं सांसद
कुदरत के पिता बृजेंद्र सिंह 2019 में बीजेपी के टिकट पर हिसार से सांसद बने थे और रिकॉर्ड मतों से जीत हासिल की थी। हालांकि, समय के साथ उनका बीजेपी से मोहभंग हो गया। किसान आंदोलन, अग्निवीर योजना और महिला पहलवानों के यौन उत्पीड़न जैसे मुद्दों पर उनकी पार्टी से गहरी असहमति रही। परिणामस्वरूप, अप्रैल 2024 में लोकसभा चुनाव से ठीक पहले उन्होंने बीजेपी छोड़कर कांग्रेस का दामन थाम लिया। बृजेंद्र सिंह को उम्मीद थी कि कांग्रेस उन्हें लोकसभा टिकट देगी, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। इसके बाद अक्टूबर 2024 में उन्होंने परिवार की पारंपरिक सीट उचाना कलां से कांग्रेस उम्मीदवार के रूप में विधानसभा चुनाव लड़ा, जहां वह बीजेपी के देवेंद्र अत्री से मात्र 32 वोटों से हार गए। उन्होंने अब बैलेट वोटों की दोबारा गिनती के लिए हाईकोर्ट में याचिका दायर की है।
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