न्यूयॉर्क। टैरिफ के मुद्दे पर अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को जोर का झटका लगा है। न्यूयॉर्क के मैनहटन स्थित कोर्ट ऑफ इंटरनेशनल ट्रेड की तीन जजों की बेंच ने ट्रंप की ओर से 2 अप्रैल को घोषित लिबरेशन डे टैरिफ पर रोक लगा दी है। कोर्ट ने फैसला सुनाते हुए कहा कि ट्रंप ने अधिकारों का दुरुपयोग कर अमेरिका के संविधान के खिलाफ कदम उठाया। कोर्ट ने कहा कि अमेरिका के संविधान के मुताबिक दूसरे देशों से कारोबार को नियंत्रित करने का हक सिर्फ अमेरिका की संसद यानी कांग्रेस को है। कोर्ट ने साथ ही ये भी कहा कि टैरिफ लगाना राष्ट्रपति के आपातकालीन अधिकारों के तहत नहीं आता है। डोनाल्ड ट्रंप की ओर से बीती 2 अप्रैल को तमाम देशों पर टैरिफ लगाने को अमेरिका के कुछ छोटे कारोबारियों और 12 डेमोक्रेटिक अटॉर्नी जनरलों ने कोर्ट में चुनौती दी थी।
NEWS: A federal court just invalidated Trump’s ”Liberation Day" tariffs, ruling he exceeded his authority under IEEPA. The court said Trump can’t bypass Congress to set trade policy and that these tariffs are unconstitutional and void. pic.twitter.com/MaAQSOoub9
— MeidasTouch (@MeidasTouch) May 28, 2025
डोनाल्ड ट्रंप की तरफ से अन्य देशों पर ये कहते हुए टैरिफ लगाया गया था कि वे भी अमेरिका के उत्पादों पर टैरिफ लगाते हैं। ट्रंप ने ये भी कहा था कि ये देश अमेरिका में अपना काफी सामान बेचते हैं, लेकिन अपने देश में अमेरिका का कम सामान जाने देते हैं। ट्रंप ने इंटरनेशनल इमरजेंसी इकोनॉमिक पावर्स एक्ट यानी आईईईपीए के तहत टैरिफ लगाने का एलान किया था। इसे ही कोर्ट में चुनौती दी गई थी। ट्रंप के टैरिफ के खिलाफ कोर्ट में याचिका देने वालों ने दलील दी कि जिस आईईईपीए कानून का सहारा ट्रंप ने लिया है, वो उनको तमाम देशों पर एक साथ टैरिफ लगाने का अधिकार नहीं देता है। याचिका करने वालों ने ये भी कहा था कि ट्रेड डेफिसिट यानी व्यापार घाटा का जो तर्क ट्रंप ने दिया, वो भी माना नहीं जा सकता। याचिका करने वालों के वकील ने कोर्ट में कहा कि दशकों से व्यापार घाटा हो रहा है, लेकिन इससे कभी संकट नहीं पैदा हुआ। उन्होंने ये भी कहा कि ट्रंप की ओर से जो आपातकाल बताया जा रहा है, वो उनकी कोरी कल्पना है।
कोर्ट ने याचिकाकर्ताओं की दलील पर गौर किया। जिसके बाद फैसले में कहा कि आईईईपीए कानून के तहत ट्रंप के पास असीमित अधिकार नहीं हैं। इस वजह से उनकी ओर से लगाया गया टैरिफ अवैध है। कोर्ट ने कहा कि असाधारण हालात में भी अमेरिका के राष्ट्रपति को सीमित अधिकार हासिल होते हैं। ट्रंप की ओर से बताया जा रहा आपातकाल भी वैध नहीं है। वहीं, डोनाल्ड ट्रंप की ओर से पेश हुए वकील ने दलील दी कि साल 1971 में अमेरिका के राष्ट्रपति रहे रिचर्ड निक्सन ने भी टैरिफ लगाए थे। निक्सन के लगाए टैरिफ को कोर्ट ने भी मंजूरी दी थी। ट्रंप के वकील ने ये भी कहा कि आपात स्थिति का एलान वैध है या नहीं, इसे देखना कोर्ट का काम नहीं है। इसका अधिकार कांग्रेस के पास है। ट्रंप के वकील के इस तर्क को भी कोर्ट ने खारिज कर दिया। अब डोनाल्ड ट्रंप इस फैसले को पहले यूएस कोर्ट ऑफ अपील्स फॉर द फेडरल सर्किट में चुनौती दे सकते हैं। अगर वहां से भी राहत न मिली, तो सुप्रीम कोर्ट तक ट्रंप जा सकते हैं।
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