दिवाली से ठीक पहले राजस्थान सरकार ने राज्य के कर्मचारियों के लिए एक अहम फैसला लिया है। सरकार ने बोर्ड, निगम, राजकीय उपक्रम, स्वायत्तशासी संस्थाओं और विश्वविद्यालयों में कार्यरत और सेवानिवृत्त कर्मचारियों के लिए पूर्ववर्ती कांग्रेस शासन में लागू पुरानी पेंशन योजना (ओपीएस) को लागू करने से रोक दिया है।
इस फैसले के तहत अब इन संस्थाओं में ओपीएस की जगह नेशनल पेंशन सिस्टम (एनपीएस), सीपीएफ और ईपीएफ जैसी आधुनिक पेंशन व्यवस्था लागू की जाएगी। अधिकारियों ने बताया कि इसका उद्देश्य पेंशन प्रणाली को आधुनिक, सुदृढ़ और वित्तीय रूप से स्थिर बनाना है।
सूत्रों के अनुसार, यह बदलाव उन संस्थाओं में लागू होगा जहां वर्तमान में ओपीएस के तहत पेंशन दी जा रही थी। नए कर्मचारियों के लिए एनपीएस और ईपीएफ/सीपीएफ विकल्प अनिवार्य होंगे, जबकि सेवानिवृत्त कर्मचारियों की पेंशन भुगतान प्रणाली में कोई व्यवधान नहीं आएगा।
विशेषज्ञों का कहना है कि ओपीएस में पेंशन राशि निश्चित होती थी, लेकिन इससे सरकार पर वित्तीय दबाव अधिक पड़ता था। इसके विपरीत, एनपीएस और ईपीएफ जैसी योजनाओं में कर्मचारी और नियोक्ता दोनों की योगदान आधारित व्यवस्था होती है, जिससे दीर्घकालीन वित्तीय स्थिरता सुनिश्चित होती है।
इस निर्णय के बाद कर्मचारी संगठनों और यूनियनों में हलचल शुरू हो गई है। कई कर्मचारियों ने चिंता जताई है कि ओपीएस से हटने के बाद उनकी सेवानिवृत्ति के समय आर्थिक सुरक्षा प्रभावित हो सकती है। वहीं, सरकार का कहना है कि एनपीएस और ईपीएफ आधुनिक युग के अनुसार सुरक्षित और लाभकारी विकल्प हैं।
राज्य सरकार ने यह भी स्पष्ट किया है कि कर्मचारियों को नई पेंशन योजनाओं के बारे में समय रहते जानकारी दी जाएगी और संक्रमण काल को सुचारू रूप से पूरा करने के लिए दिशानिर्देश जारी किए जाएंगे। इसके तहत सभी कर्मचारियों को अपने योगदान और भविष्य की पेंशन राशि की स्पष्ट जानकारी दी जाएगी।
विशेषज्ञों का कहना है कि इस कदम से राज्य सरकार की वित्तीय जिम्मेदारी में कमी आएगी और भविष्य में पेंशन भुगतान की नियमितता और स्थिरता सुनिश्चित होगी। इसके साथ ही कर्मचारियों को भी आधुनिक और सुरक्षित पेंशन विकल्प मिलेंगे।
इस फैसले से यह संकेत मिलता है कि राजस्थान सरकार पेंशन प्रणाली के सुधार और आधुनिकरण को प्राथमिकता दे रही है, ताकि वित्तीय स्थिरता के साथ कर्मचारियों के हितों की रक्षा भी सुनिश्चित हो सके।
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