राजस्थान विधानसभा में सोमवार को भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) विधायक दल की बैठक उस समय गरमा गई, जब कृषि मंत्री डॉ. किरोड़ीलाल मीणा और खंडार से भाजपा विधायक जितेंद्र गोठवाल के बीच तीखी नोकझोंक हो गई। मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में हुई इस बैठक का मुख्य एजेंडा विधानसभा में फ्लोर मैनेजमेंट पर चर्चा करना था, लेकिन भ्रष्टाचार का मुद्दा उठते ही माहौल तनावपूर्ण हो गया।
जानकारी के अनुसार, बैठक के दौरान विधायक जितेंद्र गोठवाल ने जल जीवन मिशन में गड़बड़ी के मामले को प्रमुखता से उठाया। उन्होंने मुख्यमंत्री के सामने कहा कि इस परियोजना में गंभीर अनियमितताएं हुई हैं और जिन अफसरों पर गड़बड़ी का आरोप है, उन पर अब तक कोई कार्रवाई नहीं हुई है। गोठवाल ने तर्क दिया कि “अगर पार्टी का कोई विधायक सदन में भ्रष्टाचार का मुद्दा उठाता है, तो सरकार को उस पर तत्काल कदम उठाना चाहिए। लेकिन ऐसा नहीं हुआ।”
गोठवाल की इस टिप्पणी पर कृषि मंत्री डॉ. किरोड़ीलाल मीणा ने आपत्ति जताई और कहा कि पार्टी को आंतरिक मसलों को बाहर उठाने से पहले संगठन के भीतर चर्चा करनी चाहिए। इस पर दोनों नेताओं के बीच तीखी बहस हो गई। बैठक में मौजूद अन्य विधायकों ने बीच-बचाव कर स्थिति को संभाला।
सूत्रों के मुताबिक, गोठवाल ने दो टूक कहा कि जनता से जुड़े मुद्दों पर कोई समझौता नहीं किया जा सकता। उन्होंने जल जीवन मिशन में हुई गड़बड़ियों की निष्पक्ष जांच की मांग की। दूसरी ओर, डॉ. किरोड़ीलाल मीणा का कहना था कि ऐसे आरोपों को सार्वजनिक रूप से उठाने से पार्टी की छवि पर असर पड़ता है और विपक्ष को हमला करने का मौका मिलता है।
मुख्यमंत्री ने दोनों पक्षों को शांत कराया और स्पष्ट किया कि भ्रष्टाचार से जुड़े किसी भी मामले में समझौता नहीं किया जाएगा। उन्होंने अफसरों की भूमिका की जांच कराने और आवश्यक होने पर कड़ी कार्रवाई करने का आश्वासन दिया। साथ ही, मुख्यमंत्री ने विधायकों से अपील की कि किसी भी प्रकार की शिकायत को संगठनात्मक स्तर पर पहले उठाया जाए, ताकि पार्टी के अंदर एकता और अनुशासन बनाए रखा जा सके।
बैठक में मौजूद वरिष्ठ नेताओं ने भी माना कि भ्रष्टाचार जैसे गंभीर मामलों पर संवेदनशीलता के साथ काम करने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि विधायक जनता की आवाज़ हैं और उनकी चिंताओं को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता।
इस पूरे घटनाक्रम के बाद भाजपा विधायक दल की बैठक में कुछ समय के लिए सन्नाटा छा गया, हालांकि मुख्यमंत्री के हस्तक्षेप के बाद माहौल सामान्य हुआ। बैठक में विधानसभा सत्र के दौरान विपक्ष की रणनीति से निपटने और पार्टी विधायकों के समन्वय को मजबूत करने पर भी चर्चा की गई। विशेषज्ञों का मानना है कि यह घटना भाजपा के भीतर चल रहे असंतोष की ओर इशारा करती है। भ्रष्टाचार के मुद्दे पर उठ रही आवाजें आने वाले समय में पार्टी नेतृत्व के लिए चुनौती बन सकती हैं। बैठक के अंत में मुख्यमंत्री ने सभी विधायकों से आह्वान किया कि वे एकजुट होकर जनता के हित में कार्य करें और विधानसभा में पार्टी की मजबूती को प्राथमिकता दें।
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