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पाकिस्तानी रक्षा मंत्री या प्रचार प्रमुख... तालिबान के सबसे बड़े दुश्मन ने उड़ाया ख्वाजा आसिफ का मजाक, बोले- मुझे मजा आता है

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काबुल: अफगानिस्तान के अपदस्थ उपराष्ट्रपति अमरुल्लाह सालेह ने पाकिस्तानी रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ का मजाक उड़ाया है। उन्होंने कहा कि ख्वाजा आसिफ किसी रक्षा मंत्री की तरह नहीं, बल्कि प्रचार प्रमुख की तरह बयानबाजी कर रहे हैं। सालेग ने पाकिस्तान के अफगान तालिबान के साथ संबंधों का जिक्र किया और तंज कसा कि अब दोनों पक्षों में क्यों तनाव बढ़ रहा है। उन्होंने यह भी कहा कि मुझे पाकिस्तानियों को तालिबान के सबसे बड़े मददगार क्वेटा शूरा के बारे में याद दिलाने से मजा आता है। सालेह ने दावा किया कि पाकिस्तानी सेना और क्वेटा शूरा में तनाव बढ़ रहा है।

अमरुल्लाह सालेह ने क्या कहा
अमरुल्लाह सालेह ने एक्स पर लिखा, "कितना लंबा-चौड़ा बयान। क्या वह (ख्वाजा आसिफ) रक्षा मंत्री हैं या प्रचार प्रमुख? रक्षा मंत्री अपने कामों को ही सुर्खियां बनने देते हैं, अपने शब्दों और बयानों को नहीं। खैर, क्वेटा शूरा और जीएचक्यू के बीच संघर्ष एक दिलचस्प तमाशा है। मुझे अपने पड़ोसी पाकिस्तान को क्वेटा शूरा के बारे में याद दिलाने में बहुत मजा आता है। मेरा उनसे एक विनम्र अनुरोध भी है। क्या आपको नहीं लगता कि अब समय आ गया है कि आप कबूल करें कि आपने तालिबान की कैसे मदद की, क्यों की, कितनी मदद की, कितनों को प्रशिक्षित किया।"




पाकिस्तान-तालिबान संबंधों पर साधा निशाना
सालेह ने आगे कहा, "आप अपने शिविरों में उनके प्रशिक्षण के वीडियो क्यों नहीं साझा करते, आप अपने शहरों में उनके व्यवसाय और इमारतें क्यों नहीं दिखाते, आप हमें यह क्यों नहीं बताते कि इतनी ईमानदारी और उदारता से उनका साथ देकर आपका सपना क्या था? क्या आपको नहीं लगता कि आपको अफगान लोगों से, हामिद करज़ई से, अशरफ़ गनी से, और मुझसे माफी मांगनी चाहिए?"

ख्वाजा आसिफ ने क्या कहा था?
डॉन की रिपोर्ट के अनुसार, पाकिस्तानी रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ ने कहा, "मैं उन्हें आश्वस्त करना चाहता हूं कि तालिबान शासन को पूरी तरह से मिटाने और उन्हें गुफाओं में वापस धकेलने के लिए पाकिस्तान को अपने पूरे शस्त्रागार का एक अंश भी इस्तेमाल करने की जरूरत नहीं है। अगर वे ऐसा चाहते हैं, तो तोरा बोरा में उनकी पराजय के दृश्यों की पुनरावृत्ति, जब वे दुम दबाकर बैठे होंगे, निश्चित रूप से क्षेत्र के लोगों के लिए देखने लायक तमाशा होगा।"

अफगानिस्तान ने क्या कहा
हालांकि काबुल की ओर से कोई सीधा बयान नहीं आया है, लेकिन मीडिया रिपोर्टों में कहा गया है कि वार्ता इसलिए टूट गई क्योंकि "पाकिस्तानी प्रतिनिधिमंडल ने कथित तौर पर ऐसी माँगें रखीं जो दोनों पक्षों को अस्वीकार्य थीं।" टोलो न्यूज के अनुसार, सूत्रों ने कहा कि इस्लामाबाद ने अफ़ग़ानिस्तान के इस्लामिक अमीरात पर तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (टीटीपी) को औपचारिक रूप से एक आतंकवादी संगठन के रूप में वर्गीकृत करने और समूह के खिलाफ कार्रवाई करने का दबाव डाला।
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