Types of Rudraksha : सुख, शांति एवं समृद्धिदायी दस मुखी रुद्राक्ष (अधिपति नवग्रह) - भूत-प्रेत बाधा को दूर करने के लिए, शांति प्राप्ति एवं पूर्णायु के लिए, मान सम्मान की प्राप्ति के लिए, कीर्ति, विभूति एवं धन की प्राप्ति के लिए, दुर्घटना एवं अकाल मृत्यु से रक्षा के लिए, पुत्र रत्न की कामना पूर्ति के लिए, मानसिक कष्ट एवं शारीरिक निर्बलता दूर करने के लिए तथा सभी ग्रहों को प्रसन्न करने के लिए दस मुखी रुद्राक्ष धारण करना चाहिए।
संकटमोचन ग्यारह मुखी रुद्राक्ष
घर में प्रसन्नता तथा सामाजिक प्रतिष्ठा के लिए, जीवन साथी की सुरक्षा, उन्नति, सौभाग्य एवं दीर्घायु के लिए, एकादशी व्रत के समान फल प्राप्त करने के लिए, सुख-समृद्धि एवं योग साधना के लिए, वैवाहिक सुख की प्राप्ति के लिए ग्यारह मुखी रुद्राक्षा धारण करना चाहिए। कहते हैं श्रद्धा एवं विश्वास के साथ ग्यारह मुखी रुद्राक्ष को धारण करने से बन्ध्या स्त्री को भी संतानवती होने का सौभाग्य प्राप्त होता है।
सर्वबाधा विनाशक बारह मुखी रुद्राक्ष
मानसिक व शारीरिक कष्ट दूर करने के लिए, ऐश्वर्य एवं सुख-समृद्धि के लिए, निर्भय बनने के लिए, दरिद्रता को नष्ट करने के लिए, आत्म निर्भर बनने के लिए, वाहन दुर्घटना से बचाव के लिए बारह मुखी रुद्राक्ष धारण करना चाहिए। यह रुद्राक्ष बारह ज्योतिर्लिंग एवं बारह सूर्य का प्रतीक है, यह धारण करने वाले व्यक्ति को तेजस्वी बनाता है और प्रशासनिक संचालन की प्रवीणता में मदद करता है।
समस्त ऐश्वर्य प्रदायी तेरह मुखी रुद्राक्ष
सम्पूर्ण मनोकामनाओं की पूर्ति के लिए, धातु एवं रसायन क्षेत्र में सफलता के लिए, ज्ञान, तर्क, शक्ति, आध्यात्मिक उत्कर्ष और भौतिक समृद्धि की कामनाओं की पूर्ति के लिए, वशीकरण व आकर्षण के लिए, उच्च पद, मान-सम्मान एवं धनलाभ के लिए तेहर मुखी रुद्राक्ष धारण करना शुभप्रद रहता है।
शनि व मंगल दोष हारी चौदह मुखी रुद्राक्ष
बल व उत्साह वृद्धि के लिए, आरोग्य व वंश वृद्धि के लिए, शारीरिक, मानसिक व आर्थिक कष्टों के निवारण हेतु, आध्यात्मिक एवं भौतिक सुखों की प्राप्ति के लिए, कारागार जाने के भय से मुक्ति के लिए चौदह मुखी रुद्राक्ष धारण करना चाहिए। तांत्रिक धारणा के अनुसार इसमें हनुमान जी की शक्ति निहित रहती है। स्वयं भगवान शंकर भी इसे धारण करते थे। चौदह मुखी रुद्राक्ष से बनी 108 दानों की माला से जप करने से सिद्धि प्राप्त होती है।
संकटमोचन ग्यारह मुखी रुद्राक्ष
घर में प्रसन्नता तथा सामाजिक प्रतिष्ठा के लिए, जीवन साथी की सुरक्षा, उन्नति, सौभाग्य एवं दीर्घायु के लिए, एकादशी व्रत के समान फल प्राप्त करने के लिए, सुख-समृद्धि एवं योग साधना के लिए, वैवाहिक सुख की प्राप्ति के लिए ग्यारह मुखी रुद्राक्षा धारण करना चाहिए। कहते हैं श्रद्धा एवं विश्वास के साथ ग्यारह मुखी रुद्राक्ष को धारण करने से बन्ध्या स्त्री को भी संतानवती होने का सौभाग्य प्राप्त होता है।
सर्वबाधा विनाशक बारह मुखी रुद्राक्ष
मानसिक व शारीरिक कष्ट दूर करने के लिए, ऐश्वर्य एवं सुख-समृद्धि के लिए, निर्भय बनने के लिए, दरिद्रता को नष्ट करने के लिए, आत्म निर्भर बनने के लिए, वाहन दुर्घटना से बचाव के लिए बारह मुखी रुद्राक्ष धारण करना चाहिए। यह रुद्राक्ष बारह ज्योतिर्लिंग एवं बारह सूर्य का प्रतीक है, यह धारण करने वाले व्यक्ति को तेजस्वी बनाता है और प्रशासनिक संचालन की प्रवीणता में मदद करता है।
समस्त ऐश्वर्य प्रदायी तेरह मुखी रुद्राक्ष
सम्पूर्ण मनोकामनाओं की पूर्ति के लिए, धातु एवं रसायन क्षेत्र में सफलता के लिए, ज्ञान, तर्क, शक्ति, आध्यात्मिक उत्कर्ष और भौतिक समृद्धि की कामनाओं की पूर्ति के लिए, वशीकरण व आकर्षण के लिए, उच्च पद, मान-सम्मान एवं धनलाभ के लिए तेहर मुखी रुद्राक्ष धारण करना शुभप्रद रहता है।
शनि व मंगल दोष हारी चौदह मुखी रुद्राक्ष
बल व उत्साह वृद्धि के लिए, आरोग्य व वंश वृद्धि के लिए, शारीरिक, मानसिक व आर्थिक कष्टों के निवारण हेतु, आध्यात्मिक एवं भौतिक सुखों की प्राप्ति के लिए, कारागार जाने के भय से मुक्ति के लिए चौदह मुखी रुद्राक्ष धारण करना चाहिए। तांत्रिक धारणा के अनुसार इसमें हनुमान जी की शक्ति निहित रहती है। स्वयं भगवान शंकर भी इसे धारण करते थे। चौदह मुखी रुद्राक्ष से बनी 108 दानों की माला से जप करने से सिद्धि प्राप्त होती है।
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