दिवाली के दीये भले ही ठंडे हो गए हों,लेकिन त्योहारों का असली और सबसे बड़ा जश्न तो अब शुरू होने वाला है! पूर्वांचल,बिहार और झारखंड से लेकर देश के कोने-कोने तक,अब हवा में छठ मैया के गीत गूंजने लगे हैं और हर दिल में लोकआस्था के महापर्व,छठ पूजा,का इंतजार बस तेज हो गया है।यह सिर्फ एक पूजा नहीं,यह प्रकृति और सूर्य देव को धन्यवाद कहने का,तप,त्याग और पवित्रता का चार दिनों का सबसे कठिन,पर सबसे खूबसूरत अनुष्ठान है। यह वो पर्व है जो हमें हमारी जड़ों से जोड़ता है।तो अपनी छुट्टियों और घर जाने की तैयारियों को शुरू करने से पहले,डायरी में छठ पूजा2025की इन पावन तारीखों को नोट कर लीजिए,ताकि इस महापर्व का कोई भी अहम दिन आपसे चूक न जाए।छठ पूजा2025:चार दिनों की साधना का पूरा कैलेंडरपहला दिन: नहाय-खाय (बुधवार, 5नवंबर2025)क्या है खास:यहीं से इस कठिन व्रत की शुरुआत होती है। इस दिन व्रती (व्रत रखने वाले) गंगा या किसी पवित्र नदी में स्नान करते हैं और पूरी पवित्रता के साथ लौकी-भात और चने की दाल का प्रसाद ग्रहण करते हैं। इसी के साथ तन और मन को अगले तीन दिनों की साधना के लिए तैयार किया जाता है।दूसरा दिन: खरना (गुरुवार, 6नवंबर2025)क्या है खास:यह दिन बहुत महत्वपूर्ण होता है। इस दिन व्रती पूरे दिन का उपवास रखते हैं और शाम को पूजा के बाद गुड़ और चावल की खीर (रसियाव) और रोटी का प्रसाद ग्रहण करते हैं। इस प्रसाद को खाने के बाद ही36घंटों का सबसे कठिन निर्जला (बिना पानी के) व्रत शुरू हो जाता है।तीसरा दिन: संध्या अर्घ्य (शुक्रवार, 7नवंबर2025)क्या है खास:यह छठ पूजा का दिल है। इस दिन व्रती अपने पूरे परिवार के साथ नदी या तालाब के किनारे इकट्ठा होते हैं और कमर तक पानी में खड़े होकर डूबते हुए सूर्य को अपना पहला अर्घ्य देते हैं। चारों तरफ बजते छठ के गीत और पानी में जलते लाखों दीयों का यह नजारा किसी स्वर्ग से कम नहीं होता।चौथा दिन: उषा अर्घ्य (शनिवार, 8नवंबर2025)क्या है खास:यह चार दिनों की तपस्या का अंतिम पड़ाव है। इस दिन व्रती सूर्योदय से पहले ही उसी घाट पर पहुंचते हैं और उगते हुए सूर्य को अपना दूसरा और अंतिम अर्घ्य देते हैं। इसी के साथ यह महापर्व संपन्न होता है और व्रती अपना36घंटों का कठिन व्रत खोलते हैं।
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