पटना: बिहार विधानसभा चुनाव की हलचल के बीच एक बार फिर कानून-व्यवस्था का मुद्दा पीछे छूट गया है। इसी बीच मोकामा में दुलारचंद यादव की हत्या ने राज्य की राजनीति को झकझोर दिया है। यह घटना सिर्फ एक आपराधिक वारदात नहीं, बल्कि उस राजनीतिक संरक्षण की झलक है, जहां बाहुबलियों को सत्ता की राह का साथी बनाया जाता है। 90 के दशक में लालू यादव के राज में प्रभावशाली चेहरा बने दुलारचंद यादव, भले खुद चुनाव न लड़ते रहे हों, लेकिन कई सीटों पर उनका असर दिखता था। उनकी हत्या उस वक्त हुई जब वे प्रशांत किशोर की जनसुराज पार्टी के प्रत्याशी के लिए प्रचार कर रहे थे।
इस मामले में जेडीयू उम्मीदवार अनंत सिंह पर केस दर्ज हुआ है और पुलिस ने उन्हें गिरफ्तार भी कर लिया। अनंत सिंह का आपराधिक इतिहास किसी से छिपा नहीं है। वे पहले भी जेल जा चुके हैं। दिलचस्प बात यह है कि इस सीट पर आरजेडी ने सूरजभान सिंह की पत्नी वीणा देवी को उम्मीदवार बनाया है, जिनकी पृष्ठभूमि भी विवादों से घिरी रही है।
मोकामा की यह घटना बिहार की उस राजनीतिक परंपरा की मिसाल है, जहां दोनों गठबंधन (NDA और महागठबंधन) आपराधिक पृष्ठभूमि वाले नेताओं को टिकट देने से नहीं चूकते।
पहले चरण में कितने प्रत्याशियों पर क्रिमिनल केस?एडीआर (ADR) और बिहार इलेक्शन वॉच की रिपोर्ट के मुताबिक, पहले चरण की 121 सीटों पर कुल 1303 उम्मीदवारों ने नामांकन किया। इनमें से 423 (32%) प्रत्याशियों ने अपने ऊपर आपराधिक मामले दर्ज होने की बात स्वीकार की, जबकि 354 (27%) गंभीर आपराधिक मामलों में आरोपित हैं। रिपोर्ट में खुलासा हुआ कि 33 प्रत्याशियों ने हत्या, 86 ने हत्या के प्रयास, 42 ने महिलाओं पर अत्याचार और दो ने दुष्कर्म से संबंधित मामले दर्ज होने की घोषणा की है।
क्रिमिनल प्रत्याशियों में कौन आगे- महागठबंधन या एनडीए?गंभीर आपराधिक मामलों में शामिल प्रत्याशियों की संख्या के मामले में महागठबंधन ने एनडीए को पीछे छोड़ दिया है। राजद में 70 में से 42 (60%) प्रत्याशियों पर गंभीर मामले दर्ज हैं। वहीं कांग्रेस के 23 में से 12 (52%) प्रत्याशी, भाकपा माले (CPI-ML) के 14 में से 9 (64%) प्रत्याशियों, भाकपा (CPI) के 5 में से 4 (80%) प्रत्याशियों, और माकपा (CPM) के 3 में से तीनों (100%) प्रत्याशियों पर आपराधिक मामले दर्ज हैं।
वहीं एनडीए में जदयू के 57 में से 15 (26%) प्रत्याशियों, भाजपा के 48 में से 27 (56%) प्रत्याशियों, लोजपा (रामविलास) के 13 में से 5 (38%) प्रत्याशियों पर आपराधिक मामले दर्ज हैं।
जनसुराज पार्टी के 114 में से 49 (43%) प्रत्याशी गंभीर मामलों में आरोपी हैं, जबकि बीएसपी और आप (AAP) के क्रमश: 18 प्रतिशत और 20 फीसदी उम्मीदवारों पर गंभीर धाराओं में केस हैं।
कुल आपराधिक पृष्ठभूमि वाले प्रत्याशी
अगर कुल आपराधिक मामलों की बात करें, तो राजद के 76 प्रतिशत, भाजपा के 65 फीसदी, कांग्रेस के 65 प्रतिशत, भाकपा के 100 फीसदी, माकपा के 100 प्रतिशत,और भाकपा माले के 93 प्रतिशत प्रत्याशियों पर केस दर्ज हैं। यह आंकड़े बताते हैं कि चाहे कोई भी दल हो अपराधियों को टिकट देने की परंपरा बिहार की राजनीति में अब भी जारी है।
इस मामले में जेडीयू उम्मीदवार अनंत सिंह पर केस दर्ज हुआ है और पुलिस ने उन्हें गिरफ्तार भी कर लिया। अनंत सिंह का आपराधिक इतिहास किसी से छिपा नहीं है। वे पहले भी जेल जा चुके हैं। दिलचस्प बात यह है कि इस सीट पर आरजेडी ने सूरजभान सिंह की पत्नी वीणा देवी को उम्मीदवार बनाया है, जिनकी पृष्ठभूमि भी विवादों से घिरी रही है।
मोकामा की यह घटना बिहार की उस राजनीतिक परंपरा की मिसाल है, जहां दोनों गठबंधन (NDA और महागठबंधन) आपराधिक पृष्ठभूमि वाले नेताओं को टिकट देने से नहीं चूकते।
पहले चरण में कितने प्रत्याशियों पर क्रिमिनल केस?एडीआर (ADR) और बिहार इलेक्शन वॉच की रिपोर्ट के मुताबिक, पहले चरण की 121 सीटों पर कुल 1303 उम्मीदवारों ने नामांकन किया। इनमें से 423 (32%) प्रत्याशियों ने अपने ऊपर आपराधिक मामले दर्ज होने की बात स्वीकार की, जबकि 354 (27%) गंभीर आपराधिक मामलों में आरोपित हैं। रिपोर्ट में खुलासा हुआ कि 33 प्रत्याशियों ने हत्या, 86 ने हत्या के प्रयास, 42 ने महिलाओं पर अत्याचार और दो ने दुष्कर्म से संबंधित मामले दर्ज होने की घोषणा की है।
क्रिमिनल प्रत्याशियों में कौन आगे- महागठबंधन या एनडीए?गंभीर आपराधिक मामलों में शामिल प्रत्याशियों की संख्या के मामले में महागठबंधन ने एनडीए को पीछे छोड़ दिया है। राजद में 70 में से 42 (60%) प्रत्याशियों पर गंभीर मामले दर्ज हैं। वहीं कांग्रेस के 23 में से 12 (52%) प्रत्याशी, भाकपा माले (CPI-ML) के 14 में से 9 (64%) प्रत्याशियों, भाकपा (CPI) के 5 में से 4 (80%) प्रत्याशियों, और माकपा (CPM) के 3 में से तीनों (100%) प्रत्याशियों पर आपराधिक मामले दर्ज हैं।
वहीं एनडीए में जदयू के 57 में से 15 (26%) प्रत्याशियों, भाजपा के 48 में से 27 (56%) प्रत्याशियों, लोजपा (रामविलास) के 13 में से 5 (38%) प्रत्याशियों पर आपराधिक मामले दर्ज हैं।
जनसुराज पार्टी के 114 में से 49 (43%) प्रत्याशी गंभीर मामलों में आरोपी हैं, जबकि बीएसपी और आप (AAP) के क्रमश: 18 प्रतिशत और 20 फीसदी उम्मीदवारों पर गंभीर धाराओं में केस हैं।
कुल आपराधिक पृष्ठभूमि वाले प्रत्याशी
अगर कुल आपराधिक मामलों की बात करें, तो राजद के 76 प्रतिशत, भाजपा के 65 फीसदी, कांग्रेस के 65 प्रतिशत, भाकपा के 100 फीसदी, माकपा के 100 प्रतिशत,और भाकपा माले के 93 प्रतिशत प्रत्याशियों पर केस दर्ज हैं। यह आंकड़े बताते हैं कि चाहे कोई भी दल हो अपराधियों को टिकट देने की परंपरा बिहार की राजनीति में अब भी जारी है।
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