Canada Work Permit: कनाडा में 2025 में 30% कम पोस्ट-ग्रेजुएशन वर्क परमिट (PGWP) अप्रूव किए जाने की उम्मीद है। ये उन स्टूडेंट्स के लिए बुरी खबर है, जो कनाडा को पढ़ाई के बाद जॉब करने का सपना देख रहे हैं। ये गिरावट ऐसे समय में आने वाली है, जब सरकार ने PGWP की एलिजिबिलिटी को लेकर नियम सख्त किए हैं। इसका असर ये हुआ है कि कुछ कॉलेजों में पढ़ने वाले स्टूडेंट्स और कुछ खास कोर्सेज की डिग्री लेने वाले छात्रों के लिए PGWP पाना नामुमकिन हो गया है।
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दरअसल, अप्लाईबोर्ड ने हाल ही में एक स्टडी की है। इसमें बताया गया है कि 2025 में मंजूर किए जाने वाले PGWP की संख्या 2024 के आंकड़ों की तुलना में लगभग 1,43,600 तक कम होने का अनुमान है। इस गिरावट का अंदाजा तो पहले ही लगने लगा था। मई और जून में हुए अप्रूवल में साल-दर-साल 56% से ज्यादा की कमी आई है। स्टडी में पाया गया है कि अगर ये ट्रेंड जारी रहा, तो इस साल टोटल अप्रूवल 1,30,000 से नीचे गिर सकता है, जो कोविड शुरू होने के बाद से सबसे कम रहने वाला है।
किस वजह से वर्क परमिट पाना हुआ मुश्किल?
दरअसल, PGWP के लिए भाषा की शर्तों को कड़ा कर दिया गया है। अब अच्छी अंग्रेजी आने पर ही वर्क परमिट मिलेगा। इसी तरह से पब्लिक-प्राइवेट पार्टनरशिप वाले कॉलेजों से ग्रेजुएट होने वाले स्टूडेंट्स के लिए शर्तों को हटा दिया गया है और नॉन-डिग्री प्रोग्राम वाले स्टूडेंट्स के लिए भी PGWP पाना मुश्किल हो गया है। नए स्टडी परमिट जारी करने की संख्या को भी सरकार ने पेश कर दिया है। कनाडा में ये सारे बदलाव इसलिए किए गए हैं, ताकि विदेशी छात्रों की संख्या को मैनेज किया जा सके।
आंकड़ों में क्या मालूम चलता है?
आंकड़े बताते हैं कि 2025 की पहली छमाही में PGWP का 65% अप्रूवल कॉलेज के छात्रों को मिला और कुल मिलाकर 48,000 परमिट जारी किए गए। हालांकि, इस दौरान PGWP की अप्रूवल में साल-दर-साल 25% की गिरावट आई है, फिर भी इस ग्रुप ने अब तक दूसरों की तुलना में ज्यादा फायदा देखा। वहीं, अंडरग्रेजुएट लेवल के छात्रों के लिए अप्रूवल रेट में 37% की गिरावट देखी गई और सिर्फ 6,700 परमिट दिए गए, जो किसी भी लेवल के लिए सबसे कम अप्रूवल रेट है, जो 89% रहा है।
मास्टर डिग्री के छात्रों को लगभग 12,000 परमिट मिले, जो 2024 की पहली छमाही की तुलना में 31% की गिरावट को दिखाता है। बिजनेस और मैनेजमेंट सबसे पॉपुलर फील्ड बनी हुई है, जिसके लिए 2025 की पहली छमाही में 44% अप्रूव्ड वर्क परमिट मिले। हालांकि, इस फील्ड की पढ़ाई करने वाले छात्रों को वर्क परमिट की अप्रूवल रेट में 21% की गिरावट देखने को मिली। इंजीनियरिंग, कंप्यूटिंग, आईटी और हेल्थकेयर जैसी फील्ड के छात्रों को भी वर्क परमिट पाने में कठिनाई हुई है।
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दरअसल, अप्लाईबोर्ड ने हाल ही में एक स्टडी की है। इसमें बताया गया है कि 2025 में मंजूर किए जाने वाले PGWP की संख्या 2024 के आंकड़ों की तुलना में लगभग 1,43,600 तक कम होने का अनुमान है। इस गिरावट का अंदाजा तो पहले ही लगने लगा था। मई और जून में हुए अप्रूवल में साल-दर-साल 56% से ज्यादा की कमी आई है। स्टडी में पाया गया है कि अगर ये ट्रेंड जारी रहा, तो इस साल टोटल अप्रूवल 1,30,000 से नीचे गिर सकता है, जो कोविड शुरू होने के बाद से सबसे कम रहने वाला है।
किस वजह से वर्क परमिट पाना हुआ मुश्किल?
दरअसल, PGWP के लिए भाषा की शर्तों को कड़ा कर दिया गया है। अब अच्छी अंग्रेजी आने पर ही वर्क परमिट मिलेगा। इसी तरह से पब्लिक-प्राइवेट पार्टनरशिप वाले कॉलेजों से ग्रेजुएट होने वाले स्टूडेंट्स के लिए शर्तों को हटा दिया गया है और नॉन-डिग्री प्रोग्राम वाले स्टूडेंट्स के लिए भी PGWP पाना मुश्किल हो गया है। नए स्टडी परमिट जारी करने की संख्या को भी सरकार ने पेश कर दिया है। कनाडा में ये सारे बदलाव इसलिए किए गए हैं, ताकि विदेशी छात्रों की संख्या को मैनेज किया जा सके।
आंकड़ों में क्या मालूम चलता है?
आंकड़े बताते हैं कि 2025 की पहली छमाही में PGWP का 65% अप्रूवल कॉलेज के छात्रों को मिला और कुल मिलाकर 48,000 परमिट जारी किए गए। हालांकि, इस दौरान PGWP की अप्रूवल में साल-दर-साल 25% की गिरावट आई है, फिर भी इस ग्रुप ने अब तक दूसरों की तुलना में ज्यादा फायदा देखा। वहीं, अंडरग्रेजुएट लेवल के छात्रों के लिए अप्रूवल रेट में 37% की गिरावट देखी गई और सिर्फ 6,700 परमिट दिए गए, जो किसी भी लेवल के लिए सबसे कम अप्रूवल रेट है, जो 89% रहा है।
मास्टर डिग्री के छात्रों को लगभग 12,000 परमिट मिले, जो 2024 की पहली छमाही की तुलना में 31% की गिरावट को दिखाता है। बिजनेस और मैनेजमेंट सबसे पॉपुलर फील्ड बनी हुई है, जिसके लिए 2025 की पहली छमाही में 44% अप्रूव्ड वर्क परमिट मिले। हालांकि, इस फील्ड की पढ़ाई करने वाले छात्रों को वर्क परमिट की अप्रूवल रेट में 21% की गिरावट देखने को मिली। इंजीनियरिंग, कंप्यूटिंग, आईटी और हेल्थकेयर जैसी फील्ड के छात्रों को भी वर्क परमिट पाने में कठिनाई हुई है।
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