नई दिल्ली : दिल्ली में लाल किला के पास हुए भीषण धमाके से पूरा देश सहम गया है। कहा जा रहा है कि यह विस्फोट पाकिस्तान के आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद (JeM) ने करवाया है। इस धमाके के तार फरीदाबाद मॉड्यूल के चार डॉक्टरों से जुड़ते आ रहे हैं, जिसमें एक महिला भी शामिल है। इनमें से एक डॉक्टर ने लाल किले के पास कार चलाते हुए खुद को उड़ा लिया, वहीं-जैश की इस महिला आतंकी शाहीन शाहिद की जांच एजेंसियों को तलाश है। ये जैश वही है, जिसने 2019 में 14 फरवरी को कश्मीर में हुए आत्मघाती बम विस्फोट की जिम्मेदारी ली थी। इस हमले में कम से कम 46 सैनिक शहीद हो गए थे, जिससे यह 1989 के बाद से इस क्षेत्र में भारतीय सेना पर हुआ सबसे घातक हमला बन गया। इस समूह को भारत और संयुक्त राष्ट्र के साथ-साथ ब्रिटेन और अमेरिका ने भी आतंकवादी संगठन घोषित किया है। इसका मकसद कश्मीर को पाकिस्तान के साथ जोड़ना है और इसे भारत और कश्मीर में हमलों के लिए ज़िम्मेदार ठहराया गया है। जानते हैं कि ये संगठन आत्मघाती यानी फिदायीन लड़ाके कैसे तैयार करता है?
क्या है जैश-ए-मोहम्मद
बीबीसी की एक रिपोर्ट के अनुसार, जैश-ए-मोहम्मद का शाब्दिक अर्थ है मोहम्मद की सेना। पाकिस्तान स्थित मुस्लिम धर्मगुरु मसूद अज़हर ने 1999 में भारत द्वारा रिहा किए जाने के बाद इस समूह की स्थापना की थी। वह उन तीन लोगों में से एक था जिन्हें इंडियन एयरलाइंस के एक विमान के चालक दल और यात्रियों के बदले रिहा किया गया था, जिसे अपहृत कर तालिबान शासित अफगानिस्तान ले जाया गया था।
अलग-अलग नामों से चलता है जैश
रिपोर्ट में कहा गया है कि अजहर ने देश में रहते हुए पूर्व तालिबान नेता मुल्ला उमर और अल-क़ायदा प्रमुख ओसामा बिन लादेन से मुलाकात की थी। भारत ने दिसंबर 2001 में नई दिल्ली स्थित अपनी संसद पर हुए हमले के लिए जैश-ए-मोहम्मद को ज़िम्मेदार ठहराया था। उस हमले के तुरंत बाद पाकिस्तान में जैश-ए-मोहम्मद पर आधिकारिक रूप से प्रतिबंध लगा दिया गया था, लेकिन यह समूह अभी भी अलग-अलग नामों से एक्टिव है। कभी-कभी अफजल गुरु स्क्वाड, अल-मुराबितून और तहरीक-अल-फुरकान जैसे नामों का इस्तेमाल करता है। जनवरी 2016 में पाकिस्तानी सीमा के पास अपने पठानकोट एयरबेस पर हुए हमले के लिए जैश-ए-मोहम्मद ही जिम्मेदार था।
मसूद अजहर को यूएन ने ग्लोबल लिस्ट में डाला
1 मई, 2019 को, चीन द्वारा इस कदम पर अपनी आपत्तियां वापस लेने के बाद संयुक्त राष्ट्र ने उसे वैश्विक आतंकवादियों की अपनी सूची में शामिल कर लिया। इस निर्णय के तहत अजहर की संपत्ति जब्त की जाएगी, वैश्विक प्रतिबंध लगाया जाएगा और हथियार प्रतिबंध लगाए जाएंगे। प्रतिबंध समिति ने उस पर अजहर के वित्तपोषण, योजना और वित्तपोषण में भाग लेने का आरोप लगाया।
शहादत के बदले जन्नत और इनाम का लालच
इंडिया टुडे की एक रिपोर्ट के अनुसार, जैश-ए-मोहम्मद (JeM) धार्मिक शिक्षा, मदरसों और ऑनलाइन प्लेटफॉर्म के जरिए भर्ती करता है। यह ट्रेनिंग कैंपों में खास तरह की ट्रेनिंग देता है, जिसमें आत्मघाती आतंकवादियों यानी फिदायीन को तैयार किया जाता है। यह संगठन अक्सर मौजूदा शिकायतों का फायदा उठाता है और शहादत के बदले में इनाम का वादा करता है। इसमें कहा जाता है कि अगर यह काम करते हुए मारे गए तो जन्नत नसीब होगी और तुम्हारे परिवार को पैसे मिलेंगे।
किस आधार पर भर्ती करता है जैश
ऑस्ट्रेलियन नेशनल सिक्योरिटी के अनुसार, जैश का मुख्य मकसद कश्मीर को भारत से आजाद करना और भारत, इजरायल और अमेरिका के खिलाफ एक छद्म युद्ध छेड़ना है। यह एक विशिष्ट देवबंदी विचारधारा पर आधारित है जो हिंसा को उचित ठहराती है। इसी के चलते डॉक्टर, इंजीनियर जैसे खूब पढ़े-लिखे लोग भी गुमराह होकर जैश जैसे आतंकी संगठन में शामिल हो जाते हैं और मरने-मारने पर उतारू हो जाते हैं। दिल्ली लाल किला ब्लास्ट करने वाला चाहे डॉक्टर उमर हो या उसकी साथी डॉक्टर शाहीन शाहिद, सभी इसी तरह से गुमराह किए जाते हैं। उनका बाकायदा ब्रेनवॉश किया जाता है।
कौन करता है जैश में भर्ती
जैश में भर्ती करने वाले अक्सर पाकिस्तानी होते हैं। कभी-कभी इसमें अरबी लोग भी होते हैं। ऐतिहासिक रूप से कई लड़ाकों की भर्ती पाकिस्तान में JeM द्वारा समर्थित सैकड़ों इस्लामी धार्मिक स्कूलों (मदरसों) से की गई थी। खासकर, ये लड़ाके पाकिस्तान के बहावलपुर स्थित जैश के मुख्यालय में तैयार किए जाते हैं।
अब ऑनलाइन जिहादी स्कूल चला रहा जैश
रिपोर्ट के अनुसार, हाल के दिनों में जैश-ए-मोहम्मद ने अपने तरीकों में बदलाव करते हुए ऑनलाइन जिहादी पाठ्यक्रम को शामिल किया है ताकि लोगों, खासकर महिलाओं को भर्ती करके उन्हें कट्टरपंथी बनाया जा सके। यह भर्ती अक्सर पारिवारिक नेटवर्क का लाभ उठाती है, जिसमें मसूद अजहर के अपने परिवार के सदस्य नेतृत्व और निर्देशन में शामिल होते हैं।
फिदायीन तैयार होने के लिए ऐसे किया जाता है गुमराह
जैश-ए-मोहम्मद का प्रचार इस तरह से किया जाता है कि यह एक धार्मिक कर्तव्य है और कथित अन्याय व दमन के जवाब के रूप में है। आत्मघाती हमलों या फिदायीन कार्रवाइयों को शहादत के रूप में महिमामंडित किया जाता है। फिदायीन बनने वाले लड़ाकों को जन्नत में आध्यात्मिक पुरस्कार का वादा किया जाता है। 2019 के पुलवामा हमले के गुनहगारों जैसे पूर्व हमलावरों का वीडियो और अन्य मीडिया के माध्यम से महिमामंडन संभावित लड़ाकों को प्रेरित करने में मदद करता है।
क्या है जैश-ए-मोहम्मद
बीबीसी की एक रिपोर्ट के अनुसार, जैश-ए-मोहम्मद का शाब्दिक अर्थ है मोहम्मद की सेना। पाकिस्तान स्थित मुस्लिम धर्मगुरु मसूद अज़हर ने 1999 में भारत द्वारा रिहा किए जाने के बाद इस समूह की स्थापना की थी। वह उन तीन लोगों में से एक था जिन्हें इंडियन एयरलाइंस के एक विमान के चालक दल और यात्रियों के बदले रिहा किया गया था, जिसे अपहृत कर तालिबान शासित अफगानिस्तान ले जाया गया था।
अलग-अलग नामों से चलता है जैश
रिपोर्ट में कहा गया है कि अजहर ने देश में रहते हुए पूर्व तालिबान नेता मुल्ला उमर और अल-क़ायदा प्रमुख ओसामा बिन लादेन से मुलाकात की थी। भारत ने दिसंबर 2001 में नई दिल्ली स्थित अपनी संसद पर हुए हमले के लिए जैश-ए-मोहम्मद को ज़िम्मेदार ठहराया था। उस हमले के तुरंत बाद पाकिस्तान में जैश-ए-मोहम्मद पर आधिकारिक रूप से प्रतिबंध लगा दिया गया था, लेकिन यह समूह अभी भी अलग-अलग नामों से एक्टिव है। कभी-कभी अफजल गुरु स्क्वाड, अल-मुराबितून और तहरीक-अल-फुरकान जैसे नामों का इस्तेमाल करता है। जनवरी 2016 में पाकिस्तानी सीमा के पास अपने पठानकोट एयरबेस पर हुए हमले के लिए जैश-ए-मोहम्मद ही जिम्मेदार था।
मसूद अजहर को यूएन ने ग्लोबल लिस्ट में डाला
1 मई, 2019 को, चीन द्वारा इस कदम पर अपनी आपत्तियां वापस लेने के बाद संयुक्त राष्ट्र ने उसे वैश्विक आतंकवादियों की अपनी सूची में शामिल कर लिया। इस निर्णय के तहत अजहर की संपत्ति जब्त की जाएगी, वैश्विक प्रतिबंध लगाया जाएगा और हथियार प्रतिबंध लगाए जाएंगे। प्रतिबंध समिति ने उस पर अजहर के वित्तपोषण, योजना और वित्तपोषण में भाग लेने का आरोप लगाया।
शहादत के बदले जन्नत और इनाम का लालच
इंडिया टुडे की एक रिपोर्ट के अनुसार, जैश-ए-मोहम्मद (JeM) धार्मिक शिक्षा, मदरसों और ऑनलाइन प्लेटफॉर्म के जरिए भर्ती करता है। यह ट्रेनिंग कैंपों में खास तरह की ट्रेनिंग देता है, जिसमें आत्मघाती आतंकवादियों यानी फिदायीन को तैयार किया जाता है। यह संगठन अक्सर मौजूदा शिकायतों का फायदा उठाता है और शहादत के बदले में इनाम का वादा करता है। इसमें कहा जाता है कि अगर यह काम करते हुए मारे गए तो जन्नत नसीब होगी और तुम्हारे परिवार को पैसे मिलेंगे।
किस आधार पर भर्ती करता है जैश
ऑस्ट्रेलियन नेशनल सिक्योरिटी के अनुसार, जैश का मुख्य मकसद कश्मीर को भारत से आजाद करना और भारत, इजरायल और अमेरिका के खिलाफ एक छद्म युद्ध छेड़ना है। यह एक विशिष्ट देवबंदी विचारधारा पर आधारित है जो हिंसा को उचित ठहराती है। इसी के चलते डॉक्टर, इंजीनियर जैसे खूब पढ़े-लिखे लोग भी गुमराह होकर जैश जैसे आतंकी संगठन में शामिल हो जाते हैं और मरने-मारने पर उतारू हो जाते हैं। दिल्ली लाल किला ब्लास्ट करने वाला चाहे डॉक्टर उमर हो या उसकी साथी डॉक्टर शाहीन शाहिद, सभी इसी तरह से गुमराह किए जाते हैं। उनका बाकायदा ब्रेनवॉश किया जाता है।
कौन करता है जैश में भर्ती
जैश में भर्ती करने वाले अक्सर पाकिस्तानी होते हैं। कभी-कभी इसमें अरबी लोग भी होते हैं। ऐतिहासिक रूप से कई लड़ाकों की भर्ती पाकिस्तान में JeM द्वारा समर्थित सैकड़ों इस्लामी धार्मिक स्कूलों (मदरसों) से की गई थी। खासकर, ये लड़ाके पाकिस्तान के बहावलपुर स्थित जैश के मुख्यालय में तैयार किए जाते हैं।
अब ऑनलाइन जिहादी स्कूल चला रहा जैश
रिपोर्ट के अनुसार, हाल के दिनों में जैश-ए-मोहम्मद ने अपने तरीकों में बदलाव करते हुए ऑनलाइन जिहादी पाठ्यक्रम को शामिल किया है ताकि लोगों, खासकर महिलाओं को भर्ती करके उन्हें कट्टरपंथी बनाया जा सके। यह भर्ती अक्सर पारिवारिक नेटवर्क का लाभ उठाती है, जिसमें मसूद अजहर के अपने परिवार के सदस्य नेतृत्व और निर्देशन में शामिल होते हैं।
फिदायीन तैयार होने के लिए ऐसे किया जाता है गुमराह
जैश-ए-मोहम्मद का प्रचार इस तरह से किया जाता है कि यह एक धार्मिक कर्तव्य है और कथित अन्याय व दमन के जवाब के रूप में है। आत्मघाती हमलों या फिदायीन कार्रवाइयों को शहादत के रूप में महिमामंडित किया जाता है। फिदायीन बनने वाले लड़ाकों को जन्नत में आध्यात्मिक पुरस्कार का वादा किया जाता है। 2019 के पुलवामा हमले के गुनहगारों जैसे पूर्व हमलावरों का वीडियो और अन्य मीडिया के माध्यम से महिमामंडन संभावित लड़ाकों को प्रेरित करने में मदद करता है।
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