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अजब-गजब माता रानी का ये मंदिर, जहां नवरात्रि में कपाट हो जाते हैं बंद, भक्तों को बाहर से मिलता है दर्शन

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नवरात्रि के दिनों में देशभर और राजस्थान में जहां-जहां मां दुर्गा के मंदिर और उनकी प्रतिमाएं हैं, वहां भारी भीड़ होती है। भक्त मंदिर जाते हैं और प्रार्थना करते हैं। लेकिन राजस्थान के भीलवाड़ा जिले में एक ऐसा 'शक्तिपीठ' है, जहां नवरात्रि के दौरान सात दिनों तक मंदिर का गर्भगृह दर्शन के लिए बंद रहता है। अष्टमी के दिन पट खुलने पर भक्तों को मातारानी के दर्शन होते हैं।

भीलवाड़ा जिले के जाझपुर उपखंड क्षेत्र में घाटा रानी माताजी शक्ति पीठ आस्था का केंद्र है। यहां नवरात्रि कलश स्थापना से पहले शाम की आरती के साथ मंदिर के पट बंद कर दिए जाते हैं। इन दिनों केवल पुजारी ही गर्भगृह में प्रवेश कर समय-समय पर माता की पूजा करते हैं। भक्तजन बाहर पूजा कर सकते हैं। वे माता के दर्शन नहीं कर पाते और अष्टमी के दिन यह द्वार भक्तों के लिए खोल दिया जाता है।

घटस्थापना के साथ समाप्त करें

घटारानी माता मंदिर के पुजारी शक्तिसिंह तंवर ने बताया कि नवरात्रि के दौरान कई शक्तिपीठों के पट बंद नहीं होते। लेकिन यहां पर कटौती के साथ-साथ सिलवटें भी बंद कर दी गई हैं। इसका मुख्य कारण मंदिर के अंदर पवित्रता बनाए रखना है। अमावस्या के दिन सुबह 7 बजे माता की आज्ञा लेकर पट बंद कर दिए जाते हैं। उसके बाद घटस्थापना की जाती है। इसके बाद अष्टमी के दिन माता रानी की आज्ञा से पट खोल दिए जाते हैं, जो अगले 6 महीने तक खुले रहते हैं।

अष्टमी के दिन मंगला आरती के बाद कपाट खोले जाते हैं

नवरात्रि के दौरान भक्त यहां 9 दिनों तक रुकते हैं। ऐसा माना जाता है कि यहां भक्तों को विभिन्न रोगों से मुक्ति मिलती है। यहां कई बार दुर्घटनाओं में घायल व्यक्ति वेंटिलेटर पर आ गए हैं और अपने पैरों पर चलने लगे हैं। वहीं श्रद्धालुओं ने बताया कि पूरे भारत में यह ऐसा मंदिर है, जहां नवरात्रि के दौरान गर्भ गृह के द्वार बंद रहते हैं। नवरात्रि की अष्टमी के दिन मंगला आरती के बाद ही भक्तों के लिए द्वार खोला जाता है। इस मंदिर में भक्तगण गर्भगृह के अंदर पूजा करते हैं। इसके कारण, शुद्धिकरण के लिए तहें बंद हो जाती हैं।

राजपूतों की कुलदेवी माता घाटा रानी

भीलवाड़ा जिले के जाजपुर उप-जिले का घटारानी माता का मंदिर एक ऐसा मंदिर है, जिसके द्वार 6 महीने तक खुले रहते हैं। लेकिन नवरात्रि से पहले अमावस्या को घटस्थापना और भोग के साथ ही कपाट बंद कर दिए जाते हैं। इस दौरान श्रद्धालु यहां आते तो हैं, लेकिन मंदिर के गर्भगृह के बाहर ही मां की पूजा-अर्चना कर लौट जाते हैं। 7 दिनों तक बंद रहने के बाद अष्टमी को मंगला आरती के साथ गर्भ गृह के द्वार खोल दिए जाते हैं, जिसके बाद भक्त गर्भ गृह में जाकर माता के दर्शन कर सकते हैं।

इसका मुख्य कारण यह है कि नवरात्रि पर अशुद्धता नहीं होती और पवित्रता बनी रहती है। यह मंदिर पहाड़ी पर बना होने के कारण माता को घटारानी के नाम से जाना जाता है। मंदिर का निर्माण राजपूत वंशजों द्वारा किया गया था और घटारानी माता तंवर राजपूतों की देवी हैं। इस वंश के लोग कोई भी शुभ कार्य करने से पहले माता के दर्शन करने पहुंचते हैं।

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