रामबाबू मित्तल, मेरठ: उत्तर प्रदेश के मेरठ में शनिवार की सुबह सेंट्रल मार्केट में 35 साल पुराने कॉम्प्लेक्स पर सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर प्रशासन का बुलडोजर की कार्यवाही शुरू कर दी। बुलडोजर चलने से पहले ही व्यापारी अपनी दुकानों के सामने बैठकर रो पड़े। किसी के हाथ में दुकान की पुरानी तख्ती थी तो कोई अपनी कुर्सी से लिपटकर बिलख रहे थे। बोले अब हम कहां जाएंगे?
सुबह करीब साढ़े 11 बजे आवास विकास परिषद की टीम भारी पुलिस बल के साथ सेंट्रल मार्केट पहुंची। इलाके में एटीएस के ड्रोन कैमरे से हर गतिविधि पर निगरानी रखी जा रही थी। चारों ओर बैरिकेडिंग की गई थी ताकि भीड़ नियंत्रण में रहे। मौके पर पुलिस के वरिष्ठ अधिकारी, प्रशासनिक अमला और कई विभागों की टीमें मौजूद थीं।
कॉम्प्लेक्स के चारों ओर खड़े कारोबारी किसी चमत्कार की उम्मीद लगाए बैठे थे, लेकिन जब मशीनों की गड़गड़ाहट सुनाई दी तो सबकी उम्मीदें टूट गईं। देखते ही देखते बुलडोजर ने 22 दुकानों को मलबे में तब्दील करने की कार्यवाही शुरू कर दी कई व्यापारी अपनी दुकानों से सामान निकालने का मौका भी नहीं पा सके। एक दुकानदार रोते हुए बोला यही हमारी रोज़ी-रोटी थी, अब बच्चों को क्या खिलाएंगे?
सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद भी किसी व्यापारी ने दुकान से सामान नहीं हटाया। याचिकाकर्ता लोकेश खुराना ने अवमानना का वाद सुप्रीम कोर्ट में दाखिल किया। छह अक्टूबर को अवमानना याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने गृह सचिव, आवास आयुक्त, डीएम, एसएसपी, आवास विकास के अधिकारियों और उक्त कांप्लेक्स के नौ व्यापारियों को नोटिस जारी कर दो सप्ताह में जवाब देने को कहा है। इसकी सुनवाई 27 अक्टूबर को होनी है। ध्वस्तीकरण की तिथि आज 25 अक्टूबर तय की।
जानकारी के अनुसार, यह कॉम्प्लेक्स करीब 288 वर्ग मीटर भूमि पर बना था। यह जमीन मूल रूप से काजीपुर निवासी वीर सिंह को आवासीय प्रयोजन के लिए आवंटित की गई थी। मगर वर्ष 1990 में विनोद अरोड़ा नामक व्यक्ति ने कथित रूप से पॉवर ऑफ अटॉर्नी के जरिए यहां अवैध रूप से निर्माण करा लिया। मामला वर्षों तक अदालतों में चला और अंततः सुप्रीम कोर्ट ने 17 दिसंबर 2024 को आदेश दिया कि तीन माह के भीतर इस कॉम्प्लेक्स को खाली कराकर ध्वस्त किया जाए।
लंबे कानूनी संघर्ष के बाद आज वह आदेश जमीन पर उतरता दिखा, लेकिन इस कार्रवाई ने सैकड़ों परिवारों की रोज़ी पर बुलडोजर चला दिया। दुकानदारों का कहना है कि वे वर्षों से टैक्स जमा कर रहे थे और उनके पास बिजली-पानी के कनेक्शन तक हैं, फिर भी उन्हें वैकल्पिक जगह तक नहीं दी गई। कार्रवाई के दौरान माहौल तनावपूर्ण बना रहा, लेकिन पुलिस बल की मौजूदगी में सब कुछ शांतिपूर्वक संपन्न हुआ।
सुबह करीब साढ़े 11 बजे आवास विकास परिषद की टीम भारी पुलिस बल के साथ सेंट्रल मार्केट पहुंची। इलाके में एटीएस के ड्रोन कैमरे से हर गतिविधि पर निगरानी रखी जा रही थी। चारों ओर बैरिकेडिंग की गई थी ताकि भीड़ नियंत्रण में रहे। मौके पर पुलिस के वरिष्ठ अधिकारी, प्रशासनिक अमला और कई विभागों की टीमें मौजूद थीं।
कॉम्प्लेक्स के चारों ओर खड़े कारोबारी किसी चमत्कार की उम्मीद लगाए बैठे थे, लेकिन जब मशीनों की गड़गड़ाहट सुनाई दी तो सबकी उम्मीदें टूट गईं। देखते ही देखते बुलडोजर ने 22 दुकानों को मलबे में तब्दील करने की कार्यवाही शुरू कर दी कई व्यापारी अपनी दुकानों से सामान निकालने का मौका भी नहीं पा सके। एक दुकानदार रोते हुए बोला यही हमारी रोज़ी-रोटी थी, अब बच्चों को क्या खिलाएंगे?
सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद भी किसी व्यापारी ने दुकान से सामान नहीं हटाया। याचिकाकर्ता लोकेश खुराना ने अवमानना का वाद सुप्रीम कोर्ट में दाखिल किया। छह अक्टूबर को अवमानना याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने गृह सचिव, आवास आयुक्त, डीएम, एसएसपी, आवास विकास के अधिकारियों और उक्त कांप्लेक्स के नौ व्यापारियों को नोटिस जारी कर दो सप्ताह में जवाब देने को कहा है। इसकी सुनवाई 27 अक्टूबर को होनी है। ध्वस्तीकरण की तिथि आज 25 अक्टूबर तय की।
जानकारी के अनुसार, यह कॉम्प्लेक्स करीब 288 वर्ग मीटर भूमि पर बना था। यह जमीन मूल रूप से काजीपुर निवासी वीर सिंह को आवासीय प्रयोजन के लिए आवंटित की गई थी। मगर वर्ष 1990 में विनोद अरोड़ा नामक व्यक्ति ने कथित रूप से पॉवर ऑफ अटॉर्नी के जरिए यहां अवैध रूप से निर्माण करा लिया। मामला वर्षों तक अदालतों में चला और अंततः सुप्रीम कोर्ट ने 17 दिसंबर 2024 को आदेश दिया कि तीन माह के भीतर इस कॉम्प्लेक्स को खाली कराकर ध्वस्त किया जाए।
लंबे कानूनी संघर्ष के बाद आज वह आदेश जमीन पर उतरता दिखा, लेकिन इस कार्रवाई ने सैकड़ों परिवारों की रोज़ी पर बुलडोजर चला दिया। दुकानदारों का कहना है कि वे वर्षों से टैक्स जमा कर रहे थे और उनके पास बिजली-पानी के कनेक्शन तक हैं, फिर भी उन्हें वैकल्पिक जगह तक नहीं दी गई। कार्रवाई के दौरान माहौल तनावपूर्ण बना रहा, लेकिन पुलिस बल की मौजूदगी में सब कुछ शांतिपूर्वक संपन्न हुआ।
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