Newsindia live,Digital Desk: हम सबने बचपन से किताबों और दीवारों पर दुनिया का एक ही नक्शा देखा है लेकिन क्या यह नक्शा वास्तव में सही है यह सवाल अब जोर पकड़ रहा है और अफ्रीकी संघ जैसे बड़े संगठन इस पारंपरिक नक्शे को हटाने की मांग कर रहे हैं सदियों से इस्तेमाल हो रहे इस विश्व मानचित्र को मर्केटर प्रोजेक्शन के नाम से जाना जाता है इसे यूरोपीय नाविकों के लिए बनाया गया था ताकि उन्हें समुद्र में दिशा का सही पता चल सके लेकिन इस प्रक्रिया में एक बड़ी गलती हुईदरअसल पृथ्वी गोल है और एक गोल चीज को किसी समतल कागज पर सटीक रूप से उतारना गणितीय रूप से असंभव है मर्केटर प्रोजेक्शन ने दिशा को सही रखने के लिए महाद्वीपों के आकार के साथ भारी समझौता किया इस नक्शे में जो देश या महाद्वीप भूमध्य रेखा से जितने दूर हैं वे अपने वास्तविक आकार से उतने ही बड़े दिखाई देते हैं इसका सबसे बड़ा उदाहरण ग्रीनलैंड और अफ्रीका हैं नक्शे में ग्रीनलैंड का आकार लगभग अफ्रीका के बराबर दिखता है जबकि असलियत में अफ्रीका महाद्वीप ग्रीनलैंड से कई गुना बड़ा है इतना बड़ा कि इसमें अमेरिका चीन भारत और यूरोप का बड़ा हिस्सा एक साथ समा सकता हैइसी तरह यूरोप अपने वास्तविक आकार से कहीं ज्यादा बड़ा दिखाई देता है जबकि अफ्रीका और दक्षिण अमेरिका जैसे महाद्वीप सिकुड़े हुए और छोटे नजर आते हैं अफ्रीकी संघ का तर्क है कि यह सिर्फ एक भौगोलिक गलती नहीं है बल्कि यह एक औपनिवेशिक मानसिकता को भी दर्शाता है जिसमें यूरोप को दुनिया के केंद्र में और अधिक महत्वपूर्ण दिखाने की कोशिश की गई है उनका मानना है कि इस गलत नक्शे ने पीढ़ियों तक दुनिया के बारे में हमारी धारणा को प्रभावित किया है इसलिए वे चाहते हैं कि स्कूलों और संस्थानों से इस नक्शे को हटाकर एक ऐसा नक्शा लाया जाए जो सभी देशों और महाद्वीपों को उनके वास्तविक आकार में सही ढंग से प्रस्तुत करता हो
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