इस्लामाबाद: पाकिस्तान की सेना का बेगुनाहों को मारने का लंबा और काला इतिहास रहा है। बांग्लादेश लाखों लोगों को पाकिस्तान की सेना ने मौत के घाट उतार दिया, हजारों महिलाओं से बलात्कार किया, पाकिस्तान ने अपनी सेना को सऊदी अरब में लड़ने के लिए भेजा और पाकिस्तान की सेना ने जॉर्डन में भी अपनी सेना को भेजा, जिसने एक दो नहीं, 20 से 25 हजार फिलिस्तीनियों का नरसंहार कर डाला। पाकिस्तान एक बार फिर अपनी सेना को गाजा भेजने वाला है। रिपोर्ट के मुताबिक, मोसाद और सीआईए के अधिकारियों से असीम मुनीर की गुप्त मुलाकात के बाद ये फैसला लिया गया है।
हम आपको आज 1970 की वो खूनी कहानी बताने जा रहे हैं, जब पाकिस्तानी सेना ने फिलीस्तीन के करीब 20 से 25 हजार लोगों को मार डाला था। ये कहानी जॉर्डन की है, जहां फिलीस्तीन कि विद्रोहियों ने सीरिया और इराक के समर्थन से विद्रोह कर दिया था। इस विद्रोह से जॉर्डन जल उठा। उस वक्त जॉर्डन की सत्ता किंग हुसैन के हाथों में थी और उन्हें लगने लगा कि विद्रोह की चिंगारी उनके सत्ता को जला डालेगी। फिर उन्होंने पाकिस्तान की किराए की सेना से मदद मांगी और कुख्यात जिया उल हक, जो उस वक्त पाकिस्तान की सेना में ब्रिगेडियर थे, वो जॉर्डन की सेना को ट्रेनिंग देने के बहाने अपनी फौज के साथ जॉर्डन चले गये।
गाजा में सेना भेजेगा पाकिस्तान, देश में भारी विरोध
आप किसी लोकतांत्रिक देश से ऐसी उम्मीद नहीं कर सकते, लेकिन वो पाकिस्तान है, जहां के सैनिक किराए पर मिलते हैं। ये वो पाकिस्तान है, जिसकी जुबान पर हर वक्त इस्लाम रहता है, लेकिन डॉलर के लिए ये मुसलमानों का कत्लेआम करने से बाज नहीं आते। दरअसल, गाजा में शांति के लिए पश्चिमी देशों के नेतृत्व में एक अंतर्राष्ट्रीय स्थिरीकरण बल (ISF) का गठन होने वाला है। इसी टीम में पाकिस्तान अपनी सैनिकों को भेजने पर विचार कर रहा है। पाकिस्तान पर डोनाल्ड ट्रंप का प्रेशर है, इसीलिए उसे अपने किराए के सैनिकों को गाजा भेजना ही होगा। ISF का काम गाजा से हमास का निरस्त्रीकरण, यानि उससे हथियार छीनना होगा, जाहिर तौर पर इससे खुला जंग होगा और पाकिस्तान की सेना को हमास से जंग लड़ने का काम सौंपा जाएगा।
पाकिस्तानी अखबार डॉन के मुताबिक, इजरायली संसद की विदेश मामलों और रक्षा समिति के सदस्यों को पिछले हफ्ते एक बंद कमरे में हुई ब्रीफिग में बताया गया कि आईएसएफ, जिसमें इंडोनेशिया, अजरबैजान और पाकिस्तान के सैनिक शामिल हैं, उन्हें "गाजा में आंतरिक सुरक्षा और पुलिस व्यवस्था बनाए रखने के साथ-साथ सीमाओं की सुरक्षा और क्षेत्र में हथियारों की तस्करी को रोकने में इजरायल की सहायता करने का काम सौंपा जाएगा"। पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान ने 2022 में पाकिस्तान को "किराए का बंदूकधारी" कहा था। इमरान खान ने अमेरिका के साथ पाकिस्तान के संबंधों को "मालिक-गुलाम" जैसा रिश्ता बताया था और अभी भी ऐसा ही हो रहा है।
जॉर्डन में कैसे पाकिस्तान सेना ने किया था नरसंहार?
जॉर्डन में 1970 की घटना को ब्लैक सितंबर कहा जाता है। जॉर्डन में विद्रोह के बीच पाकिस्तान के तत्कालीन ब्रिगेडियर जिया-उल-हक, जिन्होंने बाद में पाकिस्तान में सत्ता परिवर्तन किया गया था, उन्होंने किंग हुसैन की मदद करते हुए करीब 25,000 फिलिस्तीनियों को मौत के घाट उतार दिया। इस दौरान जॉर्डन की सड़कों पर टैंकों और गोलियों से नरसंहार किया गया। न्यूयॉर्क टाइम्स के मुताबिक, पाकिस्तान ने इस दौरान गुपचुप तौर पर अपनी एक पूरी इन्फैंट्री रेजिमेंट और एंटी-एयरक्राफ्ट यूनिट वहां भेजी थी। इस घटना के बाद इजरायल के पूर्व रक्षा मंत्री मोशे दयान ने कहा था कि कि "किंग हुसैन ने 11 दिनों में उतने फिलिस्तीनी मार डाले, जितने इजरायल 20 साल में नहीं मार सका।"
न्यूयॉर्क टाइम्स के मुताबिक, जिया-उल-कह सिर्फ जॉर्डन के सैन्य सलाहकार की तरह काम नहीं कर रहे थे, बल्कि वो खुद ऑपरेशन की योजना बना रहे थे। उन्होंने पाकिस्तान के सैनिकों को फिलीस्तीन के इलाकों में भी भेजा। हालांकि जॉर्डन के किंग की सत्ता तो बच गई, लेकिन 25 हजार फिलिस्तीनियों को पाकिस्तानी सेना ने कत्लेआम कर दिया। पाकिस्तानी पत्रकार शेख अजीज के मुताबिक, जिया-उल-हक को उसके बाद "फिलिस्तीन का कातिल" कहा जाने लगा। बाद में वही जिया-उल-हक 1977 में प्रधानमंत्री जुल्फिकार अली भुट्टो को सत्ता से बेदखल कर पाकिस्तान में सैन्य शासन की स्थापना की और राष्ट्रपति बने।
अमेरिका का हुक्म, गाजा में पाकिस्तान करेगा कत्लेआम!
पाकिस्तान आज भी अपने पुरानी परंपरा पर ही चल रहा है। हाल में सऊदी अरब के साथ हुआ रक्षा समझौता भी उसी परंपरा का हिस्सा है। सऊदी ने पाकिस्तान की सेना की मदद के बदले 3 अरब डॉलर का कर्ज दिया है। इसीलिए पाकिस्तान की सेना को किराए की सेना और पाकिस्तान की इकोनॉमी को 'किराए की अर्थव्यवस्था' कहा जाता है। आपको याद होगा, भारत के ऑपरेशन सिंदूर से ठीक पहले पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ ने भी यही कहा था कि "अमेरिका के कहने पर पाकिस्तान ने दशकों तक अफगानिस्तान में गंदा काम किया।" और अब पाकिस्तान की सेना फिर से वही गंदा काम करने गाजा जाएगी और अपने मालिक अमेरिका के इशारे पर गाजा के लोगों को गोली मारेगी!
हम आपको आज 1970 की वो खूनी कहानी बताने जा रहे हैं, जब पाकिस्तानी सेना ने फिलीस्तीन के करीब 20 से 25 हजार लोगों को मार डाला था। ये कहानी जॉर्डन की है, जहां फिलीस्तीन कि विद्रोहियों ने सीरिया और इराक के समर्थन से विद्रोह कर दिया था। इस विद्रोह से जॉर्डन जल उठा। उस वक्त जॉर्डन की सत्ता किंग हुसैन के हाथों में थी और उन्हें लगने लगा कि विद्रोह की चिंगारी उनके सत्ता को जला डालेगी। फिर उन्होंने पाकिस्तान की किराए की सेना से मदद मांगी और कुख्यात जिया उल हक, जो उस वक्त पाकिस्तान की सेना में ब्रिगेडियर थे, वो जॉर्डन की सेना को ट्रेनिंग देने के बहाने अपनी फौज के साथ जॉर्डन चले गये।
गाजा में सेना भेजेगा पाकिस्तान, देश में भारी विरोध
आप किसी लोकतांत्रिक देश से ऐसी उम्मीद नहीं कर सकते, लेकिन वो पाकिस्तान है, जहां के सैनिक किराए पर मिलते हैं। ये वो पाकिस्तान है, जिसकी जुबान पर हर वक्त इस्लाम रहता है, लेकिन डॉलर के लिए ये मुसलमानों का कत्लेआम करने से बाज नहीं आते। दरअसल, गाजा में शांति के लिए पश्चिमी देशों के नेतृत्व में एक अंतर्राष्ट्रीय स्थिरीकरण बल (ISF) का गठन होने वाला है। इसी टीम में पाकिस्तान अपनी सैनिकों को भेजने पर विचार कर रहा है। पाकिस्तान पर डोनाल्ड ट्रंप का प्रेशर है, इसीलिए उसे अपने किराए के सैनिकों को गाजा भेजना ही होगा। ISF का काम गाजा से हमास का निरस्त्रीकरण, यानि उससे हथियार छीनना होगा, जाहिर तौर पर इससे खुला जंग होगा और पाकिस्तान की सेना को हमास से जंग लड़ने का काम सौंपा जाएगा।
पाकिस्तानी अखबार डॉन के मुताबिक, इजरायली संसद की विदेश मामलों और रक्षा समिति के सदस्यों को पिछले हफ्ते एक बंद कमरे में हुई ब्रीफिग में बताया गया कि आईएसएफ, जिसमें इंडोनेशिया, अजरबैजान और पाकिस्तान के सैनिक शामिल हैं, उन्हें "गाजा में आंतरिक सुरक्षा और पुलिस व्यवस्था बनाए रखने के साथ-साथ सीमाओं की सुरक्षा और क्षेत्र में हथियारों की तस्करी को रोकने में इजरायल की सहायता करने का काम सौंपा जाएगा"। पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान ने 2022 में पाकिस्तान को "किराए का बंदूकधारी" कहा था। इमरान खान ने अमेरिका के साथ पाकिस्तान के संबंधों को "मालिक-गुलाम" जैसा रिश्ता बताया था और अभी भी ऐसा ही हो रहा है।
जॉर्डन में कैसे पाकिस्तान सेना ने किया था नरसंहार?
जॉर्डन में 1970 की घटना को ब्लैक सितंबर कहा जाता है। जॉर्डन में विद्रोह के बीच पाकिस्तान के तत्कालीन ब्रिगेडियर जिया-उल-हक, जिन्होंने बाद में पाकिस्तान में सत्ता परिवर्तन किया गया था, उन्होंने किंग हुसैन की मदद करते हुए करीब 25,000 फिलिस्तीनियों को मौत के घाट उतार दिया। इस दौरान जॉर्डन की सड़कों पर टैंकों और गोलियों से नरसंहार किया गया। न्यूयॉर्क टाइम्स के मुताबिक, पाकिस्तान ने इस दौरान गुपचुप तौर पर अपनी एक पूरी इन्फैंट्री रेजिमेंट और एंटी-एयरक्राफ्ट यूनिट वहां भेजी थी। इस घटना के बाद इजरायल के पूर्व रक्षा मंत्री मोशे दयान ने कहा था कि कि "किंग हुसैन ने 11 दिनों में उतने फिलिस्तीनी मार डाले, जितने इजरायल 20 साल में नहीं मार सका।"
न्यूयॉर्क टाइम्स के मुताबिक, जिया-उल-कह सिर्फ जॉर्डन के सैन्य सलाहकार की तरह काम नहीं कर रहे थे, बल्कि वो खुद ऑपरेशन की योजना बना रहे थे। उन्होंने पाकिस्तान के सैनिकों को फिलीस्तीन के इलाकों में भी भेजा। हालांकि जॉर्डन के किंग की सत्ता तो बच गई, लेकिन 25 हजार फिलिस्तीनियों को पाकिस्तानी सेना ने कत्लेआम कर दिया। पाकिस्तानी पत्रकार शेख अजीज के मुताबिक, जिया-उल-हक को उसके बाद "फिलिस्तीन का कातिल" कहा जाने लगा। बाद में वही जिया-उल-हक 1977 में प्रधानमंत्री जुल्फिकार अली भुट्टो को सत्ता से बेदखल कर पाकिस्तान में सैन्य शासन की स्थापना की और राष्ट्रपति बने।
अमेरिका का हुक्म, गाजा में पाकिस्तान करेगा कत्लेआम!
पाकिस्तान आज भी अपने पुरानी परंपरा पर ही चल रहा है। हाल में सऊदी अरब के साथ हुआ रक्षा समझौता भी उसी परंपरा का हिस्सा है। सऊदी ने पाकिस्तान की सेना की मदद के बदले 3 अरब डॉलर का कर्ज दिया है। इसीलिए पाकिस्तान की सेना को किराए की सेना और पाकिस्तान की इकोनॉमी को 'किराए की अर्थव्यवस्था' कहा जाता है। आपको याद होगा, भारत के ऑपरेशन सिंदूर से ठीक पहले पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ ने भी यही कहा था कि "अमेरिका के कहने पर पाकिस्तान ने दशकों तक अफगानिस्तान में गंदा काम किया।" और अब पाकिस्तान की सेना फिर से वही गंदा काम करने गाजा जाएगी और अपने मालिक अमेरिका के इशारे पर गाजा के लोगों को गोली मारेगी!
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