ढाका: बांग्लादेश में प्रस्तावित राखीन कॉरिडोर को लेकर राजनीतिक और सैन्य गतिरोध शुरू हो गया है। अंतरिम सरकार के मुख्य सलाहकार मोहम्मद यूनुस ने अमेरिका समर्थित इस गलियारे का समर्थन किया है। वहीं, बांग्लादेश के सेना प्रमुख जनरल वाकर उज जमान ने कड़ा विरोध किया है। उन्होंने तो इसे बांग्लादेश की राष्ट्रीय संप्रभुता के लिए खतरा करार दिया और इसे "खूनी गलियारा" करार दिया। बांग्लादेश के सेना प्रमुख जनरल वाकर-उज-जमान ने सार्वजनिक रूप से राखीन कॉरिडोर की निंदा की है। उन्होंने कहा है कि यह बांग्लादेश की राष्ट्रीय सुरक्षा और क्षेत्रीय स्थिरता को खतरे में डाल सकता है। उन्होंने अंतरिम सरकार की निर्णय लेने की प्रक्रिया की आलोचना की, विशेष रूप से ऐसे महत्वपूर्ण मुद्दे पर सेना के साथ परामर्श की कमी की। सेना प्रमुख की कड़ी प्रतिक्रिया के बाद यूनुस प्रशासन ने यू-टर्न लिया और कहा कि उन्होंने इस कॉरिडोर को लेकर कोई फैसला नहीं किया है। हालांकि, इस घटना ने सेना और सरकार के बीच खाई को सार्वजनिक कर दिया। राखीन कॉरिडोर क्या है?राखीन कॉरिडोर दक्षिण-पूर्वी बांग्लादेश के कॉक्स बाजार क्षेत्र को म्यांमार के राखीन राज्य से जोड़ने वाले प्रस्तावित मानवीय और रसद मार्ग को संदर्भित करता है। यह एक संघर्ष-ग्रस्त क्षेत्र है, जिसने वर्षों से अशांति देखी है, विशेष रूप से रोहिंग्या मुस्लिम अल्पसंख्यक के खिलाफ। म्यांमार में नए सिरे से लड़ाई और क्षेत्र में फंसे नागरिकों तक मानवीय पहुंच की अनुमति देने के लिए अंतर्राष्ट्रीय मानवाधिकार समूहों की बढ़ती मांगों के बीच इस गलियारे को बनाने पर सहमति बनी थी। राखीन कॉरिडोर पर विवाद क्योंदरअसल, इस परियोजना की पहल अमेरिका ने की थी। ऐसा माना जा रहा था कि अमेरिका की कोशिश राखीन कॉरिडोर के जरिए म्यांमार के जुंटा विरोधी विद्रोही गुटों की सहायता करना था। अमेरिका ऐसे कामों को लेकर बदनाम भी है। उसने पूरी दुनिया में दर्जनों देशों में सरकार विरोधी विद्रोही संगठनों की सैन्य मदद की है। वहीं, म्यांमार का सैन्य शासन, जिसे जुंटा के नाम से भी जानते हैं, चीन का करीबी है। ऐसे में बांग्लादेशी सेना अमेरिका और चीन के बीच किसी भी विवाद में फंसने से बचने की कोशिश में है, लेकिन मोहम्मद यूनुस अमेरिका के दबाव में आकर यह समझौता करना चाहते थे। बांग्लादेश पर दबाव बढ़ा रहा चीनबांग्लादेश में चीन का दखल दिनों-दिन बढ़ता जा रहा है। जब बांग्लादेश में सत्ता परिवर्तन हुआ और मोहम्मद यूनुस देश की अंतरिम सरकार के मुखिया बने, तब ऐसा माना जाने लगा कि वह अमेरिका के ज्यादा करीब जाएंगे। हालांकि, क्षेत्रीय हालातों को देखते हुए उन्होंने चीन का समर्थन करना शुरू किया। उन्होंने पड़ोसी देशों में सबसे पहले चीन की यात्रा की। उनकी यात्रा के बाद अब हाल में ही बांग्लादेश आर्मी चीफ वाकर उज जमान ने भी चीन का दौरा किया है।
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