नई दिल्ली। फर्जी दिव्यांगता सर्टिफिकेट और ओबीसी आरक्षण के जरिए कोटे का लाभ उठाकर सिविल सेवा परीक्षा पास करने वाली महाराष्ट्र कैडर की पूर्व ट्रेनी आईएएस पूजा खेडकर को सुप्रीम कोर्ट ने अग्रिम जमानत दे दी है। शीर्ष अदालत ने पूजा खेडकर को जांच में सहयोग करने का निर्देश दिया। जस्टिस बी.वी नागरत्ना और जस्टिस सतीश चंद्र शर्मा की बेंच ने पूजा खेडकर पर टिप्पणी करते हुए कहा कि आखिर उसने कौन सा गंभीर अपराध किया है? वह मादक पदार्थ माफिया या आतंकवादी नहीं है। उसने हत्या भी नहीं की है। वो अपना सब कुछ खो चुकी है और उसे जीवन में कहीं नौकरी भी नहीं मिलेगी।
सुप्रीम कोर्ट बेंच ने कहा कि मामले के तथ्यों और परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए यह एक उपयुक्त मामला है जहां याचिकाकर्ता को दिल्ली हाईकोर्ट से ही जमानत मिल जानी चाहिए। इससे पहले दिल्ली पुलिस के वकील ने दलील पेश करते हुए पूजा खेडकर की अग्रिम जमानत याचिका का विरोध किया और कहा कि वो जांच में सहयोग नहीं कर रही हैं। उनके खिलाफ आरोप गंभीर भी हैं। इस पर बेंच ने उपरोक्त बातें कहीं। साथ ही बेंच ने यह भी कहा कि पूजा खेडकर एनडीपीएस (मादक पदार्थ निषेध से संबंधित कानून) अपराधी नहीं है। आपके पास कोई प्रणाली या सॉफ्टवेयर होना चाहिए, आप जांच पूरी करें।
इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने पूजा खेडकर की गिरफ्तारी पर रोक लगाते हुए उसकी जमानत अवधि को 21 मई तक के लिए बढ़ा दिया था। सुप्रीम कोर्ट ने पिछली सुनवाई के दौरान दिल्ली पुलिस को मामले में धीमी जांच के लिए फटकार लगाई थी। कोर्ट ने कहा था कि ऐसा लगता है जांच में अभी तक कोई ठोस चीज सामने नहीं आई है इसीलिए इस मामले में देरी की जा रही है। इसी के साथ शीर्ष अदालत ने जांच जल्द पूरी करने के निर्देश दिए थे।
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