इस्लामाबाद: अफगान तालिबान और पाकिस्तान कई दिनों की हिंसक झड़प के बाद रविवार को दोहा में वार्ता के बाद संघर्ष विराम पर सहमत हो गए थे। इस समझौते को पाकिस्तान की शहबाज सरकार अपनी जीत के तौर पर दिखाने में लगी है। प्रोपेगैंडा की मास्टर शहबाज सरकार ये बताने में लगी है कि उसने तालिबान को मानने पर मजबूर कर दिया कि अब वह अपनी जमीन का इस्तेमाल आतंकवाद के लिए नहीं होने देगा। अफगान तालिबान यह सुनिश्चित करेगा कि बीएलए, टीटीपी और हाफिज गुल बहादुर जैसे समूह अब पाकिस्तान के अंदर हमले नहीं करेंगे। इस तरह के बड़े-बड़े दावे किए जा रहे हैं, लेकिन इन दावों की पोल दो दिन के अंदर ही खुल गई है।
पाकिस्तान को लगा बड़ा झटका
पाकिस्तान के पत्रकार असद तूर ने बताया है कि किस तरह से अफगान तालिबान ने पाकिस्तान को दोहा वार्ता में बड़ी मात दे दी। उन्होंने बताया कि पाकिस्तान कितना भी बड़े दावे कर ले, असल में वह तालिबान के हाथों वार्ता की मेज पर भी हारकर आया है। पाकिस्तान की सबसे बड़ी बेइज्जती तो तब हुई जब तालिबान के कहने पर कतर ने युद्धविराम के बारे में अपनी प्रेस विज्ञप्ति को दोबारा जारी किया।
तालिबान ने बदलवा दी प्रेस रिलीज
दरअसल, कतर ने जो पहले प्रेस विज्ञप्ति जारी की थी, उसमें अफगानिस्तान और पाकिस्तान के 'बॉर्डर' पर शांति की उम्मीद की गई थी। तालिबान ने इसी बॉर्डर शब्द पर आपत्ति जता दी। तालिबान ने कहा कि दोनों देशों के बीच वर्तमान में जिस डूरंड लाइन का जिक्र होता है, उसे हम सीमा नहीं मानते। तालिबान ने कहा कि यह एक काल्पनिक रेखा है और अभी दोनों देशों के बीच बॉर्डर तय होना बाकी है।
तालिबान का कहना है कि हमारा बॉर्डर पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वा स्थित अटक तक आता है। तालिबान को बॉर्डर शब्द पर ऐतराज इतना ज्यादा था कि इसने कतर से दूसरी प्रेस रिलीज जारी करवाई और इस शब्द को बाहर करवा दिया। यानी कि तालिबान ने इसे सरहद मानने से साफ इनकार कर दिया।
पाकिस्तान की भारी फजीहत
पाकिस्तान की बेइज्जती यही पर नहीं रुकी। इसके बाद तालिबान के रक्षा मंत्री मुल्ला याकूब ने एक ऑनलाइन प्रेस कॉन्फ्रेंस की और कहा कि हम डूरंड लाइन को कोई बॉर्डर नहीं मानते और इस बैठक में बॉर्डर को लेकर कोई चर्चा नहीं हुई। याकूब ने इसके बाद एक और बम पाकिस्तान पर फोड़ा, जिसमें कहा कि उनकी बातचीत पाकिस्तान के सैन्य शासन के साथ हुई है। यानी कि उन्होंने पाकिस्तान की नागरिक सरकार को इससे बाहर बता दिया। पाकिस्तान की इससे ज्यादा फजीहत क्या हो सकती है कि तालिबान उनकी सरकार तक को खारिज कर दे रहे हैं।
पाकिस्तान को लगा बड़ा झटका
पाकिस्तान के पत्रकार असद तूर ने बताया है कि किस तरह से अफगान तालिबान ने पाकिस्तान को दोहा वार्ता में बड़ी मात दे दी। उन्होंने बताया कि पाकिस्तान कितना भी बड़े दावे कर ले, असल में वह तालिबान के हाथों वार्ता की मेज पर भी हारकर आया है। पाकिस्तान की सबसे बड़ी बेइज्जती तो तब हुई जब तालिबान के कहने पर कतर ने युद्धविराम के बारे में अपनी प्रेस विज्ञप्ति को दोबारा जारी किया।
तालिबान ने बदलवा दी प्रेस रिलीज
दरअसल, कतर ने जो पहले प्रेस विज्ञप्ति जारी की थी, उसमें अफगानिस्तान और पाकिस्तान के 'बॉर्डर' पर शांति की उम्मीद की गई थी। तालिबान ने इसी बॉर्डर शब्द पर आपत्ति जता दी। तालिबान ने कहा कि दोनों देशों के बीच वर्तमान में जिस डूरंड लाइन का जिक्र होता है, उसे हम सीमा नहीं मानते। तालिबान ने कहा कि यह एक काल्पनिक रेखा है और अभी दोनों देशों के बीच बॉर्डर तय होना बाकी है।
तालिबान का कहना है कि हमारा बॉर्डर पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वा स्थित अटक तक आता है। तालिबान को बॉर्डर शब्द पर ऐतराज इतना ज्यादा था कि इसने कतर से दूसरी प्रेस रिलीज जारी करवाई और इस शब्द को बाहर करवा दिया। यानी कि तालिबान ने इसे सरहद मानने से साफ इनकार कर दिया।
पाकिस्तान की भारी फजीहत
पाकिस्तान की बेइज्जती यही पर नहीं रुकी। इसके बाद तालिबान के रक्षा मंत्री मुल्ला याकूब ने एक ऑनलाइन प्रेस कॉन्फ्रेंस की और कहा कि हम डूरंड लाइन को कोई बॉर्डर नहीं मानते और इस बैठक में बॉर्डर को लेकर कोई चर्चा नहीं हुई। याकूब ने इसके बाद एक और बम पाकिस्तान पर फोड़ा, जिसमें कहा कि उनकी बातचीत पाकिस्तान के सैन्य शासन के साथ हुई है। यानी कि उन्होंने पाकिस्तान की नागरिक सरकार को इससे बाहर बता दिया। पाकिस्तान की इससे ज्यादा फजीहत क्या हो सकती है कि तालिबान उनकी सरकार तक को खारिज कर दे रहे हैं।
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