शिवपुरी: मध्य प्रदेश में BJPअंदरूनी कलह से जूझ रही है। सागर के देवरी में सोमवार को भाजपा शासित नगर पालिका में अध्यक्ष नेहा जैन को हटा दिया गया है। भाजपा पार्षद और विधायक ने उपर तक शिकायतें की थी। ठीक इसी तरह का मामला ज्योतिरादित्य सिंधिया के संसदीय क्षेत्र शिवपुरी में सामने आया है। यहां भाजपा से निर्विरोध निर्वाचित नपा अध्यक्ष गायत्री शर्मा के खिलाफ भाजपा पार्षद मैदान में उतर आए हैं। कलेक्टर को इस आशय का पत्र लिखकर दिया गया है।
शिवपुरी नगर पालिका अध्यक्ष गायत्री शर्मा की मुश्किलें बढ़ सकती हैं। कारण नपा परिषद में 39 में से भाजपा के 22 पार्षद हैं। इनमें से अधिकांश ने बगावत कर दी है। अध्यक्ष पर मनमानी, विकास कार्य न कराने, अनियमितताओं सहित भ्रष्टाचार के आरोप लगाए जा रहे हैं। परिषद में अध्यक्ष के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाने के लिए पार्षदों ने हस्ताक्षर कर एक पत्र कलेक्टर रविंद्र चौधरी को सौंपा है। बता दें कि 39 में से 22 पार्षद भाजपा के तो 9 पार्षद कांग्रेस के तथा 7 निर्दलीय पार्षद हैं।
कलेक्टर ने बुलाया तो 19 पार्षद पहुंचे
कलेक्टर रविंद्र चौधरी ने नपा अध्यक्ष के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाने के लिए भाजपा पार्षदों के पत्र के बाद उन सभी पार्षदों को बुलाया था, जिनके पत्र पर हस्ताक्षर हैं। मामले में सोमवार को करीब 19 पार्षद कलेक्टर के सामने पहुंचे और बताया कि हमारे ही हस्ताक्षर हैं।
भाजपा मूल संगठन के पदाधिकारी भी नाराज हैं
सिंधिया के क्षेत्र में भाजपा अंदरूनी कलह से पहले से जूझ रही है। अब पार्षदों के रूप में उनका गुस्सा खुलकर सामने आ रहा है। बताया जा रहा है कि यहां भाजपा दो गुटों में बंट गई है। एक मूल भाजपा और दूसरी सिंधिया के भाजपा में आने के बाद से शामिल हुए नए भाजपा नेता। हालांकि नप अध्यक्ष के मामले में नाराजगी केंद्रीय मंत्री सिंधिया तक पहुंच चुकी है।
पार्षदों पर दबाव डालने और किडनैपिंग के आरोप
नगर पालिका की राजनीति में उस समय नया मोड़ आया जब कलेक्टर के समक्ष पहुंचने वाले कुछ पार्षद कलेक्टोरेट पहुंचे ही नहीं। भाजपा पार्षदों ने कहा कि उन पार्षदों पर दबाव बनाया जा रहा है। उनकी किडनैपिंग के प्रयास भी हुए हैं। वहीं विपक्षी कांग्रेस ने पार्षदों की खरीद—फरोख्त के आरोप भी लगाए हैं।
अविश्वास प्रस्ताव के लिए परिषद का सम्मलेन बुलाना होगा
बता दें कि नगर पालिका अध्यक्ष के खिलाफ पार्षद खुलकर लामबंदी तो कर रहे हैं, लेकिन अब गेंद कलेक्टर के पाले में है। अविश्वास प्रस्ताव के लिए उन्हें परिषद का सम्मलेन बुलाना होगा। इसके लिए कलेक्टर शासन स्तर पर बात करेंगे। उसके बाद ही तय हो पाएगा कि इस मामले में आगे क्या होगा। वैसे नियमानुसार परिषद में कुल 39 पार्षद हैं। अविश्वास प्रस्ताव के लिए पक्ष—विपक्ष के मिलाकर एकजुट होकर 30 पार्षदों को वोट डालना होगा। यदि एक भी वोट कम रह गया तो अविश्वास प्रस्ताव गिर सकता है। वहीं नपा अध्यक्ष यदि 13 पार्षदों का समर्थन जुटा लेती हैं तो वे अध्यक्षी बचाने में सफल हो जाएंगी।
शिवपुरी नगर पालिका अध्यक्ष गायत्री शर्मा की मुश्किलें बढ़ सकती हैं। कारण नपा परिषद में 39 में से भाजपा के 22 पार्षद हैं। इनमें से अधिकांश ने बगावत कर दी है। अध्यक्ष पर मनमानी, विकास कार्य न कराने, अनियमितताओं सहित भ्रष्टाचार के आरोप लगाए जा रहे हैं। परिषद में अध्यक्ष के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाने के लिए पार्षदों ने हस्ताक्षर कर एक पत्र कलेक्टर रविंद्र चौधरी को सौंपा है। बता दें कि 39 में से 22 पार्षद भाजपा के तो 9 पार्षद कांग्रेस के तथा 7 निर्दलीय पार्षद हैं।
कलेक्टर ने बुलाया तो 19 पार्षद पहुंचे
कलेक्टर रविंद्र चौधरी ने नपा अध्यक्ष के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाने के लिए भाजपा पार्षदों के पत्र के बाद उन सभी पार्षदों को बुलाया था, जिनके पत्र पर हस्ताक्षर हैं। मामले में सोमवार को करीब 19 पार्षद कलेक्टर के सामने पहुंचे और बताया कि हमारे ही हस्ताक्षर हैं।
भाजपा मूल संगठन के पदाधिकारी भी नाराज हैं
सिंधिया के क्षेत्र में भाजपा अंदरूनी कलह से पहले से जूझ रही है। अब पार्षदों के रूप में उनका गुस्सा खुलकर सामने आ रहा है। बताया जा रहा है कि यहां भाजपा दो गुटों में बंट गई है। एक मूल भाजपा और दूसरी सिंधिया के भाजपा में आने के बाद से शामिल हुए नए भाजपा नेता। हालांकि नप अध्यक्ष के मामले में नाराजगी केंद्रीय मंत्री सिंधिया तक पहुंच चुकी है।
पार्षदों पर दबाव डालने और किडनैपिंग के आरोप
नगर पालिका की राजनीति में उस समय नया मोड़ आया जब कलेक्टर के समक्ष पहुंचने वाले कुछ पार्षद कलेक्टोरेट पहुंचे ही नहीं। भाजपा पार्षदों ने कहा कि उन पार्षदों पर दबाव बनाया जा रहा है। उनकी किडनैपिंग के प्रयास भी हुए हैं। वहीं विपक्षी कांग्रेस ने पार्षदों की खरीद—फरोख्त के आरोप भी लगाए हैं।
अविश्वास प्रस्ताव के लिए परिषद का सम्मलेन बुलाना होगा
बता दें कि नगर पालिका अध्यक्ष के खिलाफ पार्षद खुलकर लामबंदी तो कर रहे हैं, लेकिन अब गेंद कलेक्टर के पाले में है। अविश्वास प्रस्ताव के लिए उन्हें परिषद का सम्मलेन बुलाना होगा। इसके लिए कलेक्टर शासन स्तर पर बात करेंगे। उसके बाद ही तय हो पाएगा कि इस मामले में आगे क्या होगा। वैसे नियमानुसार परिषद में कुल 39 पार्षद हैं। अविश्वास प्रस्ताव के लिए पक्ष—विपक्ष के मिलाकर एकजुट होकर 30 पार्षदों को वोट डालना होगा। यदि एक भी वोट कम रह गया तो अविश्वास प्रस्ताव गिर सकता है। वहीं नपा अध्यक्ष यदि 13 पार्षदों का समर्थन जुटा लेती हैं तो वे अध्यक्षी बचाने में सफल हो जाएंगी।
You may also like
खून और जोड़ों में जमा सारा यूरिक एसिड बाहर निकल देगी 5ˈ रुपये की ये चीज गठिया से भी मिल जाएगा छुटकारा
भारत के प्रमुख मुस्लिम उद्योगपतियों की सूची: सफलता की कहानी
कपल को आया कॉल कहा- जय हिंद जय भारतीय सेना… फिर अकाउंटˈ से गायब हो गए 200000
घर में इस जगह लटका दे फिटकरी का एक टुकड़ा इतना बरसेगाˈ पैसा संभाल नही पाओगे
100 साल पहले हुई थी वाघ बकरी चाय की स्थापना उच्च -ˈ नीच के भेदभाव के खिलाफ देती है संदेश