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Election Commission On SIR: 'एसआईआर कराने पर फैसला हमारा संवैधानिक अधिकार', चुनाव आयोग ने सुप्रीम कोर्ट में कहा

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नई दिल्ली। चुनाव आयोग ने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा देकर कहा है कि वोटरों के विशेष गहन पुनरीक्षण यानी SIR कराने का अधिकार उसका है। तय अंतराल पर एसआईआर का अगर अदालत ने आदेश दिया, तो वो चुनाव आयोग की संवैधानिक शक्ति में हस्तक्षेप होगा। सुप्रीम कोर्ट को दिए हलफनामे में चुनाव आयोग ने कहा है कि संविधान और कानून के तहत वोटर लिस्ट तैयार और संशोधित करने का अधिकार खास तौर पर उसी के पास है। चुनाव आयोग ने कहा है कि तय समय में एसआईआर कराने का प्रावधान कानून में नहीं है।

सुप्रीम कोर्ट में वरिष्ठ वकील अश्विनी उपाध्याय ने एसआईआर कराने के बारे में याचिका दाखिल की है। अश्विनी उपाध्याय ने अपनी याचिका में मांग की है कि नियमित अंतराल पर देशभर में एसआईआर कराने का चुनाव आयोग को निर्देश दिया जाए। ताकि विदेशी घुसपैठियों को वोटर लिस्ट से बाहर रखा जा सके और वे चुनाव को प्रभावित न कर सकें। इस याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में दाखिल हलफनामा में चुनाव आयोग ने कहा है कि वो वोटर लिस्ट की शुद्धता और पवित्रता बनाए रखने के लिए पूरी तरह जिम्मेदार है। एसआईआर का वक्त तय करना उसका विशेषाधिकार है। चुनाव आयोग ने कहा है कि इस वजह से अश्विनी उपाध्याय की याचिका खारिज कर दी जाए।

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बता दें कि बिहार में बीते दिनों ही चुनाव आयोग ने एसआईआर कराया है। एसआईआर के तहत 26 लाख लोगों को ड्राफ्ट वोटर लिस्ट से बाहर किया गया है। इस एसआईआर के खिलाफ तमाम लोगों ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दी थी। सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग के बिहार में एसआईआर कराने पर तो रोक नहीं लगाई, लेकिन ये जरूर कहा कि वो आधार कार्ड को एसआईआर के लिए 12वां दस्तावेज माने और उसका इस्तेमाल पहचान के लिए करे। सुप्रीम कोर्ट ने ये भी कहा कि चुनाव आयोग को अधिकार है कि वो किसी व्यक्ति की ओर से दिए गए आधार कार्ड की जांच करा सकता है। साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने ये भी कहा है कि आधार कार्ड नागरिकता का प्रमाण नहीं है।

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